अभ्यास :
प्रश्न1: जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है ?
उत्तर: जीवन के लिए जल निम्न कारणों से आवश्यक है |
(i) यह पृथ्वी को कंबल के समान ढके हुए है |
(ii) वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक की पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है |
(iii) इस वायुमंडल की की ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक विकिरणों जैसे अल्ट्रावोइलेट से हमारी रक्षा करता है |
प्रश्न2: जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर: जीवन के लिए जल इसलिए अनिवार्य है क्योंकि :
(i) सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं |
(ii) हमारे शरीर या कोशिकाओं में होने वाली सभी प्रक्रियाएँ जल में घुले हुए पदार्थों से पूरी होती है |
(iii) शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है |
(iv) जीवन के लिए जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण संपदा है, प्राणियों को जीवित रहने के लिए अपने शरीर में जल की मात्रा को संतुलित बनाए रखना पड़ता है |
प्रश्न3: जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं ? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा पूरी तरह स्वतंत्र हैं ?
उत्तर: जीवित प्राणियों के मृदा पर निर्भर होने के निम्न कारण है :
(i) मृदा एक महत्वपूर्ण संपदा है जो किसी क्षेत्र में जीवन कोई विविधता को निर्धारित करता है |
(ii) मृदा के ऊपरी परत में पाए जाने वाले खनिज जीवों को विभिन्न प्रकार के पालन-पोषण करने वाले तत्व प्रदान करते है |
(iii) मृदा में भी विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म-जीवन पाया जाता है जो पूरी तरह अपनी जरुरत की चीजें मृदा से ही प्राप्त करते है |
(iv) सभी हरे पौधें मृदा में ही उगते है जो जंतुओं को भोजन के रूप में ऊर्जा प्रदान करते है |
जल में रहने वाले जीव, संपदा के रूप में मृदा पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है |
प्रश्न4: आपने टेलीविज़न पर और समाचार पत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा | आप क्या सोंचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर: (i) जलवाष्प से भरी हवा उच्च दाब वाले क्षेत्र से कम दाब वाले क्षेत्र में अथवा इसके विपरीत जाती हैं|
(ii) वर्षा का पैटर्न वायु के पैटर्न पर निर्भर करता हैं|
(iii) वायु का दाब कम होने के कारण वर्षा होती हैं|
अतः हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं|
प्रश्न5: हम जानते हैं कि बहुत सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदुषण के स्तर को बढ़ा रही हैं| क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रो में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेंगी ?
उत्तर: हाँ| मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा हवा, जल, मृदा के प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता हैं| उर्वरको एवं पीडकनाशियों के स्थान पर खाद का प्रयोग किया जाए तो केंचुए भूमि में ह्यूमस बनाने में मददगार सिद्ध होंगे| मृदा का उपजाऊ बना रहेगा| मृदा का अपरदन रोकने पर जैव विविधता को बनाए रखा जा सकेगा| जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थ न मिलाया जाए| जीवाश्म इंधनों के स्थान पर ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का उपयोग किया जाए जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा|
प्रश्न6: जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर: जंगलो का पर्यावरण संतुलन से घनिष्ठ सम्बन्ध हैं| यें वायु, मृदा और जलीय स्रोतों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं|
(i)वृक्ष उत्पादक का कार्य करते हैं|वृक्ष प्रकाश - संश्लेषण क्रिया द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड का उपयोग करके ऑक्सीजन मुक्त करते हैं| इससे वायुमंडल में CO2 तथा O2 का संतुलन बना रहता हैं|
(ii) वृक्षों का जलचक्र से सीधा संबंध होता हैं | वृक्ष मृदा से जल शोषित करके वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा जलवाष्प के रूप में इसे वायुमंडल से मुक्त करते हैं| जहाँ पर जंगल अधिक होते हैं, वहां वर्षा अधिक होती हैं और जहाँ वृक्ष नहीं होते , वर्षा बहुत कम होती हैं| कम वर्षा के कारण जलीय स्रोत प्रभावित एवं प्रदूषित हो जाएंगे| कम वर्षा के कारण वायुमंडल शुष्क हो जायेगा| शुष्क मंडल में वनस्पतियां कम उगती हैं| वनस्पतियों की कमी के कारण प्राणी विविधता में भी कमी पाई जाती हैं|
(iii) वृक्ष मृदा की संरचना प्रभावित करते हैं| वृक्षों से गिरने वाले पत्ते आदि सड़-गलकर ह्यूमस बनाते है| ह्यूमस के कारण मृदा उपजाऊ होती हैं | इसकी जल धारण करने की क्षमता में वृद्धि होती हैं एवं इस मृदा में वायु संचार अच्छा होता हैं| वृक्षों के आभाव में मृदा में ह्यूमस की कमी हो जाती हैं तथा मृदा की जलधारण करने की क्षमता क्षीण हो जाती हैं| शुष्क तथा रेतीली मृदा उपजाऊ नही होती | वृक्ष जल तथा वायु अपरदन को रोकते हैं|
इससे यह स्पष्ट होता हैं कि जंगल (वन या वृक्ष ) वायु,मृदा एवं जलीय स्रोतों की गुणवता को प्रभावित करते हैं|