अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ:
विलियम जोन्स | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
टॉमस मैकाले | गुरु |
महात्मा गाँधी | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
पाठशालाएँ | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
उत्तर:
विलियम जोन्स | प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | गुरु |
टॉमस मैकाले | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
महात्मा गाँधी | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
पाठशालाएँ | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
प्रश्न: निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ:
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।
(ख) 1854 के शिक्षा सबंधी डिस्पैच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए।
(ग) महात्मा गाँधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
उत्तर:
(क) सही
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) गलत
प्रश्न: विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरुरी दिखाई देता था ?
उत्तर: वे भारत और पश्चिम, दोनों की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे। उनका मानना था कि भारतीय सभ्यता प्राचीन काल में अपने वैभव के शिखर पर थी परंतु बाद में उसका पतन होता चला गया। उनकी राय में, भारत को समझने के लिए प्राचीन काल में लिखे गए यहाँ के पवित्र और क़ानूनी ग्रंथों को खोजना व समझना बहुत जरुरी था। उनका मानना था कि हिंदुओं और मुसलमानों के असली विचारों व कानूनों को इन्हीं रचनाओं के जरिये समझा जा सकता है और इन रचनाओं के पुनः अध्ययन से ही भारत के भावी विकास का आधार पैदा हो सकता है।
प्रश्न: जेम्स मिल और टॉमस मैकाले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है ?
उत्तर: जेम्स मिल और टॉमस मैकाले का मानना था कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है, उनके अनुसार निम्न कारण थे :
(i) अंग्रेजों को देशी जनता को खुश करने और उसका दिल जीतने के लिए जनता की इच्छा के हिसाब से या उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नहीं देनी चाहिए |
(ii) उनकी राय में शिक्षा के जरिए उपयोगी और व्यावहारिक चीजों का ज्ञान दिया जाना चाहिए |
(iii) भारतियों को पूर्वी समाज के काव्य और धार्मिक साहित्य की बजाय यूरोपीय शिक्षा में ज्ञान देना चाहिए |
प्रश्न: महात्मा गाँधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सिखाना चाहते थे ?
उत्तर: महात्मा गाँधी का मानना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केन्द्रित है। उसमें पाठ्यपुस्तकों पर तो जोर दिया जाता है लेकिन जीवन अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान की उपेक्षा की जाती है। उनकी इस बात के पीछे निम्न तर्क थे |
(i) शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए।
(ii) उनकी राय में केवल साक्षरता - यानी पढ़ने और लिखने की क्षमता पा लेना - ही शिक्षा नहीं होती।
(iii) उनका मानना था कि इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, हुनर सीखने पड़ते हैं और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चींजे किस तरह काम करती हैं।
(iv) इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होते हैं।
प्रश्न: महात्मा गाँधी ऐसा क्यों सोंचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना दिया है ?
उत्तर: महात्मा गांधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शिक्षा संस्थानों को छोड़ दें और अंग्रेजों को बताएँ कि अब वे गुलाम बने रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
महात्मा गाँधी की दृढ़ मान्यता थी कि शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। उनके मुताबिक, अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना देती है, उसने उन्हें अपने सामाजिक परिवेश से काट दिया है और उन्हें अपनी ही भूमि पर "अजनबीय" बना दिया है। उनकी राय में, विदेशी भाषा बोलने वाले, स्थानीय संस्कृति से घृणा करने वाले अंग्रेजी शिक्षित भारतीय अपनी जनता से जुड़ने के तौर-तरीके भूल चुके थे।