अभ्यास-समीक्षा
- हमारे चारों ओर बहुत-से परिवर्तन अपने आप होते रहते हैं। खेती में फसलें समयानुसार बदलती रहती हैं। पत्तियाँ रंग बदलती हैं और सूखकर पेड़ों से गिर जाती हैं। फूल खिलते हैं और फिर मुरझा जाते हैं।
- कुछ परिवर्तनों को उत्क्रमित किया जा सकता है जबकि कुछ परिवर्तनों को उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है | जैसे - आटे की लोई को बेलकर रोटी बनती है, इससे पुन: लोई में परिवर्तित किया जा सकता है | जबकि पकी हुई रोटी से पुन: लोई नहीं प्राप्त किया जा सकता है |
- ऐसे परिवर्तन जिसकों पुनः अपने पूर्व अवस्था लाया जा सकता है। उत्क्रमित होने वाले परिवर्तन कहलाते हैं | जैसे - मिट्टी के ढ़ेर का बर्तन बनाना |
- ऐसे परिवर्तन जिन्हें अपने पूर्व अवस्था में नहीं लाया जा सकता है। उत्क्रमित नहीं होने वाले परिवर्तन कहलाते है | जैसे - मिट्टी के पके हुए बर्तन
- कुछ पदार्थों को गर्म करके या किसी अन्य पदार्थ के साथ मिश्रित करके उनमें परिवर्तन लाए जा सकते हैं।
- जब कोई वस्तु गर्म होने से फैलता है या पिघलने लगता है तो उसे प्रसार कहते है।
- जब किसी वस्तु को गर्म किया जाता है तो यह फैल जाता है और ठंड़ा होने पर सिकुड़ जाता है, इसे ही संकुचन कहते है।
- वह परिवर्तनें जिनकी नियमित समय अंतरालों के बाद पुनरावृति नहीं होती है अनावर्ती परिवर्तन कहलाते है।
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वह परिवर्तनें जिनकी नियमित समय अंतरालों के बाद पुनरावृति होती है आवर्ती परिवर्तन कहलाते है। जैसे - सूरज का उगना, एक के बाद एक मौसम का बदलना, लोलक की गति।
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