अभ्यास-प्रश्नावली:
संक्षेप में लिखे :
Q1. निम्नलिखित की व्याख्या करें :
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।
उत्तर: ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले करने की निम्न वजह थे |
(i) जेम्स हरग्रीव्ज़ द्वारा 1764 में बनाई गई स्पिनिंग जेनी मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी और मजदूरों की माँग घटा दी।
(ii) एक ही पहिया घुमाने वाला एक मशदूर बहुत सारी तकलियों को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।
(ii) जब इस मशीन का उपयोग ऊन उद्योग में होने लगा तो ऊन काटने वाली महिलाये बेरोजगार हो गई | यही कारण है कि महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले कर दिए |
(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
उत्तर: सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। इसके निम्नलिखित कारण थे |
(i) सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों की तरफ रुख़ करने लगे थे। वे किसानों और कारीगरों को पैसा देते थे और उनसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन करवाते थे।
(ii) उस समय विश्व व्यापार के विस्तार और दुनिया वेफ विभिन्न भागों में उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीजों की माँग बढ़ने लगी थी। इस माँग को पूरा करने के लिए केवल शहरों
में रहते हुए उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता था।
(iii) नए व्यापारी शहरों में कारोबार नहीं कर सकते थे। इसलिए वे गाँवों की तरफ जाने लगे। गाँवों में गरीब काश्तकार और दस्तकार सौदागरों के लिए काम करने लगे।
(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँच गया था।
उत्तर: गुजरात के तट पर स्थित सूरत बंदरगाह के जरिए भारत खाड़ी और लाल सागर के बंदरगाहों से जुड़ा हुआ था। जहाँ से दक्षिण-पूर्वी एशियाई बंदरगाहों के साथ खूब व्यापार चलता था। सूरत बंदरगाह के अठारहवी सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँचने के निम्नलिखित कारण थे :
(i) आपूर्ति सौदागरों और जहाज मालिक तथा निर्यातक व्यापारियों के बीच एक कड़ी बनने से यहाँ का व्यापार चलता था जो 1750 के दशक तक भारतीय सौदागरों के नियंत्रण वाला यह नेटवर्क टूटने लगा था |
(ii) यूरोपीय कंपनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। पहले उन्होंने स्थानीय दरबारों से कई तरह की रियायतें हासिल कीं और उसके बाद उन्होंने व्यापार पर इज़ारेदारी अधिकार प्राप्त कर लिए।
(iii) इन बंदरगाहों से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। पहले जिस कर्जे से व्यापार चलता था वह खत्म होने लगा। धीरे-धीरे स्थानीय बैंकर दिवालिया हो गए।
(iv) सत्रहवीं सदी के आखिरी सालों में सूरत बंदरगाह से होने वाले व्यापार का कुल मूल्य 1.6 करोड़ रुपये था। 1740 के दशक तक यह गिर कर केवल 30 लाख रुपये रह गया था।
(v) औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत के कारण वे अपने नियंत्रण के मुंबई और कलकता जैसे बंदरगाह विकसित करने लगे जिससे सूरत और हुगली अठारहवी सदी के अंत तक हाशिये पर चले गए |
(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
Q2. प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें :
(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर भारत का दबदबा था।
(ग) अमेरिकी गृहयुद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आई।
(घ) फ्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) सही
Q3. पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर: इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियों की स्थापना से भी पहले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था। बहुत सारे इतिहासकार औद्योगीकरण के इस चरण को आदि-औद्योगीकरण (protoindustrialisation) का नाम देते हैं।
चर्चा करे :
Q1. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे?
ऊतर: (i) उद्योगपतियों को श्रमिकों की कमी या वेतन के मद में भारी लागत जैसी कोई परेशानी नहीं थी। उन्हें ऐसी मशीनों में कोई दिलचस्पी नहीं थी जिनके कारण मजदूरों से छुटकारा मिल जाए और जिन पर बहुत ज्यादा' खर्चा आने वाला हो।
(ii) जिन उद्योगों में मौसम के साथ उत्पादन घटता-बढ़ता रहता था वहाँ उद्योगपति मशीनों की बजाय मशदूरों को ही काम पर रखना पसंद करते थे।
(iii) बहुत सारे उत्पाद केवल हाथ से ही तैयार किए जा सकते थे। मशीनों से एक जैसे तय किस्म के उत्पाद ही बड़ी संख्या में बनाए जा सकते थे। लेकिन विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग-कुलीन और पूँजीपति वर्ग- हाथों से बनी चीजों को तरजीह देते थे।
(iv) हाथ से बनी चीशों को परिष्कार और सुरुचि का प्रतीक माना जाता था। उनकी फिनिश अच्छी होती थी। उनको एक-एक करके बनाया जाता था और उनका डिजाईन अच्छा होता था।
Q2. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया।
उत्तर: (i) गुमाश्तों द्वारा बुनकरों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करना | साथ ही गुमाश्तो का कार्य बुनकरों पर निगरानी रखना, माल इकठ्ठा करना और कपड़ो की गुणवत्ता जाँचना होता था|
(ii) कंपनी ने बुनकरों पर अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया|
Q3. कल्पना कीजिए कि आपको ब्रिटेन तथा कपास के इतिहास के बारे में विश्वकोश (Encyclopaedia) के लिए लेख लिखने को कहा गया है। इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना लेख लिखिए।
उत्तर: (i) 1760 में ब्रिटेन अपने कपास उद्योग की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए 25 लाख पोंड कच्चे कपास का आयात करता था|
(ii) 1840 के दशक में कपास उद्योग भारत का सबसे बड़ा उद्योग बन गया था| यह एक गतिशील उद्योग था परन्तु इसके उत्पादन का बड़ा भाग घरेलू इकाइयों में होता था|
(iii) ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता स्थापित होने के पश्चात् भी भारतीय बारीक कपड़ो की यूरोप में भारी मांग थी|
(iv) अमेरिकी गृहयुद्ध आरंभ होने से अमेरिका से कपास न मिलने के कारण भारत से कच्चा माल ब्रिटेन जाने लगा| इस प्रकार समय के अनुसार ब्रिटेन ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए वस्त्र उद्योग में उन्नति की|
Q4. पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ?
उत्तर: पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के निम्नलिखित कारण थे:-
(i) भारतीय बजारों को एकदम नया विशाल बाज़ार मिल गया|
(ii) नए कारखानों की स्थापना की गई|
(iii) प्रथम विश्व युद्ध को लम्बे समय तक चलने के कारण भारतीय कारखानों में भी सेना के लिए जूट की बोरियाँ, फौजियों के लिए वर्दी के कपडे, टेंट और चमड़े के जूते , घोड़े व खच्चर के जीन तथा बहुत सरे अन्य समान बनाए जाने लगे|
उपर्युक्त कारणों से युद्ध के दौरान भारत में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई|