सिल्क मार्ग: ये मार्ग एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ-साथ विश्व को जमीन और समुद्र मार्ग से जोड़ते थे |
सिल्क मार्ग का महत्व :
(i) इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे।
(ii) वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
(iii) इसी मार्ग से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थी |
(iv) शुरुआती काल के ईसाई मिशनरी इसी मार्ग से एशिया में आते थे |
(v) बौद्ध धर्म भी इसी मार्ग से विश्व के विविध भागों में फैला था |
कॉर्न-लॉ : यह वह कानून है जिसके सहारे सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगा दी थी |
खाद्य पदार्थों का आदान प्रदान :
(i) आलू, सोया, मूँगपफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे। हमारे बहुत सारे खाद्य
पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियनों से हमारे पास आए हैं।
रिंडरपेस्ट : रिंडरपेस्ट प्लेग की भांति फैलने वाली मवेशियों की बीमारी थी | यह बीमारी 1890 ई० के दशक में अफ्रीका में बड़ी तेजी से फैली |
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ : बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना 1920 के दशक में हुई परन्तु इनका विश्वव्यापी प्रसार पचास और साठ के दशक में ही अधिक हुआ |
एल डोराडो : यह अमेरिका का एक शहर है जिसे सोने का शहर के नाम से जाना जाता है |
अमेरिका में चेचक का प्रभाव : यूरोपीय उपनिवेशवादी अपने साथ चेचक जैसी भयंकर बिमारियों के कीटाणु लेकर आये थे | यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परंपरागत किस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे | लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। फलस्वरूप, इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई। एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला। इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
यूरोप का विश्वव्यापार के रूप में विकसित होना :
अठारहवीं शताब्दी का काफी समय बीत जाने के बाद भी चीन और भारत को दुनिया के सबसे धनी देशों में गिना जाता था। एशियाई व्यापार में भी उन्हीं का दबदबा था। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पंद्रहवीं सदी से चीन ने दूसरे देशों वेफ साथ अपने संबंध कम करना शुरू कर दिए और वह दुनिया से अलग-थलग पड़ने लगा। चीन की घटती भूमिका और अमेरिका के बढ़ते महत्त्व के चलते विश्व व्यापार का केंद्र पश्चिम की ओर खिसकने लगा। अब यूरोप ही विश्व व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र बन गया।
वस्तुओं का प्रवाह : अंग्रेजी शासन के साथ गेंहूँ, सूती, ऊनी तथा रेशमी कपड़ों का प्रवाह भारत से इंग्लैंड में होता था |
श्रमिकों का प्रवाह : भारत में श्रमिक इंग्लैंड के श्रमिकों से सस्ते में उपलब्ध थे | इसलिए अंग्रेज इन्हें इंग्लैंड चाय, काफी, नील तथा तम्बाकू के बागानों में काम करने के लिए ले जाते थे |
ब्रिटेन वुड्स : ब्रिटेन वुड्स यु. एस. ए. में स्थित एक होटल का नाम है | दुसरे विश्व युद्ध के बाद इस होटल में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था संबंधी एक सम्मलेन आयोजित किया गया | इस सम्मलेन को ही ब्रिटेन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है |
G-77 : G-77 विकासशील देशों का समूह जिन्होंने आर्थिक विकास के लिए आवाज उठाई |
उन्नीसवीं सदी के विश्व में परिवर्तन करने वाले अविष्कार : भाप इंजन, रेलवे, टेलीग्राफ इत्यादि |
वीटों का अधिकार : वीटों एक विशेषाधिकार है जिसके सहारे कोई एक ही सद्स्य अपनी असहमति रखते हुए किसी भी प्रस्ताव को रोक सकता है |