अभ्यास-प्रश्नावली :
संक्षेप में लिखे :
Q1. व्याख्या करें -
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
उत्तर : उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन उपनिवेशों में उत्पीडन और दमन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ था | किसी भी औपनिवेशिक शासक के खिलाफ संघर्ष आपसी एकता के बिना संभव नहीं था | अलग-अलग लोगों के अलग-अलग हित और सबकी अपनी समस्याएँ थी | आजादी के सबके अपने मायने थे | परन्तु राष्ट्रवाद के उदय के साथ ही औपनिवेशिक शासकों के साथ संघर्ष का ढंग ही बदल गया | राष्ट्रवाद ने समाज के सभी तबकों को अपनी निजी समस्याओं से ऊपर उठकर देश के लिए संघर्ष करने की प्रेणना दिया |
(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया |
(घ) गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
Q2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर : सत्याग्रह के विचार का मतलब निम्न हैं -
(i) सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर |
(ii) प्रतिशोध या बदले की भावना के बिना संघर्ष करना |
(iii) अहिंसा के बल पर संघर्ष कर विजय प्राप्त करना |
(iv) उत्पीड़क शत्रु ही नहीं अपितु सभी को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करना |
Q3. निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें -
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
(ख) साइमन कमीशन
उत्तर (क) जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड : 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर के जलियाँवाला बाग में सैकड़ों बेकसूर हिन्दुस्तानियों की निर्मम हत्या की घटना हुई | 10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इसके बाद लोग बैंकों, डाकखानों
और रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और
जनरल डायर ने कमान सँभाल ली। उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव वाले एक मेले में शिरकत करने के लिए जलियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे। यह मैदान चारों तरफ से बंद था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। जिससे सैंकड़ों
लोग मारे गए।
उत्तर (ख) साइमन कमीशन' : 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। यह इस कमीशन के 4-5 अंग्रेज अधिकारी थे | कांग्रेस और मुस्लिम लीग जैसी सभी पार्टियों ने इस कमीशन के विरोध प्रदर्शन में भाग लिया | अंग्रेजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के निम्नलिखित उदेश्य थे - (i) 1919 के गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की समीक्षा की जा सके । (ii) यह सुझाव दिया जा सके कि भारतीय प्रशासन में कौन से नए सुधार लाया जा सके | (iii) भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक गतिरोध को दूर किया जा सके । परन्तु भारतियों के इसके विरोध के निम्नलिखित कारण थे - (i) इस कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था और (ii) इस कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था।
Q4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर: भरता माता को एक सन्यासिनी के रूप में शांत, गंभीर, दैवी और अध्यात्मिक गुणों वाली दर्शाया गया हैं| इसके विपरीत जर्मेनिया को बलूत वृक्षों के पत्तो के मुकुट पहने हुए दिखाया गया हैं क्योंकि जर्मनी में बैलट वीरता का प्रतीक हैं| इस प्रकार दोनों, भारत माता और जर्मेनिया, को शक्ति के रूप में दिखाया गया हैं| परन्तु भारत माता सन्यासिनी के गुणों से भी युक्त हैं|
चर्चा करें :
Q1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।
उत्तर : 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची
(a) मध्यवर्ग-
आशा: इनकी आशा थी कि युद्ध के दौरान जो भी मुसीबते जैसे महंगाई , जबरन भर्ती, अधिक कर, वह समाप्त हो गई परन्तु ऐसा नहीं हुआ |
संघर्ष: विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज का बहिष्कार कर दिया, शिक्षक द्वारा त्याग पत्र दिए गये, वकीलों द्वारा वकालत छोड़ी गई आदि|
(b) किसान -
आशा: किसानो को आशा थी कि उनका लगान कम होगा, बेगार का अन्त होगा तथा तालुकदारों और ज़मींदारो के अत्यचार समाप्त होंगे| किसानो की दशा बहुत खराब थी|
संघर्ष: किसानों ने ज़मींदारों का बहिष्कार करने के लिए नाई-धोबी बंद का फैसला किया| बाज़ारों में लूटपाट की गई और अनाज के गोदामों का धिकार किया गया|
(c) बगानों के मजदूर-
आशा: बागानों के मजदूरों को आशा थी कि अब स्वतंत्र रूप से अपने गाँव आ जा सकते हैं| स्वतंत्रता का अर्थ उनके गाँवों से संपर्क था तथा अपनी ज़मीन वापिस मिलना था|
संघर्ष: बागानों के मजदूरों ने बगान छोड़ कर अपने घर जाने का प्रयत्न किया परन्तु रेलवे और स्टीमरो की हड़ताल के कारन व पहुच न सके | पुलिस द्वारा पकड़ कर उनकी निर्मम पिटाई की गई| इस तरह उनकी आशाएं पूरी नहीं हुई|
Q2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खि़लाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर : (i) देश को एकजूट करने के लिए गांधी जी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक महसूस हुआ| क्योंकि नमक का प्रयोग सभी वर्ग के लोग करते थे| और नमक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था|
(ii) गाँधी जी ने 11 मांगो में नमक कर को भी सम्मिलित किया| उन्होंने लॉर्ड इरविन को पत्र लिखा और कहा की उनकी मांगे 11 मार्च तक न मानी गई तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारंभ कर देगी|
(iii) नमक आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी की कई गतिविधियाँ थी जैसे- प्रतिदिन दस मील सफ़र करना, भाषणों में स्वराज का अर्थ स्पष्ट करना, सभाओ में लोगो की अपार भीड़, नमक कारखानों के समक्ष प्रदर्शन इत्यादि|
Q3. कल्पना कीजिए की आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता।
उत्तर : अगर मै सिविल नाफ़रमानी अर्थात् सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेने वाली महिला होती , तो मेरे लिए यह गर्व की बात होती क्योंकि मै निम्नलिखित कार्यक्रमों में भाग लेती-
(i) मैं भी अन्य सत्याग्रहियों की तरह हजारो औरतों के साथ गांधी जी के भाषण सुनती और उन पर अम्ल करती|
(ii) मैं विभिन्न जुलूसों में भाग लेती और नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन करती|
(iii) मैं विदेशी कपडे व शराब की दुकानों पर अहिंसात्मक ढंग से धरना देती और आने वाली खरीदारों से शांतिपूर्वक प्रार्थना करती की वे विदेशी वस्तुएं न खरीदे|
Q4. राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर : राजनितिक नेताओं के पृथक निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर बँटने के निम्म्न्लिखित कारण थे |
(i) दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर दूसरे गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गाँधी के साथ उनका काफी विवाद हुआ।
(ii) गाँधी जी का मत था की दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी |
(iii) दलित आंदोलन से जुड़े नेता कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन को शंका की दृष्टि से ही देखते थे |
(iv) मुस्लिम लीग के नेता भी मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की माँग कर रहे थे |
(v) मोहम्मद अली जिन्ना भी मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र के बदले केन्द्रीय सभा में अरक्षित सीटों की माँग कर रहे थे |
(vi) हिन्दू महासभा के नेताओं ने भी इसके उलट बयान दिए |
प्रश्न : मोहम्मद अली जिन्ना की क्या माँग थी ?
उत्तर : उनका कहना था कि अगर मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में आरक्षित सीटें दी जाएँ और मुस्लिम बहुल प्रांतों (बंगाल और पंजाब) में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए तो वे मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग छोड़ने के लिए तैयार हैं।