आर्किमिडीज का सिद्धांत: जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमिडीज के सिद्धांत का अनुप्रयोग: आर्किमिडीज के सिद्धांत के बहुत से अनुप्रयोग
हैं।
जिनमें से ये तीन अनुप्रयोग प्रमुख है :
(i) यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिशाइन बनाने में काम आता है।
(ii) दुग्ध्मापी, जो दूध् के किसी नमूने की शुद्धता की जाँच करने के लिए प्रयुक्त होते हैं | तथा
(iii) हाइड्रोमीटर, जो द्रवों के घनत्व मापने के लिए प्रयुक्त होते हैं |
पानी कि सतह पर किसी वस्तु को रखने पर तैरना या डूबना : हमने अभी ऊपर आर्किमिडीज का सिद्धांत देखा, इस सिद्धांत के अनुसार जब किसी वस्तु को तरल (पानी) में डुबोया जाता है तो तरल द्वारा उस वस्तु पर एक बल (उत्प्लावन बल) लगता है यह बल वस्तु द्वारा हटाये गए तरल के भार के बराबर होता है अर्थात उत्प्लावन बल के बराबर होता है |
✲ यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से अधिक होगी तो बस्तु डूब जाएगी और यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से कम हो अथवा बराबर हो तो वह वस्तु तैरेगी | ✲
उदाहरण: मान लीजिए की हमने एक लोहे की कील को पानी में डुबोया, अब लोहे की कील जितना जगह (आयतन) घेरती है वह उतनी ही जगह के पानी को हटाएगी | लेकिन उतनी जगह की पानी का घनत्व और उतनी ही जगह के लोहे का घनत्व में काफी अंतर होगा | जैसा कि हमने लोहे और प्लास्टिक के उदाहरण में देखा था | तो हम पाते है कि उतनी ही जगह में लोहे का भार उतनी ही जगह में पानी का भार से अधिक है, तो आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार वह कील डूब जाएगी |
लोहे कि कील डूब जाती है : लोहे की कील का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है। इसका अर्थ है कि लोहे की कील पर पानी का उत्प्लावन बल लोहे की कील के भार से कम है। इसीलिए यह डूब जाती है।
कॉर्क का तैरना : कॉर्क का घनत्व पानी के घनत्व से कम है। इसका अर्थ है कि कॉर्क पर पानी का
उत्प्लावन बल, कॉर्क के भार से अधिक है। इसीलिए यह तैरता है
निष्कर्ष : द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव में डूब जाती हैं।
इस प्रकार के बहुत से प्रश्न हैं - जैसे लोहे कील डूब क्यों जाती है और लोहे का जहाज डूबता नहीं हैं ?
सुखी लकड़ी पानी की सतह पर तैरती क्यों है ?
कोई वस्तु पानी कि सतह पर तैरती क्यों है ?
कोई वस्तु पानी कि सतह पर डूब क्यों जाती है ?
गुरुत्व बल एवं उत्प्लावन बल में अंतर :
गुरुत्व बल | उत्प्लावन बल |
1. यह नीचे की ओर कार्य करता है | 2. गुरुत्व बल पृथ्वी द्वारा लगाया गया बल है | 3. यह किसी वस्तु के भार के बराबर होता है | |
1. यह ऊपर की ओर कार्य करता है | 2. यह तरल पदार्थों द्वारा लगाया गया बल है | 3. यह यह वस्तु द्वारा हटाये गए तरल के भार के बराबर होता है | |
आपेक्षिक घनत्व (Relative Density): किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ का घनत्व व पानी के घनत्व का अनुपात है।
आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता है, क्योंकि यह समान राशियों का अनुपात होता है | दोनों राशियाँ घनत्व ही होती हैं |
उदाहरण (NCERT BOOK) : चाँदी का आपेक्षिक घनत्व 10.8 है | पानी का घनत्व 103 kg m-3 है टो SI मात्रक में चाँदी का घनत्व क्या होगा ?
हल: चाँदी का आपेक्षिक घनत्व = 10.8
चाँदी का घनत्व = चाँदी का आपेक्षिक घनत्व × पानी का घनत्व
= 10.8 × 1000 kg m-3
= 10.8 × 103 kg m-3