अर्थशास्त्र का परिचय :
अर्थशास्त्र (ECONOMICS): अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न उदेश्यों और वैकल्पिक उपयोगों वाले दुर्लभ संसाधनों के सम्बन्ध में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है |
अर्थशास्त्र के प्रकार :
अर्थशास्त्र का अध्ययन इसके दो आर्थिक सिद्धांत की शाखाओं के अध्ययन से किया जाता है, जो निम्न है |
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र : व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो व्यक्तिगत इकाईयों जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है |
(2) समष्टि अर्थशास्त्र : समष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर एक अर्थव्यवस्था से सम्बंधित आर्थिक तथ्यों जैसे - पूर्ण रोजगार की समस्या, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, बचत, निवेश, समग्र उपभोग आदि का अध्ययन कराता है |
व्यष्टि अर्थशास्त्र का वृक्ष वर्गीकरण:
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व :
यदि समष्टि अर्थशास्त्र को स्थूल (macro) शरीर माने तो व्यष्टि अर्थशास्त्र उस शरीर की सूक्ष्म (micro) आत्मा है | व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्व निम्नलिखित है -
(i) यह अर्थव्यवस्था से सम्बंधित नीतियाँ बनाने में सहायक है, जो उत्पादक कुशलता को बढ़ा देती हैं |
(ii) इसमें व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है | यह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली का वर्णन करता है |
(iii) यह यह बताता है कि किसी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था में कोई व्यक्तिगत इकाई संतुलन कैसे प्राप्त करती है |
(iv) यह सरकार को कीमत नीतियों के निर्धारण में मदद करता है |
(v) यह व्यवसायी अर्थशास्त्रियों को अपने व्यवसाय के लिए सही पूर्वानुमान लगाने में सहायता करता है |
(vi) यह संसाधनों के कुशल प्रयोग में मदद करता है |
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर -
व्यष्टि अर्थशास्त्र -
(i) व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाई से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन कराता है |
(ii) व्यष्टि अर्थशास्त्र एक उत्पादक तथा एक उपभोक्ता से सम्बंधित है |
(iii) व्यष्टि अर्थशास्त्र में समष्टि चर स्थिर रहते है |
समष्टि अर्थशास्त्र -
(i) समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन कराता है |
(ii) समष्टि अर्थशास्त्र पुरे अर्थव्यवस्था से सम्बंधित है |
(iii) समष्टि अर्थशास्त्र में व्यष्टि चर स्थिर रहते है |
आर्थिक समस्या - आर्थिक समस्या से अभिप्राय चयन की समस्या है जो निम्न कारको के कारण उत्पन होती है -
(i) संसाधन सीमित है |
(ii) मानवीय इच्छाएँ असीमित है |
(iii) संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग है |
दुर्लभता - दुर्लभता से अभिप्राय उस स्थति से है जब संसाधन उसकी माँग से कम मात्रा में उपलब्ध होते है | जैसे - पेट्रोल की माँग उसकी उपलब्धता से अधिक है अतः पेट्रोल एक दुर्लभ संसाधन है |
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ -
(क) क्या उत्पादन किया जाए - क्या उत्पादन किया जाए समस्या 'किस वस्तु' का उत्पादन किया जाए तथा 'कितनी मात्रा ' में किया जाए से सम्बंधित है | प्रत्येक उत्पादक को उत्पादन करने से पूर्व यह निर्णय लेना होता है कि वह किस वस्तु का उत्पादन करे और कितना करे | यह समस्या तब और बड़ी हो जाती है जब एक उत्पादक को यह निर्णय लेना होता है कि वह उपभोक्ता वस्तु का उत्पादन करे या पूंजीगत वस्तु का क्योंकि उपभोक्ता वस्तुएं तथा पूंजीगत वस्तुएं दोनों ही जरुरी है | उपभोक्ता वस्तुएं जीवन स्तर को सुधारने में सहायता करती है तथा पूंजीगत वस्तुएं उत्पादन क्षमता को बढ़ने में सहायता करती है | अब यहाँ यह समस्या उत्पन हो जाती है की उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए तथा पूंजीगत वस्तुओं का कितना |
(ख) कैसे उत्पादन किया जाए - कैसे उत्पादन किया जाए समस्या उत्पादन की तकनीक से सम्बंधित है | यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब एक उत्पादक को उत्पादन कि दो तकनीको श्रम प्रधान तकनीक तथा पूंजी प्रधान तकनीक के बीच चयन करना पड़ता है | श्रम प्रधान तकनीक अर्थ है पूंजी कि तुलना में श्रम का अधिक प्रयोग तथा पूंजी प्रधान तकनीक का अर्थ है श्रम की तुलना में पूंजी का अधिक प्रयोग | श्रम प्रधान तकनीक रोजगार को बढ़ावा देती है तथा पूंजी प्रधान तकनीक कुशलता को बढ़ावा देती है |
(ग) किसके लिए उत्पादन किया जाए - किसके लिए उत्पादन किया जाए समस्या किस वर्ग के लिए उत्पादन किया जाए से सम्बंधित है | यह समाज के दो वर्ग अमीर तथा गरीब से सम्बंधित है | यह समस्या तब और जटिल हो जाती है जब उत्पादक को यह निर्णय लेना पड़ता है की वह किस वर्ग को ध्यान में रखकर उत्पादन करे | धनि वर्ग के लिए उच्च मूल्य वाली विलासिता की वसतुओं का उत्पादन करे या निर्धन वर्ग के लिए कम मूल्य वाली आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करे |
किसके लिए उत्पादन किया जाए समस्या आय के वितरण से भी सम्बंधित है | एक उत्पादक को यह निर्णय लेना होता है कि वह किए गए उत्पादन को कैसे उत्पादन में सहयोग देने वाले कारको के बीच विभाजीत करे | जैसे - श्रम के लिए मजदूरी, पूंजी के लिए ब्याज तथा भूमि के लिए किराया |