विजयनगर कि भौगोलिक स्थिति : यह उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था।
विजयनगर का इतिहास : विजयनगर एक शहर और एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयुक्त नाम था | 1565 में इस पर आक्रमण कर इसे लूटा गया और बाद में यह उजड़ गया। हालाँकि सत्राहवीं-अठारहवीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह से विनष्ट हो गया था, पर फिर भी कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में यह जीवित रहा। उन्होंने इसे हम्पी नाम से याद रखा। इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुआ था।
विजयनगर साम्राज्य के बारे में जानकारी के स्रोत :
(i) मौखिक परम्पराओं द्वारा
(ii) पुरातात्विक खोजों द्वारा
(iii) स्थापत्य के नमूनों द्वारा
(iv) अभिलेखों एवं अन्य दस्तावेजों द्वारा
कर्नल कॉलिन मकेंजी द्वारा हम्पी कि खोज : कर्नल कॉलिन मकेंजी एक अभियंता तथा पुरातत्वविद थे जो ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे | उन्होंने इस स्थान का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया | उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारियाँ विरुपाक्ष मंदिर तथा पम्पादेवी के पूजास्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थीं। यह खोज उन्होंने 1800 ई० में की थी | 1836 से ही अभिलेखकर्ताओं ने यहाँ और हम्पी के अन्य मंदिरों से कई दर्जन अभिलेखों को इकठ्ठा करना आरंभ कर दिया। इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास में इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों तथा तेलुगु, कन्नड़, तमिल और संस्कृत में लिखे गए साहित्य से मिलान किया।
विजयनगर साम्राज्य कि स्थापना :
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दो भाइयों-हरिहर और बुक्का-द्वारा 1336 में की गई थी। इस साम्राज्य की अस्थिर सीमाओं में अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले तथा अलग-अलग धार्मिक परंपराओं को मानने वाले लोग रहते थे। अपनी उत्तरी सीमाओं पर विजयनगर शासकों ने अपने समकालीन राजाओं, जिनमें दक्कन के सुलतान तथा उड़ीसा के गजपति शासक शामिल थे, उर्वर नदी घाटियों तथा लाभकारी विदेशी व्यापार से उत्पन्न संपदा पर अधिकार के लिए संघर्ष किया। साथ ही इन राज्यों के बीच संपर्क से विचारों का आदान-प्रदान, विशेष रूप से स्थापत्य के क्षेत्र में, होने लगा। विजयनगर के शासकों ने अवधारणाओं और भवन निर्माण की तकनीकों को ग्रहण किया जिन्हें उन्होंने आगे और विकसित किया।
मंदिरों का संरक्षण : इस क्षेत्र के शासकों ने निम्नलिखित मंदिरों को संरक्षण प्रदान किया -
(i) तंजावुर के वृहदेश्वर मंदिर
(ii) बेलूर के चन्नकेशव मंदिर
विजयनगर शासकों कि उपाधि : विजयनगर के शासक अपने आप को राय कहते थे |
व्यापार :
(i) यहाँ के शासक अरब तथा मध्य एशिया से घोड़ों का आयात करते थे, यह व्यापार आरंभिक चरण में अरब व्यापारियों द्वारा नियंत्रित था |
(ii) पुर्तगाली लोग जो उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर आए और व्यापारिक और सामरिक केंद्र स्थापित करने लगे |
(iii) विजयनगर मसलों, वस्त्रों और रत्नों के अपने बाजारों के लिए प्रसिद्द था |