माँग की कीमत लोच (The Price Eleaticity of Demand)
कीमत में परिवर्तन के परिणाम स्वरुप वस्तु की माँगी गई मात्रा में परिवर्तन माँग की कीमत लोच कहलाती है |
माँग के नियम के अनुसार, जब किसी वस्तु की कीमत गिरती है तो उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक माँग करता है | इससे कीमत के साथ-साथ माँग में भी परिवर्तन होता है | Δ
जहाँ,
ΔQ = माँगी गई मात्रा में परिवर्तन (Q1 - Q);
Q = माँगी गई मूल मात्रा ;
ΔP = कीमत में परिवर्तन (P1 - P);
P = मूल कीमत ;
eD = माँग की लोच का गुणांक है जो ऋणात्मक होता है |
कीमत तथा माँग में विपरीत सम्बन्ध होने के कारण माँग की लोच का मान ऋणात्मक होता है |
माँग की कीमत लोच के प्रकार
यह पांच प्रकार के होते हैं |
(i) पूर्णतया बेलोचदार माँग |
(ii) बेलोचदार माँग |
(iii) इकाई लोचदार माँग |
(iv) लोचदार माँग |
(v) पूर्णतया लोचदार माँग |
(i) पूर्णतया बेलोचदार माँग (eD= 0) : इसका माप शून्य के बराबर होता है |
कारण: जब वस्तु की माँग में, कीमत में परिवर्तन की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं आता , तो इस प्रकार की माँग पूर्णतया बेलोचदार माँग कहलाती है |
गुण: माँगी गई मात्रा से कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता है |
ऐसी वस्तुएँ (आवश्यकता की बस्तुएं ) किसी भी अवस्था में उपभोक्ता को चाहिए चाहे कीमत कुछ भी हो |
ऐसा आवश्यक वस्तुओं की माँग पर होता है जैसे - जीवनदायी दवाइयाँ आदि |
(ii) बेलोचदार माँग (0 < eD <1): इसे इकाई से कम लोचदार माँग भी कहते है | इसका माप 0 से अधिक और 1 से कम होता है |
कारण: जब कीमत में परिवर्तन के कारण माँगी गयी मात्रा में अनुपातिक परिवर्तन अपेक्षा से कम होता है तो माँग कम लोचदार या बेलोचदार होता है |
गुण: माँगी गई मात्रा में परिवर्तन कीमत में परिवर्तन की तुलना में कम होता है |
(iii) इकाई लोचदार माँग (eD= 1): इस माँग की माप 1 इकाई के बराबर होता है |
कारण: जब माँग में प्रतिशत परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के बराबर होता है तो वस्तु की माँग इकाई लोचदार कहलाती है |
गुण: माँगी गई मात्रा में परिवर्तन कीमत के परिवर्तन के बराबर होता है |
ऐसी स्थिति समान्य वस्तुओं के उपयोग से उत्पन्न होता है |
(iv) लोचदार (इकाई से अधिक लोचदार) माँग (1 < eD ): इसका अनुपातिक माप 1 से अधिक होता है |
कारण: जब कीमत में हल्का परिवर्तन होने से माँग में कीमत की तुलना में अधिक अनुपातिक परिवर्तन होता है तो लोचदार माँग की स्थिति उत्पन्न होती है |
गुण: कीमत में थोडा परिवर्तन से ही माँग में अधिक परिवर्तन होता है |
उदहारण :
विलासिता की वस्तुएँ : महँगी कार, आभूषण, पाँच सितारा होटल में भोजन इत्यादि |
(v) पूर्णतया लोचदार माँग (eD = ∞): इस अवस्था में माँग की लोच अनंत (∞ infinity) होती है |
कारण: जब किसी वस्तु के कीमत में परिवर्तन हुए बिना जब माँग में कमी या वृद्धि होती है तो यह अवस्था पूर्णतया लोचदार होती है |
गुण: इसमें स्थिर कीमत पर माँग बदलती रहती है |यह स्थिति पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में पाई जाती है जब माँग वक्र लोचदार होता है |
माँग की लोच ज्ञात करने की विधि :
माँग की लोच तीन विधियों से ज्ञात किया जाता है |
(1) कुल व्यय विधि
(2) प्रतिशत विधि या अनुपातिक विधि: इस विधि के अनुसार माँग की लोच (eD) की गणना सूत्र के द्वारा की जाती है | जो निम्न है |
जहाँ,
ΔQ = माँगी गई मात्रा में परिवर्तन (Q1 - Q);
Q = माँगी गई मूल मात्रा ;
ΔP = कीमत में परिवर्तन (P1 - P);
P = मूल कीमत ;
(3) रेखागणितीय विधि या बिन्दु विधि: इस विधि में माँग वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर माँग की कीमत लोच ज्ञात किया जाता है | इसे बिंदु विधि भी कहा जाता है |
इसमें जिस बिंदु पर माँग की लोच ज्ञात करना होता है | उस बिंदु के निचले तथा ऊपरी भाग का अनुपात उस बिंदु का माँग लोच होता है |
माँग वक्र पर माँग की लोच (eD) का ज्यामितीय चित्रण
जिस बिंदु का माँग की लोच (eD) ज्ञात करना हो उस बिंदु का निचला भाग को अंश और ऊपरी भाग को हर के रूप में लिखते हैं | इन दोनों का भागफल माँग की लोच होता है |
सूत्र :
उदाहरण: मान लीजिये की आपको ऊपर दी गयी आकृति से बिंदु C का (eD) ज्ञात करना है तो C का निचला भाग BC है और ऊपरी भाग AC है , तो इस प्रकार प्राप्त होता है |
जहाँ BC < AC से , इसलिए (eD) का मान 1 से कम होगा |
अत: (eD < 1)
बिंदु D पर AD = BD के इसलिए यहाँ
(eD= 1) होगा|