व्यक्तिगत माँग फलन:
एक व्यक्तिगत उपभोक्ता द्वारा बाजार में उसकी माँग विभिन्न निर्धारक तत्वों से किस प्रकार सम्बंधित है यह दर्शाता है |
इसे निम्नलिखित तरीके से व्यक्त किया जाता है |⇓
Dx= f(Px, Pr, Y, T, E)
वस्तु X की माँगी गयी मात्रा = Dx;
वस्तु X की कीमत = Px;
सम्बंधित वस्तुओं की कीमत = Pr;
उपभोक्ता की आय = Y;
उपभोक्ता की प्राथमिकता या रूचि = T;
उपभोक्ता की संभावनायें = E;
माँग का नियम : किस वस्तु की कीमत तथा उसकी माँग के बीच के विपरीत सम्बन्ध को माँग का नियम (Law of Demand) कहा जाता है |
(1) वस्तु की कीमत: वस्तु की कीमत बढ़ने पर वस्तु की माँग घटती है तथा इसके विपरीत वस्तु की कीमत घटने पर वस्तु की माँग बढ़ती है |
(2) सम्बंधित वस्तुओं की कीमत: सम्बंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन होने से एक वस्तु की माँग प्रभावित होती है |
सम्बंधित वस्तुओं के प्रकार :
(a) प्रतिस्थापन वस्तुएँ (Substitute Goods): वे वस्तुएँ जिनका प्रयोग एक दुसरे के बदले या स्थान पर किया जाता है प्रतिस्थापन वस्तुएँ कहलाती है | जैसे - गेंहूँ का आटा की प्रतिस्थापन वस्तु बाजरे की आटा, पेप्सी की जगह कोक |
जब गेंहूँ के आटे की कीमत बढ़ जाएगी तो उपभोक्ता उसकी प्रतिस्थापन वस्तु बाजरे की आटा को उपभोग शुरू कर देंगे, जिससे बाजरे की माँग बढ़ जाएगी और माँग बढ़ने से माँग के नियम के अनुसार माँग बढ़ेगी तो कीमत भी बढेगा |
वस्तु की कीमत में वृद्धि
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प्रतिस्थापन वस्तु के उपभोग में वृद्धि
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प्रतिस्थापन वस्तु की बाजार माँग में वृद्धि
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प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि
यहाँ वस्तु के कीमत वृद्धि से प्रतिस्थापन वस्तु में परिवर्तन को दर्शाया गया है |
(b) पूरक वस्तुएँ : वे वस्तुएँ जो किसी वस्तु की माँग को पूरा करती है, पूरक वस्तुएँ कहलाती है |
जैसे : चाय और चीनी |
जब कोई उपभोक्ता चाय का उपभोग करता है तो साथ-साथ उसे चीनी की भी आवश्यकता होती है, तो चाय का उपभोग बढ़ने से चीनी की माँग में भी वृद्धि होगी |
(3) उपभोक्ता की आय : उपभोक्ता की आय में परिवर्तन से वस्तु की माँग प्रभावित होते हैं |
उपभोक्ता की आय में वृद्धि से वस्तु की माँग बढ़ जाती है |
उपभोक्ता की आय में कमी से वस्तु की माँग घट जाती है |
गुणवता के आधार पर वस्तुएँ तीन प्रकार की होती है |
(a) समान्य वस्तुएँ (Normal Goods):
(b) घटिया वस्तुएँ (Inferior Gooods):
(c) ऊँच कोटि की वस्तुएँ (Higher Goods):
(4) रूचि तथा प्राथमिकता: वस्तुओं तथा सेवाओं की माँग व्यक्ति के रूचि तथा उसके प्राथमिकता पर निर्भर करता है | यदि किसी वस्तु के लिए उपभोक्ता की रूचि तथा प्राथमिकता बढ़ जाती है तो वस्तु की माँग भी बढ़ जाएगी |
(5) संभावनाएँ (Expectations): जब किसी वस्तु की निकट भविष्य में उसकी उपलब्धता में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन होने वाला होता है तो उस वस्तु की माँग बढ़ जाती है | इससे उपभोक्ता उस वस्तु की वर्त्तमान कीमत पर वस्तु की अधिक माँग करेगा |
बाजार माँग फलन :
बाजार माँग से तात्पर्य है किसी वस्तु की समग्र माँग (बाजार माँग = कुल व्यक्तिगत मांगों का योग) और उसके विभिन्न निर्धारक तत्वों के बीच सम्बन्ध से है |
Mkt. Dx = f(Px, Pr, Y, T, E, N, Yd)
माँग के नियम की मान्यताएँ
माँग का नियम तभी लागु होता है जब अन्य बातें समान रहती है अर्थात वस्तु की अपनी कीमत के अतिरिक्त माँग को प्रभावित करने वाले अन्य कारक को स्थिर (constant) मान लिया जाता है|
(a) उपभोक्ता की रुचियों और प्राथमिकताओं में परिवर्तन न हो |
(b) क्रेता की आय में कोई परिवर्तन न हो |
(c) सम्बंधित वस्तुएँ (प्रतिस्थापन वस्तुएँ, पूरक वस्तुएँ ) की कीमत के कोई परिवर्तन न हो |
मांग वक्र के ढालू होने के कारण :
(1) ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम
(2) प्रतिस्थापन प्रभाव
(3) आय प्रभाव
(4) नए उपभोक्ताओं द्वारा मांग
आय प्रभाव : वस्तु की कीमत में गिरावट के साथ -साथ उपभोक्ता की वास्तविक क्रय शक्ति बढ़ जाती है जिससे वह उतनी आय में और अधिक वस्तु की मात्रा खरीद सकता है अथवा उतनी ही आय में पहले से अधिक कीमती वस्तु की पहले जीतनी मात्रा खरीद सकता है, इसे ही आय प्रभाव कहते है |
प्रतिस्थापन प्रभाव: किसी वस्तु की कीमत में गिरावट के साथ-साथ उपभोक्ता उस वस्तु की अन्य प्रतिस्थापन वस्तुओं की कीमत में वृद्धि अनुभव करता है जिसके फलस्वरूप वह उस वस्तु विशेष की मांग को बढ़ाएगा | इसे ही प्रतिस्थापन प्रभाव कहते हैं |