औद्योगिक क्रांति : ब्रिटेन में, 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थ व्यवस्था का जो रूपांतरण हुआ उसे प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है |
औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक परिणाम :
(i) नई मशीनों और तकनीकों का विकास हुआ |
(ii) हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों की तुलना में भारी पैमाने पर माल के उत्पादन को संभव बनाया |
(iii) भाप इंजन के अविष्कार से ब्रिटेन के उद्योग में एक नयी क्रांति आ गयी और जहाजों और रेलगाड़ियों द्वारा परिवहन की गति अधिक तेज हो गई |
(iv) औद्योगीकरण की वजह से लोग समृद्ध होने लगे और उनके जीवनशैली में काफी परिवर्तन आया |
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग :
औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों जैसे फ्रांस में जर्जिस मिशले (Georges Michelet) और जर्मनी में फ्राइड्रिक एंजेल्स(Friedrich Engels) द्वारा किया गया | अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी (Arnold Toynbee,1852-83) उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे |
- सबसे पहला औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन में हुआ |
कृषि क्रांति : अठारहवी शताब्दी में इंग्लैंड एक बड़े आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था, जिसे बाद में कृषि-क्रांति कहा गया |
कृषि-क्रांति के प्रमुख कारण :
(i) ब्रिटेन में आये औद्योगिक क्रांति के कारण नए कल पुर्जो का बाढ़ सी आ गई जिसका फायदा कृषि क्षेत्र को भी मिला |
(ii) लोगों के नए विकल्प मिले और वस्तुओं के बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हुआ |
(iii) बड़े जमींदारों ने अपनी ही सम्पतियों के आस-पास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए और गाँव के सार्वजानिक जमीनों को घेर लिया |
(iv) भू-सम्पदाएँ बढ़ने से खाध्य उत्पादन में भारी वृद्धि हुई |
18 वीं शताब्दी में लंदन वित्त और व्यापार का केंद्र बना :
अठारहवीं शताब्दी से, यूरोप के बहुत-से शहर क्षेत्रफल और आबादी दोनों ही दृष्टियों से बढ़ने लगे थे। जिसमें लंदन सबसे बड़ा शहर था और i बड़े-बड़े शहर इसके आस-पास ही थे | लंदन यूरोप में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में भी एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था | अठारहवीं शताब्दी तक आते-आते भूमंडलीय व्यापार का केंद्र, इटली तथा फ़्रांस के भूमध्यसागरीय पत्तनों (बंदरगाह) से हटकर, हॉलैंड और ब्रिटेन के अटलांटिक पत्तनों पर आ गया था। इसके बाद तो लंदन ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण प्राप्ति के प्रधान स्रोत के रुप में ऐम्सटर्डम का स्थान ले लिया। साथ ही, लंदन, इंग्लैंड, अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केंद्र भी बन गया। अमरीका और एशिया में व्यापार करने वाली कंपनियों के कार्यालय भी लंदन में थे।
ब्रिटेन के तीन हिस्से और उसकी विशेषताएँ :
इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड ये ब्रिटेन के तीन हिस्से थे जिस पर एक ही राजतन्त्र अर्थात सम्राट का शासन था |
विशेषताएँ :
(i) सम्पूर्ण राज्य में एक ही कानून व्यवस्था थी |
(ii) एक ही सिक्का अर्थात मुद्रा प्रणाली थी |
(iii) इन तीनों राज्यों के लिए एक बाजार व्यवस्था थी जिससे व्यापार करने वालों को एक राज्य से दुसरे राज्य में व्यापार करने पर अलग से कर नहीं चुकाना पड़ता था |
पिटवा लोहे का विकास : द्वितीय डर्बी (1711-68) ने ढलवा लोहे से पिटवा लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था | हेनरी कोर्ट (1750-1823) ने आलोडन भटठी और बेलन मिल का अविष्कार किया | बेलन मिल एक संयंत्र है जिनसे पिघले लोहे में से अशुद्धि को दूर किया जा सकता था |
औद्योगिक क्रांति (औद्योगीकरण) का बुरे प्रभाव :
(i) औद्योगिक क्रांति के प्रभाव बच्चों व महिलाओं पर अधिकतर नकारात्मक रहे |
(ii) शैशव अवस्था में बच्चों की मौत,गरीब मजदुर खासकर बच्चों की दुर्दशा, पर्यावरण का क्षय और हैजा तथा तपेदिक की बीमारियाँ औद्योगीकरण की देन थी |
(iii) घिनौनी एवं गन्दी बस्तियों में रहना, कम मजदूरी में अधिक घंटे काम करना |
(iv) परिवारों में विखराव हुआ तथा रोजगार के तलाश में गांवों से शहरों में लोगों का पलायन हुआ जिससे शहरों का रूप विकृत हो गया |
(v) ब्रिटेनवासियों को पुराने मौसम में बदलाव के साथ-साथ बहुत से पर्यावरणीय संकटों का सामना करना पड़ा |
बच्चों और महिलाओ के दशा सुधारने के लिए ब्रिटेन में कानून :
बच्चों और महिलाओं की दशा सुधारने के लिए ब्रिटेन में कई कानून बनाये गए जो निम्नलिखित थे |
(i) 1833, 1842 खान और कोयला खान अधिनयम बनाया गया जिसके तहत 10 वर्ष के कम आयु बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर प्रतिबन्ध था |
(ii) 1847 का अधिनियम जिसे फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम कहा जाता है | इसके तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व स्त्रियों से 10 घंटे से अधिक काम लेने पर पाबन्दी थी |
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में दो वर्गों का उदय :
(i) मालिक
(ii) मजदुर वर्ग