दूसरा वर्ग - अभिजात वर्ग
यूरोप के सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका थी | ऐसे महत्वपूर्ण संसाधन भूमि पर उनके नियंत्रण के कारण था | यह वैसलेज (Vassalage) नामक एक प्रथा के विकास के कारण हुआ था | बड़े भू-स्वामी और अभिजात वर्ग राजा के आधीन होते थे जबकि कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे। अभिजात वर्ग राजा को अपना स्वामी मान लेता था और वे आपस में वचनबद्ध होते थे- सेन्योर/लॉर्ड (लॉर्ड एक ऐसे शब्द से निकला जिसका अर्थ था रोटी देने वाला) दास (Vassal) की रक्षा करता था और बदले में वह उसके प्रति निष्ठावान रहता था। इन संबंधों में व्यापक रीति-रिवाजों और शपथ लेकर की जाती थी |
अभिजात वर्ग की विशेषताएँ :
(i) अभिजात वर्ग की एक विशेष हैसियत थी। उनका अपनी संपदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियंत्राण था। (ii) वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकते थे उनके पास अपनी सामंती सेना थी।
(iii) वे अपना स्वयं का न्यायालय लगा सकते थे |
(iv) यहाँ तक कि अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे।
(v) वे अपनी भूमि पर बसे सभी व्यक्तियों के मालिक थे।
मेनर : सामंतों (लार्ड) के घर मेनर कहलाता था |
मेनर की जागीर :
लॉर्ड का अपना मेनर-भवन होता था। वह गाँवों पर नियंत्रण रखता था - कुछ लॉर्ड, अनेक गाँवों के मालिक थे। किसी छोटे मेनर की जागीर में दर्जन भर और बड़ी जागीर में 50 या 60 परिवार हो सकते थे। प्रतिदिन के उपभोग की प्रत्येक वस्तु जागीर पर मिलती थी - अनाज खेतों में उगाये जाते थे, लोहार और बढ़ई लॉर्ड के औजारों की देखभाल और हथियारों की मरम्मत करते थे, जबकि राजमिस्त्री उनकी इमारतों की देखभाल करते थे। औरतें वस्त्र कातती एवं बुनती थीं और बच्चे लॉर्ड की मदिरा सम्पीडक में कार्य करते थे। जागीरों में विस्तृत अरण्यभूमि और वन होते थे जहाँ लॉर्ड शिकार करते थे। उनके यहाँ चरागाह होते थे जहाँ उनके पशु और घोड़े चरते थे। वहाँ पर एक चर्च और सुरक्षा के लिए एक दुर्ग होता था।
मेनर आत्मनिर्भर नहीं थे क्योंकि -
मेनरों में आवश्यकता की सभी चीजें उपलब्ध होती थी परन्तु उसके बाद भी वे आत्मनिर्भर नहीं थे क्योंकि -
(i) उन्हें नमक, चक्की का पाट और धातु के के बर्तन बाहर के स्रोतों से प्राप्त करने पड़ते थे।
(ii) ऐसे लॉर्ड जो विलासी जीवन बिताना चाहते थे और मँहगे साजो-सामान, वाद्य यंत्र और आभूषण खरीदना चाहते थे जो स्थानीय जगहों पर उपलब्ध् नहीं होते थे, ऐसी चीजों को इन्हें दूसरे स्थानों से प्राप्त करना पड़ता था।
नाइट : कुशल अश्वसैनिकों को नाइट्स कहा जाता था |
नौवीं सदी में प्राय: युद्ध होते रहते थे जिससे इस नए वर्ग को बढ़ावा दिया गया | ये बहुत ही कुशल घुड़सवार सैनिक थे | जो लार्ड के लिए युद्ध लड़ा करते थे |
नाइट्स की विशेषताएँ :
(i) नाइट्स लॉर्ड से उसी प्रकार सम्बद्ध थे जिस प्रकार लॉर्ड राजा से सम्बद्ध था।
(ii) लार्ड्स नाइट्स की रक्षा करने का वचन देता था |
(iii) नाइट और उसवेफ परिवार के लिए एक पनचक्की और मदिरा संपीडक के अतिरिक्त, उसके व उसके परिवार के लिए घर, चर्च और उस पर निर्भर व्यक्तियों के रहने की व्यवस्था शामिल थी।
(iv) नाइट अपने लॉर्ड को एक निश्चित रकम देता था और युद्ध में उसकी तरफ से लड़ने का वचन देता था।
(v) अपनी सैन्य योग्यताओं को बनाए रखने के लिए, नाइट प्रतिदिन अपना समय बाड़ बनाने/घेराबंदी करने और पुतलों से रणकौशल एवं अपने बचाव का अभ्यास करने में निकालते थे।
(vi) नाइट अपनी सेवाएँ अन्य लॉर्डों को भी दे सकता था पर उसकी सर्वप्रथम निष्ठा अपने लॉर्ड के लिए ही होती थी।