रोम साम्राज्य का ह्रदय :
यूरोप और अफ्रीका के महाद्वीप एक समुद्र द्वारा एक-दूसरे को अलग किए हुए हैं जो पश्चिम में स्पेन से लेकर पूर्व में सीरिया तक फैला हुआ है। इस समुद्र को भूमध्यसागर कहा गया है और यह उन दिनों रोम साम्राज्य का हृदय था।
रोम साम्राज्य का विस्तार :
(i) रोम का भूमध्यसागर और उत्तर तथा दक्षिण की दोनों दिशाओं में सागर के आसपास स्थित
सभी प्रदेशों पर प्रभुत्व था।
(ii) उत्तर में साम्राज्य की सीमा का निर्धरण दो महान नदियों राइन और डैन्यूब से होता था और दक्षिणी सीमा सहारा नामक अति विस्तृत रेगिस्तान से बनती थी।
(iii) रोम साम्राज्य की उत्तरी सीमा, राइन और डैन्यूब नदियाँ निर्धारित करती थी, दक्षिण सीमा सहारा रेगिस्तान से बनती थी |
(iv) यूरोप और अफ्रीका के महाद्वीपों के बीच भूमध्य सागर था जो पश्चिम में स्पेन और पूर्व से सीरिया तक फैला था |
रोम के सम्राज्य का स्रोत-सामग्री जिसे तीन वर्गों में विभाजित किया गया है -
(i) पाठ्य सामग्री - जैसे वर्ष-वृतांत, पत्र, व्याख्यान, प्रवचन और कानून |
(ii) प्रलेख या दस्तावेज - पैपाइरस पर लिखे गए प्रलेख या दस्तावेज |
(iii) भौतिक अवशेष - इमारतें वर्तन सिक्के आदि |
वर्ष-वृतांत (Annals) : रोम में समकालिन व्यक्तियों द्वारा उस काल का प्रति वर्ष लिखा जाने वाला वृतांत वर्ष-वृतांत कहा जाता था |
पैपाइरस : पैपाइरस एक सरकंडा जैसा पौध था जो मिस्र में नील नदी के किनारे उगा करता था
और उसी से लेखन सामग्री तैयार की जाती थी। रोज़मर्रा की जिंदगी में उसका व्यापक इस्तेमाल किया जाता था। हजारों की संख्या में संविदापत्र, लेख, संवादपत्र और सरकारी दस्तावेज़ आज भी ‘पैपाइरस’ पत्र पर लिखे हुए पाए गए हैं |
रोमन साम्राज्य को दो चरणों में बाँटा गया है :
(i) 'पूर्ववर्ती' चरण और (ii) 'परवर्ती' चरण
रोमन साम्राज्य को दो ऐतिहासिक चरणों में बाँटा गया है :
(i) पूर्ववर्ती साम्राज्य : तीसरी शताब्दी के मुख्य भाग तक की सम्पूर्ण अवधि को पूर्ववर्ती साम्राज्य जाता है |
(ii) परवर्ती साम्राज्य : तीसरी शताब्दी के बाद की अवधि को परवर्ती सम्राज्य कहा जाता है |
रोमन साम्राज्य और ईरानी साम्राज्य में अंतर :
रोमन सम्राज्य :
(i) रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था।
(ii) क्षेत्र और संस्कृतियाँ सरकार की एक सांझी प्रणाली द्वारा एक दुसरे से जुड़े हुए थे |
प्रशासन में भाषा का प्रयोग :
(i) लातिनी
(ii) यूनानी
प्रिन्सिपेट : प्रथम सम्राट, ऑगस्टस ने 27 ई.पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे ‘प्रिन्सिपेट’ कहा जाता था।
सैनेट : सैनेट वह निकाय था जिसने उन दिनों में जब रोम एक रिपब्लिक यानि गणतंत्र था, सता पर अपना नियंत्रण रखा था | सैनेट एक संस्था का नाम था जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों यानि मुख्यत: रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था | रोम के इतिहास की अधिकांश पुस्तकें जो आज यूनानी तथा लातिनी में ज्यादातर लिखी मिलती हैं इन्हीं लोगों द्वारा लिखी गई थीं।
रोम की सेना की विशेषताएँ:
(i) रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और न्यूनतम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी।
(ii) एक वेतनभोगी सेना का होना निस्संदेह रोमन साम्राज्य की अपनी एक ख़ास विशेषता थी।
(iii) सेना साम्राज्य में सबसे बड़ा एकल संगठित निकाय थी (जिसमें चौथी शताब्दी तक 6,00,000 सैनिक थेद) और उसके पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धरित करने की शक्ति थी।
(iv) सैनिक बेहतर वेतन और सेवा-शर्तों के लिए लगातार आन्दोलन करते रहते थे |
(v) यदि सैनिक अपने सेनापतियों और यहाँ तक कि सम्राट द्वारा निराश महसूस करते थे तो ये आंदोलन प्रायः सैनिक विद्रोहों का रूप ले लेते थे।
ऑगस्टस का शासन काल :
ऑक्टेवियन द्वारा स्थापित ‘प्रिसिपेट’, वह अब अपने आपको ऑगस्टस कहने लगा था | रोम का प्रथम सम्राट बना | उसने 27 ई. पू. - 14 ई. पू तक शासन किया | ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है, क्योंकि इस शांति का आगमन दशकों तक चले आंतरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजय के पश्चात हुआ था।
गृहयुद्ध : गृहयुद्ध दूसरे देशों से संघर्ष के ठीक विपरीत अपने ही देश में सत्ता हासिल करने के लिए
किया गया सशस्त्र संघर्ष है।
रोम सम्राज्य का फैलाव : आज का अधिकांश यूरोप, पश्चिमी एशिया और उतरी अफ्रीका का हिस्सा तक रोम सम्राज्य फैला था |
रोमन साम्राज्य के राजनितिक इतिहास के तीन प्रमुख खिलाडी :
(i) सम्राट
(ii) कुलीन या अभिजात वर्ग
(iii) सेना
ड्रेसल-20 : स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल 'ड्रेसल-20' नामक कंटेनरों में ले जाया जाता था |
एम्फोरा : तरल पदार्थों की ढुलाई जिन कंटेनरों में की जाती थी उन्हें एम्फोरा कहा जाता था |
प्रारंभिक साम्राज्य में श्रेणियां :
(i) सेनेटर, (ii) अश्वारोही (iii) अभिजात वर्ग (iv) फूहड़ निम्नतर वर्ग और दास
परवर्ती काल में श्रेणियां :
(i) अभिजात वर्ग
(ii) मध्यम वर्ग
(iii) निम्तर वर्ग
रोम साम्राज्य में इसाई धर्म :
सन 312 में सम्राट कांस्टेनटाइन ने इसाई धर्म को राजधर्म बनाया |