मेसोपोटामिया : दजला और फरात नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है | शहरी जीवन की शुरुआत इसी सभ्यता में होती है | शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई | मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है।
मेसोपोटामिया शब्द का अर्थ :
मेसोपोटामिया नाम यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस (Mesos) यानी मध्य और पोटैमोस (Potamos) यानी नदी से मिलकर बना है। इसलिए ‘मेसोपोटामिया शब्द दजला फरात नदियों के बीच की ऊपजाऊ धरती को इंगित करता है।
मेसोपोटामिया की भाषा : इस सभ्यता में सबसे पहले 'सुमेरी' भाषा, उसके बाद 'अक्कदी' भाषा और बाद में 'अरामाइक' भाषा फलती-फूलती रही |
मेसोपोटामिया के बारे में जानकारी के ऐतिहासिक स्रोत : इमारतें, मूर्तियाँ, कब्रें, आभूषण, औजार, मुद्राएँ, मिटटी की पट्टिका और लिखित दस्तावेज हैं |
मेसोपोटामिया की भौगोलिक स्थित : मेसोपोटामिया की धरती वर्त्तमान इराक गणराज्य का हिस्सा है | इसकी भौगोलिक स्थिति निम्नलिखित है |
(i) इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं जो धीरे-धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत- शृंखला के रूप में फैलते गए हैं। साथ ही यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है। यहाँ 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरू हो गई थी।
(ii) उत्तर में उँची भूमि है जहाँ ‘स्टेपी’-घास के मैदान हैं, यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है। सर्दियों की वर्षा के बाद, भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाडि़यों और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं।
(iii) पूर्व में दज़ला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन है |
(iv) दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरों और लेखन प्रणाली का विकास हुआ | इन रेगिस्तानों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी |
मेसोपोटामिया की कृषि और जलवायु :
(i) दज़ला और फरात नाम की नदियाँ उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाउ बारीक मिटटी लाती रही हैं। जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है तब यह उपजाऊ मिटटी वहाँ जमा हो जाती है।
(ii) यहाँ का रेगिस्तानी भाग जो दक्षिण में स्थित है यहाँ भी कृषि की जाती है और फरात नदी जब इन रेगिस्तानों में पहुंचती है तो छोटे-छोटे कई धाराओं में बंटकर नहरों जैसे सिंचाई का कार्य करती है | यहाँ गेंहूँ, जौ, मटर और मसूर की खेती की जाती है |
(iii) दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे ज़्यादा उपज देने वाली हुआ करती थी। हालांकि वहाँ फसल उपजाने के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती थी।
(iv) स्टेपी क्षेत्र का प्रमुख कार्य पशुपालन था | यहाँ खेती के अलावा भेड़-बकरियाँ स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर पाली जाती थीं |
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगर : मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग यानी लगभग 3000 ई.पू. में शुरू हो गया था। काँसा, ताँबे और राँगे के मिश्रण से बनता है। काँसे के इस्तेमाल का मतलब है कि ये धातुएँ दूर-दूर से मंगाई जाती थीं। बढ़ई का सही काम करने, मनकों में छेद करने, पत्थर की मुद्राएँ उकेरने, फर्नीचर में जड़ने, सीपियाँ काटने आदि कामों के लिएधातु के औजारों की जरूरत पड़ती थी। मेसोपोटामियाई हथियार भी काँसे के ही होते थे उदाहरण के लिए, भालों की नोवेंफ काँस्य की बनी होती थीं |
जलप्लावन की कहानी :
बाईबल के अनुसार यह जलप्लावन पृथ्वी पर संपूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला था। किन्तु परमेश्वर ने जलप्लावन के बाद भी जीवन को पृथ्वी पर सुरक्षित रखने के लिए नोआ (Noah) नाम के एक मनुष्य को चुना। नोआ ने एक बहुत विशाल नाव बनायी और उसमें सभी जीव-जंतुओं का एक-एक जोड़ा रख लिया और जब जलप्लावन हुआ तो बाकी सब कुछ नष्ट हो गया पर नाव में रखे सभी जोड़े सुरक्षित बच गए। ऐसी ही एक कहानी मेसोपोटामिया
के परंपरागत साहित्य में भी मिलती है इस कहानी के मुख्य पात्र को ‘जि़उसूद्र’ (Ziusudra) या
‘उतनापिष्टिम’ (Utnapishtim) कहा जाता था।
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया का महत्व :
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि बाईबल के प्रथम भाग ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में इसका उल्लेख कई संदर्भो में किया गया है। उदाहरण के लिए, ओल्ड टेस्टामेंट की ‘बुक ऑफ जेनेसिस’ (Book of Genesis) में ‘शिमार’ (shimar) का उल्लेख है जिसका तात्पर्य अर्थात् सुमेर ईंटों से बने शहरों की भूमि से है। यूरोप के यात्री और विद्वज्जन मेसोपोटामिया को एक तरह से अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे, और जब इस क्षेत्र में पुरातत्त्वीय खोज की शुरुआत हुई तो ओल्ड टेस्टामेंट के अक्षरशः सत्य को सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया।
जलप्लावन की कहानी पुराण कथाओं में भी प्रचलित है :
जलप्लावन के बारे में अनेक समाजों में अपनी-अपनी पुराण-कथाएँ प्रचलित हैं। ये कुछ ऐसे तरीके हैं जो इतिहास में हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की यादों को अमिट रखते हुए अभिव्यक्त करते हैं।
शहरीकरण/नगरों की बसावट :
शहर और नगर बड़ी संख्या में लोगों के रहने के ही स्थान नहीं होते थे। जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियाँ विकसित होने लगती है तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप कस्बे बसने लगते हैं। शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार, उत्पादन और तरह-तरह की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है। उनमें आपस में लेनदेन होता रहता है | इस प्रकार हम देखते है कि शहरी क्रियाकलाप से गाँव लोग भी जुड़े रहते हैं |
शहरी जीवन का विशेषताएँ :
(i) शहरी जीवन में श्रम-विभाजन होता है |
(ii) विभिन्न कार्य से जुड़े लोग आपस में लेनदेन के माध्यम से जुड़े रहते हैं |
(iii) शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न-भिन्न
जगहों से आती हैं |
मेसोपोटामिया के शहरों में माल की आवाजाही :
(i) मेसोपोटामिया के खाद्य-संसाधन चाहे कितने भी समृद्ध रहे हों, उसके यहाँ खनिज-संसाधनों का अभाव था। दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार, मोहरें ;मुद्राएँ और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी।
(ii) इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी, गाडि़याँ, गाडि़यों के पहिए या नावें बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी |
(iii) औजार, पात्र, या गहने बनाने के लिए कोई धातु वहाँ उपलब्ध् नहीं थी।
(iv) मेसोपोटामियाई लोग संभवतः लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी-पार के देशों से मंगाते थे जिसके लिए वे अपना कपड़ा और कृषि-जन्य उत्पाद
काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे।
परिवहन : परिवहन का सबसे आसान और सस्ता साधन जलमार्ग था |
मेसोपोटामियाई शहरों के लिए जलमार्ग सबसे प्रमुख साधन होने का कारण :-