पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय
पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य पादप हार्मोंस जिसे फाइटोहार्मोंस भी कहा जाता है के द्वारा होता है। विविध पादप हॉर्मोन वृद्धि, विकास तथा पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय में सहायता करते हैं।
पादप दो भिन्न प्रकार की गतियाँ दर्शाते हैं-
(1) वृद्धि से मुक्त - ये गतियाँ वृद्धि पर निर्भर नहीं करती है | जैसे - छुई-मुई के पौधे का स्पर्श से सिकुड़ जाना |
(2) वृद्धि पर आश्रित - पौधों में होने वाली ये गतियाँ वे गतियाँ होती है जो पौधों के कायिक भाग में गतियों को दर्शाती है | जैसे - प्रतान की गति, पौधे का प्रकाश की ओर गति और जड़ों का जल की ओर गति आदि |
(1) वृद्धि से मुक्त गति
छुई-मुई के पौधे में गति - जब हम छुई-मुई के पौधों को स्पर्श करते हैं तो अनुक्रिया के फलस्वरूप अपने पत्तियों में गति करता है | यह गति वृद्धि से सम्बंधित नहीं है |
पादपों में उद्दीपन के प्रति तत्काल अनुक्रिया -
पादप स्पर्श की सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत-रसायन साधन का उपयोग भी करते हैं लेकिन जंतुओं की तरह पादप में सूचनाओं के चालन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते हैं। पादप कोशिकाओं में जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होतीं अपितु वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती हैं, परिणामस्वरूप फूलने या सिकुड़ने में उनका आकार बदल जाता है।
(2) वृद्धि पर आश्रित गति
(a) प्रतान की गति -
(b) अनुवर्तन
(i) प्रकाशानुवर्तन
(ii) गुरुत्वानुवर्तन
(iii) रसायानानुवर्तन
(iv) जलानुवर्तन