अध्याय समीक्षा
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शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते हैं |
- यह सभी सजीवों की मुलभुत इकाई है |
- सभी सजीव कोशिका से बने हैं |
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कोशिका हमारे शरीर को आकार प्रदान करता है इसलिए यह शरीर का संरचनात्मक इकाई है |
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शरीर के सभी कार्य कोशिकीय स्तर पर होते है इसलिए यह शरीर का क्रियात्मक इकाई है |
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कोशिका का सबसे पहले पता राबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था | राबर्ट ब्राउन ने 1831 में कोशिका में केन्द्रक का पता लगाया |
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वे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते हैं एवं स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव होते है एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं | जैसे- अमीबा, पैरामिशियम, क्लेमिड़ोमोनास और बैक्टीरिया (जीवाणु) आदि |
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वे जीव जिनमें अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्य को सम्पन्न करने हेतु विभिन्न अंगो का निर्माण करते है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते है |
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कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं :
(i) कुछ कोशिकाएँ अपनी आकार बदलती रहती हैं - जैसे : अमीबा
(ii) कुछ जीवों में कोशिका का आकार स्थोर रहता है - जैसे : तंत्रिका कोशिका |
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प्लाज्मा झिल्ली : यह कोशिका की सबसे बाहरी परत है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है | प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है और कार्बनिक अणुओं जैसे लिपिड (phospolipids) तथा प्रोटीन के दो परतों से बनी होती है |
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अमीबा जिस प्रक्रिया से भोजन ग्रहण करता है उसे इंडोसाइटोसिस कहते है |
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विसरण एक कोशिकाओं में होने वाली प्रक्रिया है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड एवं ऑक्सीजन जैसे गैसीय पदार्थों के अणुओं का परिवहन वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली के द्वारा होता है | यह प्रक्रिया विसरण कहलाती है |
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जल के अणुओं की गति वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं |
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केन्द्रक कोशिका का सबसे बड़ा कोशिकांग है जो कोशिका के अंदर पाया जाता है | गुणसूत्र (chromosomes) कोशिका के केन्द्रक में ही पाया जाता है, जो सिर्फ कोशिका विभाजन के समय ही दिखाई देते हैं |
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केन्द्रक के चारों ओर दोहरे परत का एक स्तर होता है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते है | केन्द्रक झिल्ली में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं | इन छिद्रों के द्वारा केन्द्रक के अंदर का कोशिकाद्रव्य केन्द्रक के बाहर जा पाता है |
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गुणसूत्र एक छाडाकार (cilyndrical) संरचना होती है जो कोशिका के केन्द्रक में पाया जाता है, ये कोशिका विभाजन के समय दिखाई देते हैं | गुणसूत्र (क्रोमोसोम) में अनुवांशिक गुण होते हैं जो माता-पिता से DNA (डिऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल) अनु के रूप में अगली संतति में जाते है |
- क्रोमोसोम DNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं |
- DNA अणु में कोशिका के निर्माण व् संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं |
- DNA के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं |
- जो कोशिका, कोशिकायें विभाजन की प्रक्रिया में भाग नहीं लेती हैं उसमें यह DNA क्रोमैटीन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है |
- कोशिका विभाजन के दौरान केन्द्रक भी दो भागों में विभक्त हो जाता है |
- नयी कोशिका में जनक कोशिका के ही सभी गुण मौजूद रहते है |
- यह कोशिका के विकास एवं परिपक्वन को निर्धारित करता है |
- साथ ही साथ सजीव कोशिका की रासायनिक क्रियाओं को भी निर्देशित करता है |
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(I) प्रोकैरियोटिक कोशिका : जिन कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका कहते है | ऐसी कोशिकाएँ जीवाणुओं में पाई जाती है |
(II) यूकैरियोटिक कोशिका : जिन कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली पाई जाती है उन्हें यूकैरियोटिक कोशिका कहते है | शैवाल, एवं अन्य सभी बहुकोशिक जीवों की कोशिका |
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प्रत्येक कोशिका के जीवद्रव्य में अनेक छोटे- छोटे कोशिका के विशिष्ट घटक पाए जाते है जो कोशिका के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं | इन्हें ही कोशिकांग (organells) अर्थात कोशिका अंगक कहते हैं | जैसे - माइटोकांड्रिया, गाल्जी उपकरण, तारक केंद्र, लाइसोसोम, राइबोसोम, तथा रिक्तिका आदि ये सभी कोशिकांग हैं |
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कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक दोनों को मिलाकर जीवद्रव्य कहते हैं |
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अल्पपरासरण दाबी विलयन (Hypotonic Solution): यदि कोशिका को तनु (dilute) विलयन वाले माध्यम अर्थात जल में शक्कर अथवा नमक की मात्रा कम और जल की मात्र ज्यादा है, में रखा गया है तो जल परासरण विधि द्वारा कोशिका के अंदर चला जायेगा | ऐसे विलयन को अल्पपरासरण दाबी विलयन कहते हैं |
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समपरासारी दाबी विलयन (Isotonic Solution): यदि कोशिका को ऐसे माध्यम विलयन में रखा जाए जिसमें बाह्य जल की सांद्रता कोशिका में स्थित जल की सांद्रता के ठीक बराबर हो तो कोशिका झिल्ली से जल में कोई शुद्ध गति नहीं होगी | ऐसे विलयन को समपरासारी दाबी विलयन कहते हैं |
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अतिपरासरण दाबी विलयन (Hypertonic Solution): यदि कोशिका के बाहर वाला विलयन अंदर के घोल से अधिक सान्द्र है तो जल परासरण द्वारा कोशिका से बाहर आ जायेगा | ऐसे विलयन को अतिपरासरण दाबी विलयन कहते हैं |
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कोशिका भित्ति के वल पादप कोशिकाओं में ही पाई जाती है जो कि यह मुख्यत: सेल्युलोज (Cellulose) की बनी होती है | यह पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है |
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राइबोसोम कोशिका द्रव्य में मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली गोल आकृति कि संरचना होती है | ये कोशिका द्रव्य में मुक्त रूप से पाई जा सकती है अथवा अंतर्द्रव्य जालिका (ER) से जुडी हो सकती हैं | राइबोसोम को कोशिका का प्रोटीन-फैक्ट्री भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन बनाता है |
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लाइसोसोम कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला तंत्र है | यह झिल्ली से घिरी हुई संरचना है | लाइसोसोम बाहरी पदार्थों के साथ -साथ कोशिकांगों के टूटे-फूटे भागों को पाचित करके साफ करता है |लाइसोसोम में बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम होते है जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम है |
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माइटोकोंड्रिया दोहरी झिल्ली वाली कोशिकांग है बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है एवं भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित (rounded) होती है | इसमें उसका अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं | अत: माइटोकोंड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते हैं | इसलिए माइटोकोंड्रिया अदभुत अंगक है |
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प्लैस्टिड केवल पादप कोशिकाओं ने स्थित होते है | प्लैस्टिड की भीतरी रचना में बहुत-सी झिल्ली वाली परतें होती है जो स्ट्रोमा में स्थित होती है | प्लैस्टिड बाह्य रचना में माइटोकोंड्रिया कि तरह होते हैं | माइटोकोंड्रिया कि तरह प्लैस्टिड में भी अपना DNA तथा राइबोसोम होते है |
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रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों कि संग्राहक थैलियाँ हैं | जंतु कोशिकाओं में रसधानियाँ छोटी होती हैं जबकि पादप कोशिकाओं में रासधानियाँ बहुत बड़ी होती है | कुछ पौधों कि कोशिकाओं कि केंद्रीय रसधानी की माप कोशिका के आयतन का 50% से 90 तक होता है |