अध्याय 12. ध्वनि
अध्याय-समीक्षा :
- किसी माध्यम में ध्वनि संपीडनों तथा विरलनों वेफ रूप में संचरित होती है।
- ध्वनि बूम : जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती हैं। तो ये वायु में प्रघाती तरंगे उत्पन्न करती हैं इस प्रघाती तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बुम कहते है।
- पराध्वनिक चाल: ध्वनि की चाल से भी अधिक चाल से कोई पिण्ड गति करता है तो उसे पराध्वनिक चाल कहते है।
- प्रतिध्वनि : जब कोई ध्वनि किसी माध्यम से टकराकर परावर्तित होती है तो वह ध्वनि हमें पुनः सुनाई देती हैं जिसे प्रतिध्वनि कहते है।
- ध्वनि का दीवारों से बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बध होता हैं, अनुरणन कहलाता है।
- अनुरणन को कम करने के लिए भवनों में पर्दे लटकाये जाते हैं, ताकि ध्वनि का
अवशोषण हो सके । इसके अतिरिक्त कमरें में श्रोताओं की उपस्थिति अधिक हो
तो भी ध्वनि का अवशोषण हो सकता है। - मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है।
- 20 Hz से कम आवृति की ध्वनियो को अवश्रव्य ध्वनि कहते है। इसका परास 20 Hz से कम हैं ।
- 20000 Hz से अधिक आवृति की ध्वनियो को पराध्वनि कहते है। इसका परास 20000 Hz से अधिक होता हैं ।
- पाराध्वनि की आवृति ऊँच होती है |
- पराध्वनि तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनिक को इकोकार्डियोग्राफी कहते है।
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जब ध्वनि किसी माध्यम में संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है। घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन में और पुनः अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है।
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एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।
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दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं।
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आवर्त काल को T अक्षर से निरुपित करते हैं | इसका मात्रक सेकेंड (s) है |
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किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।
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उत्पादक स्रोत से निकलने के पश्चात् ध्वनि तरंग फ़ैल जाती है। स्रोत से दूर जाने पर इसका आयाम तथा प्रबलता दोनों ही कम होते जाते हैं।
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एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते हैं। अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर (note) कहते हैं और यह सुनने में सुखद होती है। शोर (noise) कर्णप्रिय नहीं होता जबकि संगीत सुनने मे सुखद होता है ।
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