अध्याय-समीक्षा :
- जब कोई जीव अपने जैसे शिशु को जन्म देता है तो उसे जनन कहते है। जनन जाति (स्पीशीज ) की निरंतरता एवं उतरजिविता बनाए रखने के लिए जनन आवश्यक है।
- नर तथा मादा युग्मकों के संलयन को निषेचन कहते हैं |
- निषेचन दो प्रकार का होता है। (i) बाह्य निषेचन (ii) अंतः निषेचन
- निषेचित अंडाणु को युग्मनज कहते है।
- कुछ स्त्रियों में फैलोपियन ट्युब के अवरूद्ध के कारण शिशु उत्पन्न करने में असमर्थ होती है । ऐसी स्थिति में डाॅक्टर ताजा अंडाणु एवं शुक्राणु एकत्र करके उचित माध्यम में कुछ घंटे के लिए एक साथ रखते है जिसे IVF बाह्य निषेचन कहते है।
- निषेचन होने पर उसे एक सप्ताह तक विकसित किया जाता है। जिसके पश्चात् उसे माता के गर्भ में स्थापित किया जाता है । इस प्रकार जन्में शिशु को परखनली शिशु कहते है।
- शुक्राणु में पूँछ उसे गति करने के काम आती है।
- वह निषेचन जो मादा के शरीर के अंदर होता है आंतरिक निषेचन कहलाता है। जैसे - मनुष्य, गाय, कुते आदि।
- वह निषेचन जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन मादा शरीर के बाहर होता है, जिसे बाह्य निषेचन कहते है। जैसे - मेंढ़क , मछली आदि जलीय जीवों में होता है।
- युग्मनज लगातार विकसित होकर इसकी कोशिकाएँ समूहीकृत होने लगती है तथा विभिन्न उतकों एवं अंगों में परिवर्धित हो जाता है । इस विकसित हुई संरचना को भ्रूण कहते है
- भ्रूण गर्भाशय की दीवार में रोपित होकर विकसित होता है।
- भ्रूण की वह अवस्था जिसमें सभी शारीरिक भागों की पहचान हो सके गर्भ कहलाता है।
- जरायु जंतु - ये सीधे ही शिशु को जन्म देते है। अंडप्रजक जंतु - ये अंडे देते है।
- निषेचन के परिणामस्वरूप युग्मनज बनता है जो बाद में विकसित होकर भ्रूण बनता है। इसमें शारीरिक भागों की पहचान नहीं होती है।
- जबकि गर्भ में सभी शारीरिक भागों की पहचान होती है। यह विकसित होकर शिशु बनता है।
- हाइड्रा में अनेक मुकुल निकल आते है जिससे नए जीव की उत्पति होती है , इस उभार को मुकुल कहते है।
- हाइड्रा में मुकुल से नए जीव विकसित होता है इस प्रकार के जनन को मुकुलन कहते है।
- मेढ़क अंडे देते है ये अंडप्रजक जंतु है । इनमें बाह्य निषेचन होता है।
- मादा मेंढ़क पानी में अंडे देते है जो तैरता रहता है जिस पर नर मेंढ़क शुक्राणु गिरा देता है जिससे अंडों का निषेचन हो जाता है ।
- निषेचित अंडा विकसित होकर आरंभी टैडपोल बनता है फिर युवा टैडपोल में विकसित हो जाता है । कुछ विशेष परिवर्तनो के साथ टैडपोल मेंढ़क में परिवर्तित हो जाता है।
- अमीबा जैसे एक कोशिकिय जीव में जनन द्विखंडन द्वारा होता है। द्विखंडन में जीव केन्द्रक सहित दो भागों में बाँट लेता है इस प्रकार एक जनक दो अमीबा बनते है । जनन की इस प्रक्रिया को द्विखंडन कहते है।
- जनन जाति (स्पीशीज ) की निरंतरता एवं उतरजिविता बनाए रखने के लिए जनन आवश्यक है।
- मनुष्य में जनन प्रक्रम का पहला चरण शुक्राणु और अंडाणु का संलयन है। जब शुक्राणु, अंडाणु के संपर्क में आते हैं तो इनमें से एक शुक्रणु अंडाणु के साथ संलयित हो जाता है। शुक्रणु और अंडाणु का यह संलयन निषेचन कहलाता है निषेचन के समय शुक्राणु और अंडाणु संलयित होकर एक हो जाते हैं। निषेचन के परिणामस्वरूप युग्मनज का निर्माण होता है।
- लारवा का कुछ उग्र-परिवर्तनों द्वारा वयस्क जंतु में बदलने की प्रक्रिया कायांतरण कहलाती है। जैसे - मेंढ़क में टैडपोल कायांतरण द्वारा व्यस्क मेंढ़क में परिवर्तित होता है।
- जनन की वह प्रक्रिया जिसमें एक ही जनक नए जीव को जन्म देता है। अलैंगिक जनन कहलाता है।
- जंतुओं में अलैंगिक जनन की दो विधियों निम्न है।(i) मुकुलन - हाइड्रा में मुकुल से नए जीव विकसित होता है इस प्रकार के जनन को मुकुलन कहते है। (ii) द्विखंडन - अमीबा जैसे एक कोशिकिय जीव में जनन द्विखंडन द्वारा होता है। द्विखंडन में जीव केन्द्रक सहित दो भागों में बाँट लेता है इस प्रकार एक जनक दो अमीबा बनते है । जनन की इस प्रक्रिया को द्विखंडन कहते है।