अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: किसी बाज़ार को साप्ताहिक बाज़ार कब कहते है |
उत्तर- जब कोई बाज़ार प्रत्येक सप्ताह किसी विशेष दिन को निशिचत स्थान पर लगता हो तो इसे साप्ताहिक बाज़ार कहते है |
प्रश्न: साप्ताहिक बाज़ार की कोई एक विशेषता बताइए |
उत्तर- साप्ताहिक बाज़ार में आम ज़रूरत की सभी चीज़े एक ही जगह पर सस्ती दरो में उपलब्द होती है |
प्रश्न: शॉपिंग कॉम्लेक्स कहा पाए जाते है ?
उत्तर- शॉपिंग कोम्प्लेक्स शहरी शेत्रो, महानगरो,आदि में पाए जाते है |
प्रश्न: सामान कहा निर्मित होते है?
उत्तर- सामानों का निर्माण घरो , कारखानों,फर्मो,आदि में किया जाता है |
प्रश्न: साप्ताहिक बाज़ार के बारे में आप क्या जानते है ?
उत्तर- (i) साप्ताहिक बाज़ार का आयोजन प्रत्येक सप्ताह एक निशिचत दिन को होता है |
(ii) साप्ताहिक बाज़ार में दुकान दरो की स्थायी दुकाने नही होती |
(iii) व्यापारी सारा दिन आपनी दुकान चलाते है तथा शाम को आपना सामान समेटकर घर वापस चलेजाते है |
प्रश्न: स्थायी दुकानों पर वे कौन-से अतिरिक्त खर्चे आते है जो साप्ताहिक बाज़ार के दुकानों पर नही आते?
उत्तर- कुछ ऐसे खर्चे है जो स्थायी दुकानों पर तो आते है किन्तु साप्ताहिक बाज़ार के दुकानों पर नही आते | उदहारण के लिए -
(i) स्थायी दुकान वालो को दुकान का किराया, बिजली बिल तथा विभिन्न सरकारी शुल्क चुकाना पड़ता है |
(ii) उन्हें अपने कर्मचारी को वेतन देना पड़ता है |
प्रश्न: संपत कौन है और वह क्या करता है ?
उत्तर- संपत सप्ताहिक्व बाज़ार का एक छोटा व्यापारी है | वह शहरों के बड़े व्यापारियों से कपडे खरीदता है तथा सप्ताह-भर उन कपड़ो को छे अलग-अलग साप्ताहिक बाजारों में बेचता है |
प्रश्न: मोल्स के बारे में आप क्या जानते है |
उत्तर- बहुत, बड़ी, बहुमंजिली तथा वातानुकूलित इमारते जिनकी अलग-अलग मंजिलो पर दुकाने बनी होती है, मोल्स कहलाती है| इन मोल्स में ब्रांड तथा बिना ब्रांड वाली दोनों तरह के उत्पाद मिलते है | विज्ञापनों द्वारा इन उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जाता है |
प्रश्न : व्यापारी किसे कहते हैं ?
उत्तर : वे लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं, उन्हें व्यापारी कहा जाता है।
प्रश्न : खुदरा या फुटकर व्यापारी किसे कहते हैं ?
उत्तर : व्यापारियों की लंबी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अंततः वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है।
प्रश्न : उपभोक्ताओं तक वस्तुएँ कैसे पहुँचती हैं ?
उत्तर : उत्पादकों से वस्तुएँ सीधे बड़े शहरों के थोक व्यापारियों तक पहुँचता है, फिर यहाँ से अन्य शहरों के बड़े व्यापारीयों तक पहुँचता है | इन व्यापारियों से वस्तुएँ खुदरा या फुटकर व्यापारी खरीदते हैं और उन्हें उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं |
प्रश्न : बाजारों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : यह बाजारों की एक श्रृंखला है, जो परस्पर एक-दूसरे से कडि़यों की तरह जुड़ी होती है, क्योंकि उत्पाद एक बाजार से होते हुए दूसरे बाजार में पहुँचते हैं।
प्रश्न : ब्रांडेड सामान किसे कहते है ?
उत्तर : ब्रांडेड वस्तुएं वे होती हैं जिन्हें कंपनियाँ बड़े-बड़े विज्ञापन देकर और क्वालिटी के दावे करके बेचती हैं | ब्रांडेड वस्तुएँ महँगी होती है |
प्रश्न : शोपिंग मॉल क्या है ?
उत्तर : कुछ शहरी इलाकों में बहुमंजिला वातानुकूलित दुकानें भी देखने को मिलेंगी, जिनकी अलग-अलग मंजिलों पर अलग-अलग तरह की वस्तुएँ मिलती हैं। इन्हें शोपिंग मॉल कहा जाता है।
दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न : सप्ताहिक बाजार क्या होते हैं ?
उत्तर : साप्ताहिक बाजार वे बाजार होते हैं जो सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन लगता है | इन बाजारों में व्यापारी दिन में दुकान लगाते हैं और शाम होने पर समेट लेते हैं | अगले दिन वे अपनी दुकानें किसी और जगह पर लगाते हैं |
प्रश्न : साप्ताहिक बाजारों में लोग क्यों जाते हैं ? तीन कारण बताइए |
उत्तर :
(i) साप्ताहिक बाजारों में बहुत-सी चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। ऐसा इसलिए, कि जो पक्की दुकानें होती हैं, उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्चे जोड़ने होते हैं। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है।
(ii) इन बाजारों में खरीदारों के पास यह अवसर भी होता है कि वे मोल-तोल करके भाव कम करवा सकें ।
(iii) साप्ताहिक बाजार में एक ही तरह के सामानों के लिए कई दुकानें होती हैं, जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता भी होती है।
प्रश्न : ब्रांडेड वस्तुएँ महँगी क्यों होती हैं ?
उत्तर :
(i) ब्रांडेड वस्तुएँ महँगे विज्ञापन देकर बेचीं जाती है |
(ii) ऐसी वस्तुएँ पक्की दुकानों में, शोपिंग काम्प्लेक्स में या मॉल में बेचीं जाती है जिनका रख रखाव और कर्मचारियों का खर्च अधिक होता है | इनकी दुकानों का किराया भी अधिक देना पड़ता है |
प्रश्न : उपभोक्ताओं तक वस्तुएँ कैसे पहुँचती हैं ?
उत्तर : उत्पादकों से वस्तुएँ सीधे बड़े शहरों के थोक व्यापारियों तक पहुँचता है, फिर यहाँ से अन्य शहरों के बड़े व्यापारीयों तक पहुँचता है | इन व्यापारियों से वस्तुएँ खुदरा या फुटकर व्यापारी खरीदते हैं और उन्हें उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं |
प्रश्न : बाजारों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : यह बाजारों की एक शृंखला है, जो परस्पर एक-दूसरे से कडि़यों की तरह जुड़ी होती है, क्योंकि उत्पाद एक बाजार से होते हुए दूसरे बाजार में पहुँचते हैं।
प्रश्न : एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न हैं ?
उत्तर :
(i) फेरीवाला कम पूँजी वाला दुकानदार होता है जबकि अन्य दुकानदारों के पास बड़ी पूँजी होती है |
(ii) फेरीवाले को दुकान और बिजली का बिल नहीं चुकाना पड़ता है जबकि अन्य दुकानदारों को चुकाना पड़ता है |
(iii) फेरीवालों के पास कम वस्तुएँ होती है जबकि दुकानदारों में पास बड़ी मात्रा में वस्तुएँ होती है |
(iv) फेरीवालों को कर्मचारियों का खर्च नहीं उठाना पड़ता जबकि दुकानदारों को कर्मचारी भी रखने पड़ते है |
प्रश्न: किसी थोक विक्रेर्ता के पुरे दिन के व्यापर को उदहारण देते हुए समझाइए |
उत्तर- (i) आफ़ताब सब्जी का थोक विक्रेता है | उसके व्यापर की शुरुआत तडके सुबह 5 बजे से हो जाती है | जब बाज़ार में बाहर से सबजियाँ पहुचती है |
(ii) वह फेसला करता है की आज उसे कौन-सी सब्जी खरीदनी है| उदहारण के लिए, आज उसने 5 कुंटल बंद गोभी तथा 10 कुंटल प्याज़ ख़रीदा |
(iii) इनको वह अपनी दुकान में इकटठा कर लेता है | सुबह 6 बजे के आस-पास वह इन्हें फेरीवाला तथा खुदरा व्यापारियों को बेचना शुरू करता है तथा रत 10 बजे तक उसका यह कम चलता रहता है | इस तरह प्रतिदिन उसका व्यापार सुबह 5 बजे शुरू होकर रात 10 बजे तक चलता रहता है |