अभ्यास - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: सही या गलत बताओ :
(क) हरिषेण ने गौतमी पुत्र श्री सातकणी की प्रशंसा में प्रशस्ति लिखी|
(ख) आर्यावर्त के शासक समुद्रगुप्त के लिए भेंट लाते थे|
(ग) दक्षिणापथ में बारह शासक थे|
(घ) गुप्त शासकों के नियंत्रण में दो महत्त्वपूर्ण केंद्र तक्षशिला और मदुरै थे|
(ड) ऐहोल पल्लवों की राजधानी थी|
(च) दक्षिण भारत में स्थानीय सभाएं सदियों तक काम कराती रही|
उत्तर:
(क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) गलत
(ड) गलत
(च) सही
प्रश्न: ऐसे तीन लेखकों के नाम बताओ, जिन्होंने हर्षवर्धन के बारे में लिखा|
उत्तर: बाणभट्ट, श्वेन त्सांग और रवि कीर्ति ऐसे तीन लेखकों के नाम हैं, जिन्होंने हर्षवर्धन के विषय में लिखा|
प्रश्न: इस युग सैन्य संगठन में क्या बदलाव आए?
उत्तर:
निम्नलिखित बदलाव आए -
- राजा एक सुसंगठित सेना रकहते थे जिसमें हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सिपाही होते थे|
- वे सेनानायक भी रखते थे जो आवश्यकता पड़ने पर राजा को सैनिक सहायता दिया करते थे|
- इन सेनानायकों को कोई नियमित वेतन नहीं दिया जाता था| इन्हें भूमि दान दिया जाता था| वे दी गई भूमि से कर वसूल कारते थे जिससे वे सेना तथा घेदों की देखभाल करते थे|
- ये सेनानायक सामंत कहलाते थे| जहाँ कहीं भी शासक दुर्बल होते थे ये सामंत स्वतंत्र होने की कोशिश, करते थे|
प्रश्न: इस काल की प्रशासनिक व्यवस्था में तुम्हें क्या - क्या नई चीज़ें देखती हैं?
उत्तर: प्रशासन की प्राथमिक इकाई गाँव होते थे, लेकिन धीरे - धीरे कई बदलाव आए| राजाओं ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक या सैन्य शक्ति रखने वाले लोगों का समर्थन जुटाने के लिए कई कदम उठाए -
- कुछ महत्त्वपूर्ण प्रशासकीय पड़ आनुवंशिक बन गए| जिसका अर्थ हैं बेटे अपने पिता का पद पाते थे जैसे कि कवि हरिषेण अपने पित्ता की तरह महादंडनायक अर्थात् मुख्य न्याय अधिकारी थे|
- कभी - कभी एक ही व्यक्ति कई पदों पर कार्य करता था जैसे कि हरिषेण एक महादंडनायक होने के साथ - साथ कुमारामात्य अर्थात् एक महत्त्वपूर्ण मंत्री तथा एक संधि - विग्राहिक अर्थात् युद्ध और शांति के विषयों का भी मंत्री था|
- स्थानीय प्रशासक में प्रमुख व्यक्तियों का बोलबाला था| इनमें नगर - श्रेष्ठी यानी मुख्य बैंकर या शहर का व्यापारी, सार्थवाह यानी व्यापारियों के काफिले का नेता, प्रथम कुलिक अर्थात् मुख्य शिल्पकार तथा कायस्थों यानी लिपिकों के प्रधान जैसे लोग होते थे|
प्रश्न: तुम्हें क्या लगता हैं कि समुद्रगुप्त की भूमिका अदा करने के लिए अरविन्द को क्या - क्या करना पड़ेगा|
उत्तर: अगर अरविन्द राजा समुद्रगुप्त की भूमिका अदा करता हैं तो उसे निम्नलिखित कार्य करना पड़ेगा -
- वह शाही वेशभूषा में, मूंछों पर ताव देते हुए, रूप पहले कागज़ में लिपटी तलवार को शान से पकड़कर चहलकदमी करेगा|
- वह राज सिंहासन पर बैठकर वीणा बजाएगा और लविता पाठ भी करेगा|
- वह एक महान योद्धा की तरह कई युद्ध लडेगा और उन युद्धों को उसे जीतना पड़ेगा|
प्रश्न: क्या प्रेशास्तियों को पढ़कर आम लोग समझ लेते होगे? अपने उत्तर के कारन बताओ|
उत्तर: आम लोग प्रशस्तियों को पढ़कर नहीं समझ पाते होंगे, क्योंकि वे संस्कृत में होती थी| संस्कृत आम लोगों की भाषा नहीं थी| आम आदमी सामान्यत: पढ़े - लिखे नहीं थे इसलिए प्रशस्तियों को पढना और समझ जाना उनके लिए संभव नहीं था|
प्रश्न: अगर तुम्हें अपनी वंशावली बनानी हो, तो तुम उसमें किन लोगों को शामिल करोगे? कितनी पीढ़ियों को तुम इसमें शामिल करना चाहोगे? एक चार्ट बनाओ और उसे भरो|
उत्तर: अगर मैं अपनी वंशवली बनाऊँगा तो मैं उसमें तीन पीढ़ियों को शामिल करना पसंद करूँगा| मैं अपने परदादा से शुरू करूँगा| इसके बाद उनके बच्चे, यानी के अपने दादा और उनके भाई, अपने दादा के पुत्र यानी अपने पित्ता और भाई, फिर ,मैं स्वयं अपने भाई को शामिल करूँगा|
प्रश्न: आज युद्ध का असर जनसाधारण पर किस तरफ पड़ता हैं?
उत्तर: युद्ध हमारे जीवन में विपत्तिग्रस्त घटना होती हैं| युद्ध सामान्यत: दो देशों के बीच में या संयुक्त रूप से विभिन्न देशों के सूम्हों के बीच लड़ा जाता हैं, जबकि सामान्य लोगों का युद्ध के पीछे के मुख्य उद्देश्य के प्रति कोई लगाव नहीं होता हैं| वे युद्ध से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं| बड़ी संख्या में वे लोग युद्ध ,में मारे जाते हैं| जिनका कोई भी दोष नहीं होता हैं| वे अपना जीवन खो देते हैं| युद्ध अपने पीछे चिल्लाते हुए विधवाओं और अनाथों को छोड़ जाता हैं| सभी संसाधन नष्ट हो जाते हैं विकास पूरी तरह प्रभावित हो जाता है फिर से व्यवस्थित होने में बहुत समय लगता हैं|