अतरिक्त प्रश्न-उत्तर
प्रश्न : बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी?
उत्तर: बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं निम्न है:-
(i) बुद्ध ने कहा की यह जीवन दुखो से भरा हैं और ऐसा हमारी ईच्छा तथा लालसाओं के कारण होता हैI
(ii) आत्मसंयम अपना कर हम ऐसी लालसा से बच सकते हैI
(iii) बुद्ध ने कहा की लोग दयालु हो तथा मनुष्य के साथ - साथ जानवरों का भी आदर करेI
(iv) हमारे कर्म के परिणाम ,चाहे वे अच्छे हो या बुरे , वे हमारे वर्तमान जीवन के साथ -साथ भविष्य को भी प्रभावित करती हैI
प्रश्न: बुद्ध औएर महावीर ने अपनी शिक्षाएं कौन सी भाषा दी?
उत्तर: बुद्ध और महावीर ने अपनी शिक्षाएं प्राकृत भाषा में दीI
प्रश्न: महावीर के अनुयायियों को किन -किन नियमो का पालन करना पड़ता था ?
उत्तर: महावीर के अनुयायियों को निम्नलिखित नियमो का पालन करना पड़ता था :-
(1) महावीर के अनुयायियों को भोजन के लिए भिक्षा मांगकर सादा जीवन बिताना होता था |
(2) उन्हें पूरी तरह से ईमानदार होना पड़ता था तथा चोरी न करने के लिए उन्हें सख्त हिदायत थी |
(3) उन्हें ब्रह्मचार्य का पालन करना पड़ता था |
(4) पुरुषो को वस्त्र सहित सबकुछ त्याग देना पड़ता था |
प्रश्न: महावीर कौन थे ?
उत्तर: महावीर जैन धर्म के सार्वधिक महत्वपूर्ण विचारक थे |
प्रश्न: संघ नामक संगठन की स्थापना किसने और क्यों की ?
उत्तर: संघ की स्थापना महावीर तथा बुद्ध ने की | महावीर तथा बुद्ध दोनों का मानना था की घर का त्याग करने पर ही सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है | यहाँ घर का त्याग करने वाले लोग एक साथ रहते थे |
प्रश्न: विनयपिटक ग्रन्थ क्या है ?
उत्तर: संघ में रहने वाले बौद्ध भिक्षुओ के लिए बनाए गए नियम विनयपिटक ग्रन्थ में लिखे गए है |
प्रश्न: विनयपिटक ग्रन्थ से कौन - कौन सी जानकारियां प्राप्त होती है ?
अथवा
संघ में प्रवेश लेने वालें बौद्ध भिक्षुओ को किन - किन नियमो का पालन करना पड़ता था ?
उत्तर: विनयपिटक ग्रन्थ से निम्नलिखित जानकारियां प्राप्त होती है:-
(1) संघ में पुरुषो और स्त्रियों के रहने के लिए अलग -अलग व्यवस्था थी |
(2) सभी व्यक्ति संघ में प्रवेश ले सकतें थे |
(3) एक स्त्री को संघ में प्रवेश लेने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़ती थी |
(4) संघ में प्रवेश लेने वालें स्त्री व पुरुष भिक्षा मांगकर अपना सदा जीवन जीते थे |
प्रश्न: प्राकृत भाषा में भिक्खु तथा भिक्खुणी किसे कहा जाता है ?
उत्तर: संघ में प्रवेश लेने वाले स्त्री व पुरुष शहरो व गाँवों में जाकर भिक्षा मांगकर अपना सदा जीवन जीते थे यही कारण था की उन्हें भिक्खु तथा भिक्खुणी कहा गया है जिसका अर्थ है साधू तथा साध्वी |
प्रश्न: 'विहार, शब्द से आप क्या समझते है ?
उत्तर: विहार ऐसे शरणस्थलों को कहा जाता है जो भिक्खु तथा भिक्खुणीयो द्वारा स्वयं तथा उनके समर्थको के लियें बनाए गए थे |
प्रश्न: संघ के जीवन से आश्रमों की यह व्यवस्था किस तरह भिन्न थी? यहाँ किन वर्गां का उल्लेख हुआ हैं? क्या सभी चार वर्गां को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति थी?
उत्तर:
संघ का जीवन -
1. संघ का जीवन बहुत ही सरल था|
2. संघ के लोग घर का त्याग कर सच्चे ज्ञान की तलाश में जाते थे|
3. संघ के लोग अपना ज्यादातर समय ध्यान तथा योग कारके बिताते थे|
4. इस संघ में ब्रह्राण, क्षत्रिय, व्यापारी तथा शूद्र शामिल थे|
आश्रमों का जीवन -
1. आश्रमों का जीवन जटिल था इसमें रहकर मनुष्य पारंपरिक नियमों का पालन करते थे|
2. इसमें व्यक्ति अन्य सांसारिक क्रियाकलापों में समय बिताते थे|
3. इसमें व्यक्ति अन्य सांसारिक क्रियाकलापों में समय बिताते थे|
4. इसमें ब्राह्राण, क्षत्रिय तथा वर्गें को आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति नहीं थी|
प्रश्न: जरथुस्त्र की शिक्षाओं का संकलन किस ग्रंथ में मिलता हैं?
उत्तर: जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे उनकी शिक्षाओं का संकलन जेंन्द - अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलाता हैं|
प्रश्न: जेंन्द - अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति - रिवाज किस से मिलते - जुलते हैं?
उत्तर: जेंन्द - अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति - रिवाज, विदों की भाषा और रीति - रिवाजों से काफी मिलते - जुलते हैं|
प्रश्न: जरथुस्त्र की मूल शिक्षा सूत्र क्या हैं?
उत्तर: जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र हैं - सद विचार, सद - वचन तथा सद - कार्य|
प्रश्न: कुछ जरथुस्त्रवादी इरान से आकर भारत में कहाँ बस गए थे?
उत्तर: कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए| वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज हैं|