अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q 1. संघवाद क्या है ?
उत्तर : संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।
Q 2. सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर : सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण वहाँ शक्तियों का अतिशय संघनन और
केन्द्रीयकरण की प्रवृत्तियाँ थीं। इसके अलावा उज्बेकिस्तान जैसे भिन्न भाषा और संस्कृति
वाले क्षेत्रों पर रूस के आधिपत्य ने भी विघटन को बढ़ावा दिया।
Q3. भारत के राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को ‘विविधता में एकता’ के रूप में परिभाषित क्यों किया है।समझिए |
उत्तर : भारतीय भू-भाग एक महाद्वीप की तरह विशाल और अनेक विविधताओं से भरा है। यहाँ 20 प्रमुख और सैकड़ों अन्य छोटी भाषाएँ हैं। यहाँ अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। देश के विभिन्न भागों में करोड़ों आदिवासी निवास करते हैं। इन विविधताओं के बावजूद हम एक साझी जमीन पर रहते हैं और हमारा एक साझा इतिहास है। खासकर उन दिनों का जब हम आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे। हमारे बीच दूसरी कई समानताएँ हैं।इसी कारण हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने भारत को ‘विविधता में एकता’ के रूप में परिभाषित किया है। कभी-कभार इसे ‘विविधताओं के साथ एकता’ की संज्ञा भी दी जाती है।
Q 4. संघवाद की मूल अवधरणाओं का वर्णन कीजिए ?
उत्तर : संघवाद की मूल अवधरणाएँ निम्न प्रकार है :-
(i) निश्चित रूप से संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।
(ii) इस प्रकार लोगों की दोहरी पहचान और निष्ठाएँ होती हैं। वे अपने क्षेत्र के भी होते हैं और राष्ट्र के भी। जैसे हममें से कोई गुजराती या झारखंडी होने के साथ-साथ भारतीय भी होता है। प्रत्येक स्तर की राजनीतिक व्यवस्था की कुछ विशिष्ट शक्तियाँ और उत्तरदायित्व होते हैं तथा वहाँ एक अलग सरकार भी होती है।
(iii) दोहरे शासन की विस्तृत रूपरेखा अमूमन एक लिखित संविधान में मौजूद होती है। यह संविधान सर्वोच्च होता है और दोनों सरकारों की शक्तियों का स्रोत भी। राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों-जैसे प्रतिरक्षा और मुद्रा- का उत्तरदायित्व संघीय या केन्द्रीय सरकार का होता है।क्षेत्रीय या स्थानीय महत्त्व के विषयों पर प्रांतीय राज्य सरकारें जवाबदेह होती हैं।
(iv) केंद्र और राज्यों के मध्य किसी टकराव को रोकने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है जो संघर्षों का समाधान करती है। न्यायपालिका को केन्द्रीय सरकार और राज्यों के बीच शक्ति के बँटवारे के संबंध् में उठने वाले कानूनी विवादों को हल करने का अधिकार होता है।
Q5. भारतीय संविधान में शक्ति विभाजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : भारत के संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है -
(i) एक संपूर्ण राष्ट्र के लिए जिसे संघीय सरकार या केन्द्रीय सरकार कहते हैं और
(ii) दूसरी प्रत्येक प्रांतीय इकाई या राज्य के लिए जिसे राज्य सरकार कहते हैं।
ये दोनों ही संवैधानिक सरकारें हैं और इनके स्पष्ट कार्य-क्षेत्र हैं। यदि कभी यह विवाद हो जाए कि कौन- सी शक्तियाँ केंद्र के पास है और कौन-सी राज्यों के पास, तो इसका निर्णय न्यायपालिका संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार करेगी।
Q6. सैनिक शासन’ या मार्शल लॉ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : सैनिक शासन’ या मार्शल लॉ से अभिप्राय है कि ये प्रावधान संसद को इस बात का अधिकार देते हैं कि ऐसी स्थिति में वह केंद्र या राज्य के किसी भी अधिकारी के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने या उसकी बहाली के लिए किए गए किसी भी कार्य को कानूनी जायज करार दे सके। इसी के अंतर्गत ‘सशस्त्र बल विशिष्ट शक्ति अधिनियम’ का निर्माण किया गया।
Q7. कुछ राज्यों के लिए संविधान में विशेष प्रावधानों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : जम्मू-कश्मीर एक विशाल देशी रियासत था।अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है | और केंद्र सूची और समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद द्वारा कानून बनाने और उसे जम्मू-कश्मीर में लागू करने के लिए इस राज्य की सहमति आवश्यक है।
अनुच्छेद 368 केअंतर्गत राज्य सरकार की सहमति के बिना जम्मू-कश्मीर में ‘आंतरिक अशांति’ के आधर पर ‘अपात्काल’ लागू नहीं किया जा सकता। संघ सरकार जम्मू-कश्मीर में वित्तीय आपात् स्थिति लागू नहीं कर सकती तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व यहाँ लागू नहीं होते।
Q 8. भारत में 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन किस प्रकार से हुआ |
उत्तर : 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ। इससे भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की शुरुआत हुई और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ 1966 में पंजाब और हरियाणा को अलग-अलग किया गया। बाद में पूर्वोत्तर के राज्यों का पुनर्गठन किया गया और अनेक नए राज्यों - जैसे मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश का जन्म हुआ।
Q9. सन 1990 के दशक में नए राज्य बनाने को पूरा करने को लेकर किन राज्यों का विभाजन किया गया |
उत्तर : सन 1990 के दशक में नए राज्य बनाने की माँग को पूरा करने तथा अधिक प्रशासकीय सुविधा के लिए कुछ बड़े राज्यों का विभाजन किया गया।
जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को विभाजित कर तीन नए राज्य क्रमशः झारखंड, उत्तरांचल और छत्तीसगढ़ बनाए गए। कुछ क्षेत्र और भाषाई समूह अभी भी अलग राज्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं जिनमें आंध्र प्रदेश में तेलंगाना और महाराष्ट्र में विदर्भ प्रमुख हैं।
Q 10. भारत में राष्ट्रपति शासन से आप क्या समझाते है ?
उत्तर : भारतीय संविधान में राज्यों में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था अनुच्छेद 356 के अनुसार की गयी है जो निम्न प्रकार है :-
- अगर किसी राज्य में कानून व्यवस्था भंग हो गयी हो |
- राज्य में राजनितिक अस्थिरता की स्थिति में |
- अगर किसी भी दल को चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त ना हो व सरकार बनाने के प्रयास में विधान सभा के सदस्यों की खरीद फरोख्त या दल बदल की संभावना हो |
- सरकार संविधान के अनुसार ना चलाई जा रही हो |