अभ्यास प्रश्नोत्तर:-
प्रश्न 1. वैकल्पिक प्रश्न
(i) रबड़ का संबंध् किस प्रकार की वनस्पति से है?
(क) टुंड्रा | (ख) हिमालय | (ग) मैंग्रोव | (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन |
उत्तर: (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्रा में पाए जाते हैं?
(क) 100 से.मी. | (ख) 70 से.मी. | (ग) 50 से.मी. | (घ) 50 से.मी. से कम वर्षा |
उत्तर: (क) 100 से.मी.
(iii) सिमलीपाल जीव मंडल निचय कौन-से राज्य में स्थित है?
(क) पंजाब | (ख) दिल्ली | (ग) ओडिशा | (घ) पश्चिम बंगाल |
उत्तर: (ग) ओडिशा
(iv) भारत के कौन-से जीव मंडल निचय विश्व के जीव मंडल निचयों में लिए गए हैं?
(क) मानस | (ख)मन्नार की खाड़ी | (ग) नीलगिरी | (घ) नंदादेवी |
उत्तर: (घ) नंदादेवी
प्रश्न 2. संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न :
(i) पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी भी क्षेत्र में पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से आपस में संबधित होते हैं और एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं| इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक पर्यावरण एवं इसमें निवास करने वाले जीव-जंतुओ की परिस्परिक निर्भरता का तंत्र हैं| मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग हैं| मनुष्य वनस्पति एवं वन्य जीवों का उपयोग करता हैं|
(ii) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धरित होता है?
उत्तर: भारत में पादपों एवं जीवों के वितरण को निर्धारित करने वाले तत्व इस प्रकार हैं- जलवायु, मृदा, उच्चावच, अपवाह, तापमान, सूर्य का प्रकाश, वर्षं आदि|
(iii) जीव मंडल निचय से क्या अभिप्राय हैए कोई दो उदाहरण दो।
उत्तर: जीवमंडल निचय:- जैव विविधता को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए स्थापित क्षेत्रो को जीवमंडल निचय कहते हैं| एक संरक्षित जीवमंडल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता हैं कि न केवल इसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती हैं अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता हैं| उदहारण, नीलगिरी और सुंदरवन|
(iv)कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।
उत्तर: उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन - लंगूर, बन्दर, हाथी|
पर्वतीय वनस्पति- घने बालो वाली भेड़, लाल पांडा, आइवेक्स|
प्रश्न 3. निम्नलिखित में अंतर कीजिए :
(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत
उत्तर:
प्राणी जगत | वनस्पति जगत |
(i) भोजन की आदत के आधार पर प्राणियों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है- 1. शाकाहारी जीव, 2. मांसाहारी जीव| |
(i) पौधों को दो वर्गों में बांटा जा सकता हैं- 1. फूल वाले पौधे, 2. बिना फूल वाले पौधे| |
(ii) कुछ वन्यप्राणी विलुप्त होने की स्थिति में हैं, उनके संरक्षण के लिए विशेष प्रयतन किये जा रहे हैं| | (ii) हमारे देश में विविध प्रकार की वनस्पति मिलती हैं| यहाँ उष्ण कटिबंधीय वनस्पति से लेकर ध्रुवीय वनस्पति के दर्शन होते हैं| |
(iii) प्राणियों को तीन वर्गों में बांटा गया हैं- (a) थल-चर, (b) जलचर (c) नभ-चर| | (iii) प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, झाड़ियों, तथा भूमियों को शामिल किया जाता हैं| |
(iv) भारत में प्राणियों की लगभग 89000 जातियों के जीव-जंतु पाए जाते हैं| | (iv) भारत में पौधे की लगभग 47000 प्रकार की जातियां पाई जाती हैं| |
(v) 2500 जातियों की मछलियाँ तथा 2000 जातियां पक्षियों की पाई जाती हैं| | (v) पौधों की 5000 जातियां तो एसी हैं जो केवल भारत में पाई जाती हैं| |
(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन
उत्तर:
पर्णपाती वन | सदाबहार वन |
(i) इन वनों में बहुत से पक्षी,छिपकली, सांप, कछुए आदि पाए जाते हैं| | (i) इन वनों में बहुत से पक्षी,चमगादड़, बिच्छु एवं घोंघे आदि पाए जाते हैं| |
(ii) इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ों में सागोन, बाँस, साल, शीशम, चन्दन, खैर, नीम आदि प्रमुख हैं| | (ii) इन वनों में प्राय: पाए जाने वाले वृक्षों में आबनूस, महोगनी, रोजवूड आदि हैं| |
(iii) ये उन क्षेत्रो में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 200 सेमी के बीच होती हैं | | (iii) ये उन क्षेत्रो में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी या इससे अधिक होती हैं| |
(iv) इन वनों में पौधे अपने पत्ते शुष्क गर्मी के मौसम में 6 से 8 सप्ताह के लिए गिरा देते हैं| | (iv) इन वनों में पौधे अपने पत्ते वर्ष के अलग - अलग महीनो में गिराते हैं जिससे ये पूरे वर्ष हरे - भरे नज़र आते हैं| |
(v) इन वनों में प्राय: पाए जाने वाले पशुओ में शेर और बाघ हैं| | (v) इन वनों में प्राय: पाए जाने वाले पशुओ में हाथी, बंदर, लैमूर, एक सींग वाले गैंडे और हिरण हैं| |
प्रश्न 4. भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर: भारत में पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पतियाँ इस प्रकार हैं-
1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
3. उष्ण कटिबंधीय कैंटीले वन तथा झाड़ियाँ
4. पर्वतीय वन
5. मैंग्रोव वन
इन वनों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैं:-
1. पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता हैं| वनस्पति में जिस प्रकार का अंतर हम उष्ण कटिबंधीय प्रदेशो से टुंड्रा की ओर देखते है उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ-साथ देखने को मिलता हैं|
2. 1000 मी से 2000 मी तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रो में आई शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं| इनमें चौडी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनेस्ट जैसे वृक्षों की प्रधानता होती हैं|
3. 1500 से 3000 मी की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड, देवदार, सिल्वर - फर , स्पूस, सीडर आदि पाए जाते हैं|
4. येन वन प्राय: हिमालय की दक्षिणी ढलानों, दक्षिण और उत्तर - पूर्व भारत के अधिक ऊँचाई वाले भागों में पाए जाते हैं|
5. अधिक ऊँचाई पर प्राय: शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं| प्राय: 3600 मी से अधिक ऊँचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पलाइन वनस्पति ले लेती हैं|
प्रश्न 5.भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं- उदाहरण सहित कारण दीजिए।
उत्तर: भारत में बड़ी संख्या में जीव एवं पादप प्रजातियाँ संकटापन्न हैं| लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ भारत में संकट में हैं जबकि 20 पादप प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं|
बहुत बड़ी संख्या में पादप और जीव प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के निम्नलिखित कारण हैं:-
1. कृषि, उद्योग एवं आवास हेतु वनों में तेज़ी से कटाई|
2. विदेशी प्रजातियों का भारत में प्रवेश|
3. व्यापरियों द्वारा अपने व्यवसाय के विकास के लिए जंगली जानवरों का बड़े पैमानों पर अवेध शिकार|
4. रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थो तथा तेजाबी जमाव के कारण जीवो की मृत्यु|
वास्तव में मानव द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ तथा पेड़-पौधे एवं जीवों के अत्यधिक दोहन से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ गया हैं| इसी कारण पेड़-पौधे तथा वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया हैं|
प्रश्न 6. भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
उत्तर: भारत में लगभग प्रकृति की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं जैसे- पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार, सागरीय तट, सदानीरा नदियाँ, द्वीप एवं मीठे तथा खारे पानी की झीलें| येन सभी कारक भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की वृद्धि एवं विकास के लिए अजैविक विविधता के लिए अनुकूल हैं| विश्व की कुल जैव विविधता का 12 प्रतिशत भारत में पाया जाता हैं| भारत में लगभग 47000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवे स्थान पर और एशिया के देशो में चौथे स्थान पर हैं| भारत में लगभग 15000 फूलों के पौधे का प्रतिशत हैं| इस देश में बहुत से बिना फूलो के पौधे हैं जैसे फर्न, शैवाल तथा कवक भी पाए जाते हैं|
भारत में लगभग 89000 जातियों के जानवर तथा ताजे और समुद्री पानी की विभिन्न प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं| देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मृदा, आर्द्रता एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार के वातावरण में पाया जाता हैं| पूरे देश में वर्षा का वितरण भी असमान हैं| वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की विभिन्न प्रजातियो को अलग - अलग प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियां एवं विभिन्न प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियां एवं विभिन्न प्रकार की मृदा चाहिए होती हैं| इसलिए भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की दरोहर में धनी हैं|