अध्याय-समीक्षा
- वह रासायनिक प्रक्रम जिसमें कोई पदार्थ आॅक्सीजन से अभिक्रिया कर उष्मा देता है दहन कहलाता है।
- जिन पदार्थों का दहन होता हैं वे दाह्य कहलाते है इन्हे ईंधन भी कहते है।
- सूर्य में ऊष्मा और प्रकाश नाभकिय संलयन अभिक्रिया के द्वारा उत्पन्न होते है |
- वह न्युनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है , वह ताप उस पदार्थ का ज्वलन ताप कहलाता है।
- कागज के कप को दी जाने वाली उष्मा, चालन द्वारा जल में चली जाती है। अतः जल की उपस्थिति में ताप कागज के ज्वलन ताप तक पहुॅच ही नहीं पाता । इसलिए वह जल ही नहीं पाता ।
- जलने के लिए तीन उपयोगी बात है (i) ज्वलनशील पदार्थ (ii) ज्वलन ताप (iii) आॅक्सीजन |
- विद्युत उपकरण और पेट्रोल जैसे ज्वलनशील पदार्थों में लगी आग को बुझाने के लिए कार्बन डाइआक्साइड जैसे अग्निशामक का प्रयोग किया जाता है |
- आग पर तुरन्त काबु पाने के लिए आॅक्सीजन संपर्क को काट दिया जाता है इसके लिए कई प्रचलित विधियाॅ है जैसे पानी डालना , कार्बन डाइआक्साइड का छिडकाव करना , इनसे ज्वलन ताप भी तुरन्त कम हो जाता है।
- कार्बन डाइआक्साइड से विद्युत उपकरणों को कोई हानि नहीं पहुॅचती जबकि पानी डालने पर जल विद्युत का चालन कर सकता है।
- आॅक्सीजन से भारी होने के कारण CO2 आग को एक कंबल की तरह लपेट लेती है। इससे ईंधन और आॅक्सीजन के बीच संपर्क टुट जाता है और आग पर नियंत्रण हो जाता है।
- दहन तीन प्रकार के होते है। (i) तीव्र दहन (iii) स्वतः दहन (iii) विस्फोट |
- मोमबती जलने पर ज्वाला का निर्माण करता है जबकि लकडी का कोयला नहीं करता ।
- ज्वाला के तीन भिन्न क्षेत्र निम्न है: (i) अदीप्त क्षेत्र (ii) दीप्त क्षेत्र (iii) ज्योतिहीन क्षेत्र |
- सोन और चाॅदी को पिघलाने के लिए स्वर्णकार ज्वाला के अदीप्त क्षेत्र का उपयोग करता है क्योंकि यह सबसे अधिक ताप वाला क्षेत्र होता है।
- किसी ईंधन के 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त उष्मा उर्जा की मात्रा , उसका उष्मीय मान कहलाता है। इसका मात्रक किलोजूल प्रति किलोग्राम है।
- विश्व ऊष्णन (ग्लोबल वार्मिंग) का मुख्य कारण CO2 है |
- ईंधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोक्साइड जैसा बिषैला गैस बनता हैं ।
- ईंधनों के दहन से होने वाले हानिकारक प्रभाव - (i) दमा और श्वास रोग उत्पन्न करते है। (ii) इनके अपूर्ण दहन से कार्बनमोनोक्साइड जैसा विषैला गैस निकलता है जिससे कमरे में सोये हुूए व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। (iii) इनसे निकलने वाले कार्बन डाइआक्साइड से विश्व ऊष्णन बढ़ता हैं । (iv) इनके कारण ही अम्लीय वर्षा होती है।
- सल्फर और नाइट्रोजन के आॅक्साइड अम्लीय वर्षा का मुख्य कारण है।
- अम्लीय वर्षा फसलों को नष्ट कर देती है। मृदा को अम्लीय बना देती हैं । अम्लीय वर्षा का पानी नदी या तालाब में मिल जाय तो जीव नष्ट हो सकते है।
- और नाइट्रोजन के आॅक्साइड वर्षा जल में घुल जाते है तथा अम्ल बनाते है। ऐसी वर्षा अम्लीय वर्षा कहलाती है।
- एलपीजी जलने पर धॅुआ नहीं छोडता जबकि लकडी जलने पर धुॅआ छोडता है। यही कारण है कि एलपीजी को एक स्वच्छ ईंधन माना जाता है |