अध्याय - समीक्षा:
- ध्वनि कंपन करती हुई वस्तु द्वारा उत्पन्न होती है।
- मानव वाक - तंतुओं के कंपन द्वारा ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
- ध्वनि किसी माध्यम (गैस, द्रव या ठोस) में संचरित होती है। यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।
- कर्ण पटह ध्वनि के कंपनों को अनुभव करते हैं। यह इन संकेतों को मस्तिष्क तक भेज देते हैं। इस प्रक्रिया को श्रवण कहते हैं।
- प्रति सेकंड होने वाले दोलनों या वंफपनों की संख्या दोलन की आवृत्ति कहलाती है।
- आवृत्ति को हर्ट्श (Hz) में व्यक्त करते हैं।
- कंपन का आयाम जितना अधिक होता है, ध्वनि उतनी ही प्रबल होती है।
- कंपन की आवृत्ति अधिक होने पर तरत्व अधिक होता है और ध्वनि अधिक तीक्ष्ण होती है।
- अप्रिय ध्वनियाँ शोर कहलाती हैं।
- अत्यधिक या अवांछित ध्वनियाँ ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करती हैं। ध्वनि प्रदूषण मानवों के लिए स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
- ध्वनि प्रदूषण को न्यूनतम करने के प्रयास करने चाहिए।
- सड़क के किनारे तथा अन्य स्थानों पर पेड़ लगाने से ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।