अभ्याय - प्रश्न:
प्रश्न: आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं?
उत्तर: जलापूर्ति एक आवश्यक जनसुविधा है जो सभी लोगों को मुहैया होनी चाहिए| इस कार्य में नुकसान और फायदे को दरकिनार करना आवश्यक होता है | निजी कंपनियाँ सिर्फ मुनाफे के लिए चलती हैं| उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि वास्तु की पहुँच आम आदमी तक है अथवा नहीं| जलापूर्ति का निजीकरण करने का मतलब है कि लोगों की जनसुविधा की उपलब्धता में अनियमितता, जिससे देश में अराजकता फ़ैल सकती है| यही कारण है कि निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम देखने को मिलते हैं|
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध है और वे पानी का खर्च उठा सकते हैं? चर्चा करें|
उत्तर: चेन्नई में पानी की भरी कमी है| नगरपालिका की आपूर्ति से शहर की लगभग आधी जरुरत ही पूरी हो पाती है| कुछ इलाकों में नियमित रूप से पानी आता है| कुछ इलाकों में बहुत कम पानी आता है | जहां पानी का भण्डारण किया गया है उसके आस-पास के इलाकों में ज्यादा पानी आता है जबकि दूर की बस्तियों को कम पानी मिलता है|
जलापूर्ति में कमी का बोझ ज्यादातर गरीबों पर पड़ता है | जब उच्च या मध्यम वर्ग के लोगों के सामने पानी की किल्लत पैदा हो जाती है तो वह ज्यादा आसानी से इसका हल ढूंढ लेते हैं |
प्रश्न: किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यपारियों को पानी बेचने से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है?
उत्तर:
(i) किसानों द्वारा चेनी के जल व्यपारियों को पानी की बिक्री से कस्बों और गांवों में भूमिगत जल स्तर बहुत भूरी तरह गिर चुका है | स्थानीय लोग जल आभाव का सामना कर रहें हैं एवं पिने के पानी की आपूर्ति कम पड़ने लगी है |
(ii) हाँ, स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं | भूमिगत जल एक प्राकृतिक संसाधन है जिसका निजी कंपनियाँ अपने स्वार्थसिद्धि के लिए अतिशय दोहन नहीं कर सकती हैं |
(iii) हाँ, सरकार जल व्यपारियों एवं वे किसान जो जल बिक्री कर रहें हैं- दोनों के खिलाफ कदम उठा सकती है | उनमे जुर्माना वसूल किया जा सकता है |
प्रश्न: ऐसा क्यों है कि ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही हैं?
उत्तर: ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही हैं क्योंकि -
(i) शहरों की जिंदगी तेज रफ्तार से चलती है | उनकी आमदनी अच्छी होती है |
(ii) शहरों में यातायात, बिजली, जलापूर्ति, आदि सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं | ग्रामीण इलाको में ए सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध नही होतीं |
प्रश्न: क्या आप को लगता हैं कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दें|
उत्तर: हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष नही है| उदाहरण के लिए दिल्ली में विभिन्न जनसुविधाएँ जैसे, जल, बिजली, परिवहन सेवा, स्कूल, कोलेज आदि पर्याप्त रूप से सुलभ हैं| जबकि हम दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर मथुरा या अलीगढ चले जाए तो पाएँगे की यहाँ पर जनसुविधाओं का आभाव है|
प्रश्न: अपने इलाके की पानी, बिजली, आदि कुछ जनसुविधाओं को देखे| क्या उनमे सुधार की कुछ गुंजाइश है? आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए? इस तालिका को भरें|
उत्तर:
प्रश्न: क्या आपके इलाके के सभी लोग उपरोक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते हैं ?
उत्तर:
प्रश्न: जनगणना के साथ-साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आकड़ें इकटठा किए जाते है| अपने शिक्षक के साथ चर्चा करे की जनगणना का कम कब और किस तरह किया जाता है|
उत्तर: जनगणना का कम प्रत्येक दस वर्ष बाद किया जाता है| जनगणना हेतु सरकारी अधिकारीयों, शिक्षकों को प्रत्येक घर से आँकड़े इकटठे करने हेतु नियुक्त किया जाता है| नियुक्त लोगों को एक तैयार प्रश्नावली दिया जाता है | इसे नियुक्त अदिकारी को जो जानकारी लोगों से मिलती है, उसके अनुसार भरते हैं| पुराने आँकड़े हटा दिए जाते हैं और नए आँकड़े छापे जाते है|
प्रश्न: हमारे देश में निजी शैक्षणिक संसथान - स्कूल, कोलेज, विश्वविद्यालय, तकनिकी और व्यवसायिक प्रशिक्षण संसथान बड़े पैमाने पर खुलते जा रहें हैं | दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संसथान का महत्व कम होता जा रहा है| आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है ? चर्चा कीजिए |
उत्तर: इसके निम्नलिखित प्रभाव हो सकते है -
(i) सरकारी संसथान का धीरे-धीरे महत्व समाप्त हो जायगा |
(ii) गरीब वर्ग उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाएँगे, क्योंकि वे निजी संस्थानों की भारी-भरकम फीस दे नहीं सकते | यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रति अत्याचार होगा |