अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: 1920 के दशक में समोआ में पले-बढ़े बच्चों की अवस्था कैसी थी?
उत्तर: 1920 के दशक में, सामोन समाज पर शोध रिपोर्टों के अनुसार, बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। छोटी उम्र में, उन्होंने बच्चों की देखभाल कैसे करें या बड़े बच्चों और वयस्कों से घर का काम करना जैसी चीजें सीखीं। लड़के और लड़कियां दोनों घर का काम करते थे।
प्रश्न: 1960 के दशक में मध्य प्रदेश में बढ़ते हुए लड़के एवं लड़कियों की परिवरिश में क्या अंतर था|
उत्तर: कक्षा 6 के बाद से लड़के और लड़कियां अलग-अलग स्कूलों में जाने लगे। लड़कियों के स्कूल में एक केंद्रीय प्रांगण था जहाँ वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से एकांत और सुरक्षा में खेलती थीं। लड़कों के स्कूल में ऐसा कोई आंगन नहीं था और उनका खेल का मैदान स्कूल से जुड़ा एक बड़ा स्थान था। लड़कियां हमेशा समूहों में जाती थीं क्योंकि उन्हें छेड़े जाने या हमला होने का डर भी रहता था।
उपरोक्त दो कहानियों को पढ़ने के बाद आप महसूस करेंगे कि बच्चों की परवरिश के कई अलग-अलग तरीके हैं। आपने यह भी विश्लेषण किया होगा कि समाज लड़के और लड़कियों के बीच स्पष्ट अंतर करता है।
प्रश्न: मूल्य गृहकार्य किसे कहते हैं?
उत्तर: घर के कामकाज और परिवार की देखभाल जैसे देखभाल करने वाले कार्यों की मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। फिर भी महिलाएं घर के भीतर जो काम करती हैं, उसे काम के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। यह भी माना जाता है कि यह काम महिलाओं को स्वाभाविक रूप से आता है। इसलिए, महिलाओं को घर के काम के लिए भुगतान नहीं मिलता है और समाज इस काम का अवमूल्यन करता है|
प्रश्न: घरेलू कामगारों का जीवन कैसा था?
उत्तर: गृहकार्य में कई अलग-अलग कार्य शामिल हैं। इनमें से कई कार्यों के लिए भारी शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में:
- महिलाएं और लड़कियां पानी लाती हैं।
- जलाऊ लकड़ी का भारी सिर ढोना।
- कपड़े धोने, सफाई करने, झाडू लगाने और अपलोड उठाने जैसे कार्य करने के लिए झुकने, उठाने और ले जाने की आवश्यकता होती है।
महिलाएं जो काम करती हैं वह कठिन और शारीरिक रूप से मांग वाला होता है। इसमें बहुत समय भी लगता है। यदि आप घर के काम और काम को जोड़ दें, जो महिलाएं घर के बाहर करती हैं, तो आप पाते हैं कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में काम करने में अधिक समय व्यतीत करती हैं और उनके पास अपने लिए बहुत कम समय होता है|
प्रश्न: अस्मिता (पहचान) किसे कहते हैं?
उत्तर: यह एक प्रकार के स्वंय के होने यानी अपने अस्तित्व के प्रति जागरूकता का भाव हैं| एक व्यक्ति की के अस्मिता हो सकती हैं| उदाहरण के लिए - एक ही व्यक्ति को एक लड़की, बहन और संगीतकार की तरह अस्मिता जा सकाता हैं|]
प्रश्न: दोहरा बोझ किसे कहते हैं?
उत्तर: शाब्दिक रूप में इसका अर्थ हैं - दो गुणा वजन| सामानयत: इस शब्द का महिलाओं के काम की स्थितियों को समझाने के लिए प्रयोग किया गया हैं| यः इस तथ्य को स्वीकार करता हैं कि महिलाएं आमतौर पर घर के भीतर और घर के बाहर दोहरा कार्य - भार सँभालती हैं|
प्रश्न: देखभाल क्या हैं?
उत्तर: देखभाल के अंतर्गत अनेक काम आते हैं, जैसे - संभालना, ख्याल रखना, पोषण करना आदि| शारीरिक कार्या के अतिरिक्त इसमें गहन भावनात्मक पहलू भी सम्मिलित हैं|
प्रश्न: अवमूल्यित किसे कहते हैं|
उत्तर: जब कोई अपने काम के लिए अपेक्षित मान्यता या स्वीकृति नहीं पाता हैं, तब वह स्वंय को अवमूल्यित महसूस करता हैं| उदाहरण के लिए देखे, अगर कोई लड़का अपने मित्र के लिए घंटों सोच - विचार खोजकर एक 'उपहार' बनाता हैं और उसका मित्र उसे देखकर कुछ भी न कहे तो ऐसे में पहला लड़का अवमूल्यित महसूस करता हैं|