अतरिक्त प्रश्न - उत्तर
प्रश्न: आखेटक - खाद्य संग्राहक कौन है ?
उत्तर: आखेटक - खाद्य संग्राहक पृथ्वी पर बीस लाख साल पहलें रहा करतें थें | भोजन का इंतजाम करने की विधि के आधार पर उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है। आमतौर पर खाने के लिए वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे,मछलियाँ और चिडि़या पकड़ते थे, फल-मूल, दाने, पौध-पत्तियाँ, अंडे इक्टठा किया करते थे।
प्रश्न: आखेटक - खाद्य संग्राहक समुदाय के लोग इधर - उधर क्यों घूमतें रहतें थें ?
उत्तर: निम्नलिखित कारणों से आखेटक - खाद्य संग्राहक समुदाय के लोग इधर - उधर क्यों घूमतें रहतें थें :-
1. अगर वे एक ही जगह पर ज्यादा दिनों तक रहते तो आस-पास के पौधें, फलों और जानवरों को खाकर समाप्त कर देते थे। इसलिए और भोजन की तलाश में इन्हें दूसरी जगहों पर जाना पड़ता था।
2. जानवरों का शिकार करने के लिए वे एक जगह से दूसरी जगह जाया करतें थें |
3. पेड़ों और पौधें में फल-फूल अलग-अलग मौसम में आते हैं, इसीलिए लोग उनकी तलाश में उपयुक्त मौसम के अनुसार अन्य इलाकों में घूमते थे |
4. पानी की तलाश में आखेटक - खाद्य संग्राहक समुदाय के लोग इधर - उधर जाया करते थे |
5. लोग अपने नाते - रिश्तेदारों से मिलने जाया करते थे |
प्रश्न: आखेटक - खाद्य संग्राहक पत्थर के औजारों का प्रयोग किसलिए किया करतें थे ?
उत्तर: आखेटक - खाद्य संग्राहक पत्थर के औजारों का प्रयोग करते थे :
1. फल-फूल काटने, हड्डियां और मांस काटने के लिए |
2. पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल उतारने के लिए |
3. कुछ के साथ हड्डियों या लकडि़यों के मुट्ठे लगाकर भाले और बाण जैसे हथियार बनाए जाते थे।
4. लकड़िया काटने के लिए |
प्रश्न: आखेटक - खाद्य संग्राहक लकड़ियों का प्रयोग किसलिए करते थे ?
उत्तर: आखेटक - खाद्य संग्राहक लकडि़यों का उपयोग ईंधन के साथ-साथ झोपडि़याँ और औजार बनाने के लिए करते थे।
प्रश्न: उद्योग - स्थल किसे कहतें है ?
उत्तर: वह स्थान जहाँ लोग पत्थरों से औजार बनाते थे, उन स्थानो को उद्योग - स्थल कहते है |
प्रश्न: आवासीय पुरास्थल क्या है ?
उत्तर: आवासीय पुरास्थल उन स्थानों को कहते है जहाँ लोग रहा करतें थे |लोग इन गुफाओ में इसलिए रहा करते थे क्योकि यहाँ उन्हें बारिश , धुप और हवाओ से राहत मिलती थी |
प्रश्न: पुरास्थल किसे कहते है ?
उत्तर: पुरास्थल उस स्थान को कहते हैं जहाँ औजार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं वेफ अवशेष मिलते हैं। ऐसी वस्तुओं का निर्माण लोगों ने अपने काम के लिए किया था और बाद में वे उन्हें वहीं छोड़ गए।
प्रश्न: प्राचीन काल में आखेटक - खाद्य संग्राहक पाषण औजारों का निर्माण कैसे करतें थे ?
उत्तर: प्राचीन काल में आखेटक - खाद्य संग्राहक पाषण औजारों का निर्माण दो तरीको से करतें थे :
1. पत्थर से पत्थर को टकराना। यानी जिस पत्थर से कोई औजार बनाना होता था, उसे एक हाथ में लिया जाता था, और दूसरे हाथ से एक पत्थर का हथौड़ी जैसा इस्तेमाल होता था। इस तरह मरनें वाले पत्थर से दूसरे पत्थर पर तब तक शल्क निकाले जाते हैं जब तक मनचाहा आकार वाला औजार न बन जाए।
2. दूसरे तरीके को ‘दबाव शल्क-तकनीक’ कहा जाता है। इसमें क्रोड को एक स्थिर सतह पर टिकाया जाता है और इस करोड़ पर हड्डी या पत्थर रखकर उस पर हथौड़ी के आकार वाले पत्थर से शल्क निकाले जाते हैं जिससे मानचाहा आकार वाला उपकरण बन जाता था |
प्रश्न: पाषण औजार का निर्माण करनें की 'दबाव शल्क-तकनीक’ का वर्णन कीजिए |
उत्तर: 'दबाव शल्क-तकनीक’ पाषण औजार का निर्माण करनें की दो विधियों में से ही एक है , जिसमें क्रोड को एक स्थिर सतह पर टिकाया जाता है और इस करोड़ पर हड्डी या पत्थर रखकर उस पर हथौड़ी के आकार वाले पत्थर से शल्क निकाले जाते हैं जिससे मानचाहा आकार वाला उपकरण बन जाता था |
प्रश्न: आखेटक - खाद्य संग्राहक आग का उपयोग किन - किन कार्यो के लियें करतें होंगे ?
उत्तर: आखेटक - खाद्य संग्राहक आग का उपयोग कई कार्यो के लियें करतें होंगे जैसे कि प्रकाश के लिए , मांस पकानें के लिए और खतरनाक जानवरों को दूर आदि भागनें के लिए |
प्रश्न: आरंभिक लोग क्या - क्या कार्य करते थे ?
उत्तर: आरंभिक लोग शिकार तथा फल-मूल का संग्रह किया करते थे। वे पत्थरों के औजार और गुफाओं में चित्र बनाते थे।