अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q1. आनुपातिक न्याय के विचार से आप क्या समझते है ?
उत्तर : आनुपातिक न्याय से तात्पर्य यह है कि लोगों को वेतन और गुण में एक अनुपात होना चाहिए | कर्तव्य और पुरस्कार का निर्धारण करना चाहिए और परिभाषित करना चाहिए | वास्तविक न्याय के लिए आधुनिक समाज में समान व्यवहार का सिद्धांत आनुपातिक सिद्धांत से संतुलित करने की आवश्यकता है |
Q2. न्याय का अर्थ क्या है ?
उत्तर : न्याय शब्द की उत्त्पति 'जस' से हुई है जिसका अर्थ है "किसी को देना" | परन्तु किसी को देने की अवधारणा समाज में विभिन्न होती है उदाहरण के लिए समय के एक बिन्दू पर महिलाओं को समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था परन्तु कालांतर में इसकी उपेक्षा की गई और उनकी स्थिति ख़राब हो गयी तथा विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाने लगी | अब न्याय के विचार के लिए सत्यता, ईमानदारी, निष्पक्षता , समान अवसर , समान व्यवहार और आवश्यकताओं की पूर्ति आदि आवश्यक माने गए है |
जे एस मिल के अनुसार,
‘न्याय में ऐसा कुछ अंतर्निहित है जिसे करना न सिर्फ सही है और न करना सिर्फ गलत बल्कि जिस पर बतौर अपने नैतिक अधिकार कोई व्यक्ति विशेष हमसे दावा जता सकता है।’
प्लेटो के अनुसार ,
न्याय के अंतर्गत प्रत्येक वर्ग को अपने क्षेत्र में कार्यों की उपलब्धि और दूसरी के कार्यों में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है |
मार्क्सवादी के अनुसार ,
न्याय की अवधारणा की दृष्टि से अलग है और किसी का उचित स्थान का विचार भी अलग है | वह पूँजीवादी व्यवस्था से अच्छी तरह से परिचित था जो अन्याय पर आधारित था | इसलिए उसने न्याय की अलग आवश्यकताएं बताई | उसने अपने न्याय की योजना में सुझाव दिया की उत्पादन के साधनों और वितरण पर सामूहिक स्वामित्व होना चाहिए | इसी के साथ प्रत्येक व्यक्ति की मिल आवश्यकताओं को पूर्ति होनी चाहिए |
Q3. न्याय पर जान राँल के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए |
उत्तर : जॉन रॉल्स के सिद्धांत के अनुसार, निष्पक्ष और न्यायसंगत नियम तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता यही है कि हम खुद को ऐसी परिस्थिति में होने की कल्पना करें जहाँ हमें यह निर्णय लेना है कि समाज को कैसे संगठित किया जाय। हम नहीं जानते कि किस किस्म के परिवार में हम जन्म लेंगे, हम ‘उच्च’ जाति के परिवार में पैदा होंगे या ‘निम्न’ जाति में, धनि होंगे या गरीब, सुविधा-संपन्न होंगे या सुविधाहीन।
रॉल्स कहते हैं कि अगर हमें यह नहीं मालूम हो, कि हम कौन होंगे और भविष्य के समाज में हमारे लिए कौन से विकल्प खुले होंगे, तब हम भविष्य के उस समाज के नियमों और संगठन के बारे में जिस निर्णय का समर्थन करेंगे, वह तमाम सदस्यों के लिए अच्छा होगा।
रॉल्स ने इसे ‘अज्ञानता के आवरण’ में सोचना कहा है। वे आशा करते हैं कि समाज में अपने संभावित स्थान और हैसियत के बारे में पूर्ण अज्ञानता की हालत में हर आदमी, आमतौर पर जैसे सब करते हैं, अपने खुद के हितों को ध्यान में रखकर फैसला करेगा। क्योंकि कोई नही जानता कि वह कौन होगा और उसके लिए क्या लाभप्रद होगा, इसलिए हर कोई सबसे बुरी स्थिति के मद्देनजर समाज की कल्पना करेगा। खुद के लिए सोच-विचार कर सकने वाले व्यक्ति के सामने यह स्पष्ट रहेगा कि जो जन्म से सुविधसंपन्न हैं, वे कुछ विशेष अवसरों का उपभोग करेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से यदि उनका जन्म समाज के वंचित तबके में हो जहाँ वैसा कोई अवसर न मिले, तब क्या होगा? इसलिए, अपने स्वार्थ में काम करने वाले हर व्यक्ति के लिए यही उचित होगा कि वह संगठन के ऐसे नियमों के बारे में सोचे जो कमजोर तबके के लिए यथोचित अवसर सुनिश्चित कर सके । इस प्रयास से दिखेगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास जैसे महत्त्वपूर्ण संसाधन सभी लोगों को प्राप्त होगे - चाहे वे उच्च वर्ग के हो या न हों।
Q4. मुक्त बाजार के लक्षणों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : मुक्त बाजार के समर्थकों का मानना है कि जहाँ तक संभव हो,व्यक्तियों को संपत्ति अर्जित करने व के लिए तथा मूल्य, मजदूरी और मुनाफे के मामले में दूसरों के साथ अनुबंध और समझौतों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र रहना चाहिए। उन्हें लाभ की अधिकम मात्रा हासिल करने हेतु एक दुसरे के साथ प्रयोगिता करने की छुट होनी चाहिए| यह मुक्त बाजार का सरल चित्रण है। मुक्त बाजार के समर्थक मानते हैं कि अगर बाजारो को राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त कर दिया जाय, तो बाजारी कारोबार का योग कुल मिलाकर समाज में लाभ और कर्त्तव्यों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित कर देगा। इससे योग्यता और प्रतिभा से लैस लोगों को अधिक प्रतिफल मिलेगा जबकि अक्षम लोगों को कम हासिल होगा। उनकी मान्यता है कि बाजारी वितरण का जो भी परिणाम हो, वह न्यायसंगत होगा।
Q5. न्याय 'एक को देने ' से है | व्याख्या कीजिए |
उत्तर : न्याय शब्द की उत्त्पति 'जस' से हुई है जिसका अर्थ है "किसी को देना" | परन्तु किसी को देने की अवधारणा समाज में विभिन्न होती है| उससे क्या संबधित है , एक व्यक्ति को क्या प्राप्त करना चाहिए और उसका समाज में क्या स्थान है तथा उसे कौन सा अधिकार प्राप्त होना चाहिए परन्तु एक को देने को क्या होना चाहिए और क्या आवश्यकताएं है |
उदाहरण के लिए
महिलाओं को समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था परन्तु कालांतर में इसकी उपेक्षा की गई और उनकी स्थिति ख़राब हो गयी तथा विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाने लगी | भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए गए है जससे महिला अपना विकास कर सके अब न्याय के विचार के लिए सत्यता, ईमानदारी, निष्पक्षता , समान अवसर , समान व्यवहार और आवश्यकताओं की पूर्ति आदि आवश्यक माने गए है |
Q6.सामाजिक न्याय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : सामाजिक न्याय का अर्थ है कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति का महत्व है | समाज में जाति, धर्म, वर्ण, आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाये | दास प्रथा के समय दासों को अन्य नागरिकों से हे समझा जाता था | भारत में लम्बे समय तक अछुतो को समाज का उपेक्षित अंग समझा जाता था विश्व के अनेक भागों में अब भी समाज में स्त्रियों की स्थिति पुरुषों के सामान नने है | ये सब सामाजिक अन्याय की स्थितिया है | सामाजिक न्याय का स्थिति में सबको समाज में उचित स्थान होता है |
Q7. भारतीय संविधान कुछ प्रावधानों का विवरण दीजिए जिनका उद्देश्य सामाजिक न्याय का निर्माण है ?
उत्तर : भारतीय संविधान निर्माताओं ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए निम्निलिखित प्रावधानों की व्यवस्था की है :-
(i) मूल अधिकार
(ii) रोजगार, शिक्षा संस्थाओं और वैधानिक संस्थाओं, संसद और विधान सभाओं में आरक्षण का प्रावधान
(iii) छुआछूत का निवारण
(iv)राजनितिक के निति निर्देशक सिद्धांत
Q8. डा.बी.आर.अम्बेडकर के अनुसार एक आदर्श समाज की क्या स्थिति थी ?
उत्तर : डा.बी.आर.अम्बेडकर के अनुसार एक आदर्श समाज वह है जिसमे उच्च और निम्न दृष्कोंण आपस में मिल जाते हैं और एक नये मिश्रित समाज का निर्माण होता है |
Q9. विशेष ज़रूरतों का सिद्धांत सभी के साथ समान बरताव के सिद्धांत के विरुद्ध है? कैसे समझायें|
उत्तर : समान रूप से समाज के साथ व्यवहार लागू हो सकता है कि लोग जो कुछ दृष्टियो से समान नहीं है उन्हें विभिन्न प्रकार से विचार कर सकते है | शारीरिक योग्यतायें आयु सफलता की कमी अच्छी शिक्षा या स्वास्थ्य आदि कुछ महत्त्वपूर्ण कारक है जो विशेष व्यवहार के रूप में विचार किया जा सकता है | यदि दोनों समूहों के लोगों या सामान्य लोग और अपंग व्यक्तियों को विशेष मदद या उनकी कुछ आवश्कताएं पूरी की जा सके तो इससे न्याय की आवश्यकता की पूर्ति होगी परन्तु यह न्याय से अलग या समान न्याय नहीं होगा |
Q10. भारतीय संविधान में सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए किस प्रकार के प्रावधान किये गए है ?
उत्तर : हमारे देश में सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए संविधान ने छुआछूत की प्रथा का उन्मूलन किया और यह सुनिश्चित किया कि ‘निचली’ कही जाने वाली जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रवेश, नौकरी और पानी जैसी बुनियादी ज़रूरतों से न रोका जा सके ।