मुख्य बिन्दू :-
- स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति की योगिता का विस्तार करना और उसके अंदर की संभावनाओं को विकसित करना है |
- भारतीय राजनीतिक विचारों में स्वतंत्रता की समानार्थी अवधारणा ‘स्वराज’ है। स्वराज का अर्थ ‘स्व’ का शासन भी हो सकता है और ‘स्व’ के ऊपर शासन भी हो सकता है।
- स्वतंत्र समाज वह होता है, जिसमे व्यक्ति अपने हित संवर्धन न्यूनतम प्रतिबंधों के बीच करने में समर्थ हो |
- स्वतंत्रता को इसलिए बहुमूल्य माना जाता है, क्योकि इससे हम निर्णय और चयन कर पाते हैं |
- व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध् प्रभुत्व और बाहरी नियंत्रण से लग सकते हैं। ये प्रतिबंध् बलपूर्वक या सरकार द्वारा ऐसे कानून कि मदद से लगाए जा सकते है |
- स्वराज का अर्थ ‘स्व’ का शासन है और ‘स्व’ के ऊपर शासन भी हो सकता है| स्वतंत्रता पर प्रतिबंध् सामाजिक असमानता के कारण भी हो सकते हैं जैसा कि जाति व्यवस्था में होता है और समाज में अत्यध्कि आर्थिक असमानता के कारण भी हो स्वतंत्रता पर अंकुश लग सकते हैं।
- स्वतंत्रता मानव समाज के केंद्र में है और गरिमापूर्ण मानव जीवन के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, इसलिए इस पर प्रतिबंध बहुत ही खास स्थिति में लगाए जा सकते हैं।
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स्व निर्धारित कार्य / स्वसंबंद्ध कार्य - ये क्रियाएँ मानव की वे क्रियाएँ है जो केवल उसी व्यक्ति से संबधित होती है जो व्यक्ति अपने काम को स्वयं करता है तथा वह दूसरों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करते है |
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अन्य निर्धारित कार्य / परस्वसंबंद्ध कार्य - ये क्रियाएँ मानव की वे क्रियाएँ है जो केवल दुसरे व्यक्ति से संबधित होती है जो अपना कम स्वयं न करके दुसरे व्यक्ति के कार्यों में हस्तक्षेप करते है |
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राष्ट्रिय स्वतंत्रता उत्तेजनापूर्ण और आत्मिक होता है और राष्ट्रिय स्वतंत्रता के लिए लोग अपना जीवन समर्पित कर देते है |
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जबकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता व्यक्ति के विकास से जुड़ा होता है तथा इसमें व्यक्ति का अपना स्वार्थ निहित होता है |