महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1 -(i) प्रत्यावर्ती धारा (A.C) और दिष्टधारा (D.C) में क्या अंतर है ?
(ii) ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखो जो दिष्टधारा व प्रत्यवर्ती धारा उत्पन्न करते है।
(iii) प्रत्यवर्ती धारा दिष्टधारा से किस प्रकार लाभदायक है ?
(iv) भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृति कितनी है ?
(v) भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा कितने समय पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रमित करती है ?
उत्तर -(i) दिष्टधारा एक ही दिशा में प्रवाहित होता है जबकि प्रत्यावर्ती धारा की दिशा निश्चित अवधि में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) दिष्टधारा (D.C) - सेल या बैटरी
प्रत्यावर्ती धारा (A.C) - विद्युत जनित्र
(iii) प्रत्यवर्ती धारा का लाभ यह है कि विद्युत शक्ति को सुदूर स्थानों तक बिना अधिक ऊर्जा क्षय के प्रषित किया जा सकता है ।
(iv) 50 Hz हाटर्ज
(v) भारत में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा 1/100 S पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रमित करती है|
प्रश्न 2 - घरेलु विद्युत परिपथ में विद्युन्मय तार और उदासीन तार के अलावा एक अन्य तार होता है , जिस पर हरा विद्युतरोधन होता है।
(i) इस तार को क्या कहते है ?
(ii) इस तार को घरेलु परिपथ में लगाने के क्या फायदे हैं ?
(iii) इस तार को घरेलु परिपथ के अलावा इसका एक और छोर कहाँ संयोजित किया जाता हैं और कैसे ?
उत्तर -
(i) इसे भूसंपर्क तार कहते है।
(ii) भूसंपर्क तार एक सुरक्षा उपाय है जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई उपकरण के धात्विक आवरण में विद्युत धारा आ जाता है तो उसका उपयोग करने वाला व्यक्ति को गंभिर क्षटका न लगे।
(iii) इस तार को घरेलु परिपथ के अलावा इसका एक और छोर भूमि में गहराई में दबी धातु की प्लेट से संयोजित किया जाता हैं ।
प्रश्न 3 - निम्न प्रश्नों का उतर दे।
(i) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण क्या है ?
(ii) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की खोज किसने की ?
(iii) किसी कुन्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करने के दो तरीके बताइए।
(iv) कुन्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करने के दोनों तरीकों में से कौन अधिक सुविधाजनक हैं ?
उत्तर -
(i) कुन्डली एवं चुम्बक के सॉपेक्षिक गति के कारण कुन्डली में विद्युत धारा प्रेरित होती है। इस परिघटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते है।
(ii) माइकेल फैराडे ने ।
(iii) (a) कुन्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर ।
(b) कुन्डली के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन कराकर ।
(iv) कुन्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना अधिक सुविधाजनक हैं |
प्रश्न 4 - निम्न प्रश्नों का उतर दीजिए।
(i) पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को क्या कहते है ?
(ii) इसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को चित्र द्वारा दर्शाइए।
(iii) इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का एक गुण लिखिए तथा इस गुण का उपयोग किस कार्य के लिए किया जाता है ?
(iv) क्या होगा जब इसके अंदर एक लोहे की कील रख कर विद्युत धारा प्रवहित की जाय ? ऐसे बने चुम्बक को क्या कहते हैं ?
उत्तर -
(i) परिनलिका ।
(ii) परिनलिका के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ।
(iii) इसके भीतर सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र समान होता है और चुम्बकीय रेखाएँ समांतर रेखाएँ होती है। इस गुण का उपयोग चुम्बक बनाने के लिए किया जाता है।
(iv) लोहे की कील चुम्बक बन जाता है। ऐसे बने चुम्बक को विद्युत चुम्बक कहते हैं ।
प्रश्न 5 - निम्न प्रश्नों का उतर दीजिए ।
(i) चुम्बकीय क्षेत्र से आप क्या समझते है ?
(ii) क्या चुम्बक के भीतर भी चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ होती है ? यदि हाँ, तो उनकी दिशा क्या होती है ?
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र सदिश राशि है या अदिश ? कैसे ?
(iv) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के तीन गुण लिखिए।
उत्तर -
(i) किसी चुम्बक के चारों ओर के वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है , चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
(ii) हाँ, चुम्बक के भीतर भी चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ होती है। उनकी दिशा उसके दक्षिणी ध्रुव से उसके उतरी ध्रुव की ओर होती है।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र सदिश राशि है। क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र की परिणाम तथा दिशा दोनों होती है।
(iv) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के तीन गुणः -
(a) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उतर ध्रुव से प्रकट होती है और दक्षिण ध्रुव पर विलिन हो जाती है।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती है।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की परिणाम तथा दिशा दोनों होती है।