चंगेज खान : चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई० में आधुनिक मंगोलिया में ओनोन नदी के निकट हुआ था | उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था | उसके पिता का नाम येसुजेई था जी कियात कबीले का मुखिया था | उसके बचपन में ही उसके पिता की हत्या कर दी गई थी | अत: उसकी माता ओलुन-इके ने तेमुजिन और उसके सगे और सौतेले भाइयों का पालन-पोषण किया था | 1170 के दशक में उसे अपहरण कर उसे दास बना लिया गया था | उसकी पत्नी का भी अपहरण कर लिया गया था |अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई लड़नी पड़ी | इन्ही लड़ियों में वह अपना अनेक मित्र बना लिया | धीरे-धीरे वह अनेक कबीलों में उसकी ख्याति बढ़ती चली गई |
चंगेज खान के वंशजों की उपलब्धियाँ :
(i) मंगोल शासकों ने सब जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और हथियारबंद सैन्य दल वेफ रूप में भर्ती किया।
(ii) इनका शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु-धर्मिक था जिसको अपने बहुविध् संविधान का कोई भय नहीं था।
(iii) साम्राज्य निर्माण की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए अनेक समुदाय में बंटे हुए लोगों का एक
परिसंघ बनाया।
(iv) अंततः मंगोल साम्राज्य भिन्न-भिन्न वातावरण में परिवर्तित गया तथापि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही।
(v) उन्होंने विविध् मतों और आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया। हालांकि मंगोल शासक स्वयं भी विभिन्न धर्मों एवं आस्थाओं से संबंध् रखने वाले थे - शमन, बौद्ध, ईसाई और अंततः इस्लाम के मानने वाले थे जबकि उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर अपने वैयक्तिक मत कभी नहीं थोपे |
मंगोलों के लिए चंगेज खान की उपलब्धियाँ :
मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था, जिसकी निम्नलिखित उपलब्धियाँ थी |
(i) उसने मंगोलों को संगठित किया, लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों और चीनियों
द्वारा शोषण से मुक्ति दिलवाई |
(ii) साथ ही उसने उन्हें समृद्ध बनाया और एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य बनाया
(iii) उसने व्यापार के रास्तों और बाजारों को पुनर्स्थापित किया जिनसे वेनिस के मार्कोपोलो की तरह
दूर के यात्राी आकृष्ट हुए।
(iv) चंगेज़ खान के इन परस्पर विरोधी चित्रों का कारण एकमात्र परिप्रेक्ष्य की भिन्नता नहीं बल्कि ये विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि किस तरह से एक प्रभावशाली दृष्टिकोण अन्य को पूरी तरह से मिटा देता है।
तैमुर एवं चंगेज खान के वंश से संबंध :
चौदहवीं शताब्दी के अंत में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने अपने को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज़ खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपनी स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो अपने को चंगेज़ खानी परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया।