द्वितीयक या गौण आँकड़ों की संकलन विधियाँ :
इस प्रकार के आँकड़ों का दो प्रकार से संकलन किया जाता है |
(1) प्रकाशित स्रोत से :
(a) सरकारी स्रोत :
(b) अंतराष्ट्रीय प्रकाशन
(c) पत्र-पत्रिकाएँ
(d) व्यक्तिगत अनुसंधान कर्ताओं के प्रकाशन से
(e) अनुसंधान संस्थाओं के प्रकाशन से
(f) आयोग एवं समितियों के रिपोर्ट से
(g) व्यापारिक संघों के प्रकाशन से
(2) अप्रकाशित स्रोत से
आंकड़ों के वे सभी स्रोत जो किसी अन्य अनुसंधान कर्ता द्वारा संकलित किए गए है, और जिन्हें प्रकाशित नहीं किया गया है अप्रकाशित स्रोत के आँकड़ें कहलाते हैं |
ये आँकड़ें सरकार, विश्वविद्यालय, निजी संस्थाएँ तथा व्यक्तिगत अनुसंधान कर्ता आदि से प्राप्त किए जा सकते है जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए आँकड़ें संकलित करते रहते हैं | ये वे आँकड़े होते है जिन्हें प्रकाशित नहीं कराया जाता |
अप्रकाशित स्रोत से प्राप्त आँकड़ों की विशेषताएँ :
(i) ये कम खर्चीले होते है, इनसे समय और धन की बचत होती है |
(ii) ये वर्त्तमान उद्देश्यों की पूर्णत: पूर्ति नहीं करती है |
(iii) इनमें कम शुद्धता पाई जाती है |
जनगणना तथा प्रतिदर्श विधियाँ :
मद (Item) : किसी समूह या जनसंख्या की एक इकाई को मद (item) कहते हैं |
जनगणना की अवधारणा: जनगणना का तात्पर्य किसी अनुसंधान क्षेत्र के समग्र मदों अथवा कुल समूह (universe) से है | यह समग्र मदें किसी क्षेत्र की जनसंख्या भी हो सकती है या अन्य प्रकार दूसरी मदें भी हो सकती हैं |
उदाहरण: यदि किसी कारखाने में 10000 व्यक्ति कार्य करते है तो जनगणना की अवधारणा के अनुसार 10000 व्यक्ति को कारखाने की जनसंख्या कहा जायेगा | और इन सभी मदों को लेकर किया गया अनुसंधान जनगणना विधि कहलाएगी |
प्रतिदर्श की अवधारणा: समग्र में से चुने उन मदों को प्रतिदर्श कहते हैं जो समग्र का प्रतिनिधित्व करते हैं | प्रतिदर्श की सभी विशेषताओं से समग्र की सभी विशेषताओं के प्रतिनिधित्व की अपेक्षा की जाती है |
जैसे - मान लीजिये कि हमें 11 वीं कक्षा के विद्यार्थियों की विभिन्न विषयों में रूचि का पता लगाना हैं | जिसमें कला, वाणिज्य एवं विज्ञान के छात्र शामिल है | तो इसके लिए हमें कला से एक विद्यार्थी, वाणिज्य से एक विद्यार्थी और विज्ञान से एक विद्यार्थी लेते है तो यह अपेक्षा की जाती है की ये चुने गए प्रत्येक विद्यार्थी अपने अपने विषय की विभिन्न विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं |
1. जनगणना विधि : जनगणना विधि वह विधि है जिसमें जिसमें किसी अनुसंधान से संबंधित समग्र या सभी मदों से आँकड़ें एकत्र किए जाते हैं और इसके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं |
जनगणना विधि की उपयुक्तता (suitability) :
(1) जहाँ अनुसंधान का क्षेत्र सिमित हो |
(2) जिनमें गुणों में विभिन्नता अधिक हो |
(3) जहाँ अनुसंधान में अधिक शुद्धता और विश्वश्नियता की जरुरत हो |
(4) जहाँ गहन अध्ययन की आवश्यकता हो |
(5) जहाँ सभी आँकड़े समान महत्व के हो और प्रत्येक मद का अध्ययन करना आवश्यक हो |
जनगणना विधि के गुण (Merits):
(1) इस विधि में पक्षपात की संभावना कम रहती है क्योंकि इसमें आँकड़े सभी मदों से लिए जाते हैं |
(2) इसमें विश्वसनीयता और शुद्धता अधिक पाई जाती है |
(3) जनगणना विधि से आंकड़ों के विषय विस्तृत सुचना प्राप्त होती है क्योंकि इसमें अनेक विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं |
(4) अप्रत्यक्ष जाँच के लिए जहाँ सीधे तौर पर कुछ विषयों का अध्ययन संभव नहीं हो | जैसे बेरोजगारी और भ्रष्टाचार आदि |
जनगणना विधि के अवगुण (Demerits) :
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