अध्याय 11. प्रकाश, परावर्तन तथा अपवर्तन
प्रकाश का प्रकीर्णन :
प्रकाश जिस मार्ग से होकर गुजरता है यदि उस माध्यम में कोलाइडल विलयन के कण हो तो वे कण प्रकाश को प्रकीर्णित (फैलाना) कर देते है | इसे ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है |
प्रकाश के प्रकीर्णन से होने वाली परिघटनाओं का उदाहरण : प्रकाश के प्रकीर्णन से होने वाली बहुत सी परिघटनाएं होती रहती हैं जो हमें देखने को मिलती हैं | जैसे -
आकाश का नीला रंग, गहरे समुद्र के जल का रंग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का रक्ताभ दिखाई देना आदि |
टिंडल प्रभाव (Tyndal Effect) : जब कोई प्रकाश किरण पुंज ऐसे महीन कणों से टकराता है तो उस किरण पुंज का मार्ग दिखाई देने लगता है। इन कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास तक पहुँचता है। कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन की परिघटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं |
संक्षेप में, कोलाइडली कणों द्वारा गुजरने वाले प्रकाश के मार्ग को कोलाइडल के कण दृश्य बना देते है, प्रकाश के मार्ग को फैलने की इस परिघटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं |
टिंडल प्रभाव के उदाहरण :
1. जब धुंएँ से भरे किसी कमरे में किसी सूक्ष्म छिद्र से कोई पतला प्रकाश किरण पुंज प्रवेश करता है तो इस परिघटना को देखा जा सकता है।
2. जब किसी घने जंगल के वितान (canopy) से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो टिंडल प्रभाव को देखा जा सकता है।
3. जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूँदें प्रकाश का प्रकीर्णन कर देती हैं।
ये सभी घटनाएँ कोलाइडल विलयन की उपस्थिति के कारण हमें टिंडल प्रभाव दिखाई देता है | कोलाइडल विलयन के उदाहरण हैं |
वायु, धूम, कोहरा, दूध, धुँआ, जेली, क्रीम इत्यादि |
कोलाइडल विलयन के कण वास्तविक विलयन से बड़े होते है जो देखे जा सकते हैं | जबकि वास्तविक विलयन के कण एक समान होने के कारण इन्हें अलग-अलग पहचाना नहीं जा सकता है, यही कारण है कि टिंडल प्रभाव के दौरान कोलाइडल विलयन के कण दिखाई देते हैं |
बिना कण के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है, अर्थात जहाँ ये कण मौजूद नहीं है वहाँ प्रकीर्णन नहीं होता है जैसे निर्वात, जिसका उदाहरण है अंतरिक्ष में प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है | यही कारण है कि अन्तरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है क्योकि वहाँ प्रकाश प्रकीर्णित नहीं होता है |
- किसी वास्तविक विलयन से गुशरने वाले प्रकाश किरण पुंज का मार्ग हमें दिखाई नहीं देता। तथापि, किसी कोलॉइडी विलयन में जहाँ कणों का साइज़ अपेक्षाकृत बड़ा होता है, यह मार्ग दृश्य होता है।
प्रकीर्णित प्रकाश का रंग को प्रभावित करने वाला कारक :
1. प्रकीर्णित प्रकाश का वर्ण, प्रकीर्णन करने वाले कणों के साइज़ पर निर्भर करता है।
प्रकाश के वर्णों का तरंगदैर्ध्य :
इसके लिए प्रकाश के विभिन्न वर्णों पर विचार करना होगा, प्रिज्म द्वारा बने प्रकाश के विभिन्न अव्यवी वर्णों के विषय में हम जान चुके है | हमने वहाँ देखा कि जिस वर्ण का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक है वह कम झुकता है और जिसका सबसे कम है वह वर्ण सबसे अधिक के कोण पर झुकता है | लाल रंग सबसे कम झुकता है अर्थात लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है, श्वेत प्रकाश को छोड़कर | नीला प्रकाश का तरंगदैर्ध्य कम होता है इसलिए यह लाल, पीला, हरा आदि की तुलना में अधिक झुकता है |
कौन-सा रंग अधिक प्रकीर्णित होता है और कौन-सा रंग कम :
अत्यंत सूक्ष्म कण मुख्य रूप से नीले प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं जबकि बड़े साइज़ के कण अधिक तंरगदैर्घ्य के प्रकाश को प्रकीर्ण करते हैं। यदि प्रकीर्णन करने वाले कणों का साइज़ बहुत अधिक है तो प्रकीर्णित प्रकाश श्वेत भी प्रतीत हो सकता है।
यहाँ हम देखते है छोटे कण कम तरंगदैर्ध्य के रंग को प्रकीर्णित करता है और जैसे-जैसे कणों का आकार बढ़ता जाता है ये कण अधिक तरंगदैर्ध्य के रंग को प्रकीर्णित करता है | श्वेत प्रकार का तरंगदैर्ध्य लाल रंग से भी अधिक होता है |
प्रकाश के प्रकीर्णन से होने वाली परिघटनाएं :
1. स्वच्छ आकाश का नीला दिखाई देना :
जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है, वायु के सूक्ष्म कण लाल रंग की अपेक्षा नीले रंग (छोटी तरंगदैर्घ्य) को अधिक प्रबलता से प्रकीर्ण करते हैं। प्रकीर्णित हुआ नीला प्रकाश हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है। तो हमें आकाश नीला दिखाई देता है |
2. अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देना :
जहाँ वायुमंडल नहीं है वहाँ कण नहीं जहाँ कण नहीं वहाँ प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं | यदि हमारी पृथ्वी पर वायुमंडल न होता तो कोई प्रकीर्णन न हो पाता | तब पृथ्वी से भी आकाश काला ही प्रतीत होता है | अत्याधिक ऊँचाई पर वायुमंडल नहीं होने के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता है जहाँ प्रकीर्णन नहीं होता है वहाँ प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता, काला दिखाई देता है | यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है |
3. गहरे समुद्र का जल का रंग नीला दिखाई देना :
जब सूर्य का प्रकाश समुद्र के तल पर पड़ता है तो समुद्र का जल नीले रंग की अपेक्षा लाल, पीला संतरी आदि रंगों को अधिक तेजी से सोंखता है और अधिकांश नीले रंग वापस आ जाता है अर्थात नीले रंग का प्रकीर्णन हो जाता है | यही कारण है कि समुद्र का जल नीला दिखाई देता है |
4. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का रक्ताभ दिखाई देना :
क्षितिज के समीप स्थित सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है | जब सूर्य सिर से ठीक ऊपर हो तो सूर्य से आने वाला प्रकाश बहुत कम दुरी तय करता है, यह तब होता है जब सूर्य क्षितिज पर हो | क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसीलिए, हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है अर्थात लाल रंग का होता है | यही कारण है कि सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
खतरे के सिग्नल में लाल रंग का उपयोग : लाल रंग तरंगदैर्ध्य अन्य रंगों की तुलना में अधिक होता है | लाल रंग का तरंगदैर्ध्य नीले रंग की अपेक्षा लगभग 1.8 गुना अधिक होता है | लाल रंग कुहरे या धुंएँ से सबसे कम प्रकीर्ण होता है और तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण इस रंग का प्रकाश अधिक दूर तक जाता है | यह दूर से देखने पर भी लाल रंग का ही दिखाई देता है |
नोट: जिन वर्णों का प्रकीर्ण हो जाता है वह वर्ण दिखाई नहीं देता है और जिस वर्ण का प्रकीर्णन नहीं होता है वह बना रहता है और दिखाई देता है |