प्रायिकता (Probability):
किसी घटना के होने के संयोग (chance) को प्रायिकता (probability) कहते हैं |
जैसे - मान लीजिये कि एक सिक्के को उछाला जाता है तो 'चित' या 'पट' आने का संयोग (chance) दोनों घटनाओं के लिए बराबर (सम्प्रायिक) है |
गणितीय भाषा में
चित की प्रायिकता P(E) = 1/2;
पट की प्रायिकता P(E) = 1/2;
- जब दो घटनाओं की प्रायिकता एक सामान हो तो ऐसे घटना को समप्रायिक (equally likely) कहा जाता है |
- जब दो घटनाएँ समप्रायिक हो तो वे न्यायसंगत माना जाता है |
प्रायिकता का अनुप्रयोग: हाल ही के कुछ वर्षों में, प्रायिकता का अनेक क्षेत्रों, जैसे कि जैविकी, अर्थशास्त्रा, वंश संबंधी शास्त्र (genetics), भौतिकी, समाजशास्त्र इत्यादि क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जा रहा है।
अभिप्रयोगों की कुल संख्या: किसी प्रयोग में संम्भव सभी घटनाओं की संख्या को अभिप्रयोगों की कुल संख्या कहा जाता है |
जैसे -
(1) एक सिक्के को उछाला जाता है तो इसमें मुख्यत: दो ही घटनाएँ होती है |
(i) चित आने की (ii) पट आने की
इन परिणामों (outcomes) को जोड़ने पर 2 प्राप्त होता है अत: अभिप्रयोगों की कुल संख्या 2 हुई |
(2) एक पासा को फेंका जाता है तो अनुकूल परिणाम (possible outcomes) होंगे;
1, 2, 3, 4, 5, और 6
यदि कुल अनुकूल परिणामों को गिनती की जाये तो हम पाते हैं कि इनकी संख्या 6 है |
अत: अभिप्रयोगों की कुल संख्या 6 हुई |
घटना (E) के अनुकूल परिणामों की संख्या : जिनमें घटना घटित हुई है उनमें जो अभिप्रयोग होते है उन अभिप्रयोगों में प्रत्येक अभिप्रयोग की संख्या घटना (E) के अनुकूल परिणामों की संख्या कहलाती है |
जैसे- सिक्के को उछालने पर दो घटनाएँ होती है : जिन्हें अभिप्रयोग भी कहा जाता है |
ये हैं चित आने की ......... घटना (1) है
पट आने की .......... घटना (1) है |
घटना (E) के अनुकूल परिणामों की संख्या = 1