अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचालित रूढ़िवादी धारणा कि वे कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर: महिलाएं क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस बारे में रूढ़िवादिता महिलाओं के समानता के अधिकार को प्रभावित करती है क्योंकि उन्हें कमजोर और मजबूत काम करने में अक्षम कहा जाता है। यही कारण है कि महिलाओं को पुरुषों से कमतर कहा जाता है। उन्हें उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन / मजदूरी का भुगतान किया जाता है।
प्रश्न: कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह जिसकी वजह से रास्सुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्त्वपूर्ण था|
उत्तर: इन महिलाओं के लिए वर्णमाला सीखना इतना महत्वपूर्ण था क्योंकि उसके बाद ही वे कहानियाँ, पत्र और आत्मकथाएँ लिखने में सक्षम हुईं, जिसमें असमानता के अपने स्वयं के अनुभवों का वर्णन किया गया था|
प्रश्न: " निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी शिक्षा रुचि नहीं नहीं हैं?
उत्तर: यह कथन, "गरीब लड़कियां स्कूल शिक्षा छोड़ देती हैं" निम्नलिखित कारणों से सही नहीं है:
1. दलित, आदिवासी और मुस्लिम वर्ग की लड़कियों के स्कूल छोड़ देने के अनेक कारण हैं| देश के अनेक भागों में विशेषकर ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों में नियमित रूप से पढ़ाने के लिए उचित स्कूल हैं न ही शिक्षक| यदि विघालय घर के पास नहीं हो और लाने - ले जाने के लिए किसी साधन जैसे बस या वैन आदि की व्यवस्था न हो अभिभावक लड़कियों को स्कूल नहीं भेजता चाहते|
2. कुछ परिवार अन्यंत निर्धन होते हैं और अपने सभी बच्चों कलो पढने का खर्चा नहीं उठा पाते हैं| ऐसी स्थिति में लड़कों की प्रथामिकता मिलाती हैं और लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता|
3. बहुत से बच्चे भी स्कूल छोड़ देते हैं, क्योंकि उनके साथ उनके शिक्षक और सहपाठी भेदभाव करते हैं|
प्रश्न: क्या आप महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं? महिलाएं क्या कर सकती हैं और के नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरूद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में से कौन - से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप इसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेगे?
उत्तर: संघर्ष के दो प्रमुख तरीके:
1. औरतों के अधिकारों के संबंधों में समाज में जागरूकता बढ़ाना|
2. भेदभाव और हिंसा का विरोध करना|
यदि हमें रूढ़ियों के विरूद्ध संघर्ष करना पड़े तो हम प्रयास करेंगे कि समाज में औरतों के अधिकारों के संबंध में जागरूकता फैलाया जाए| लोगों को यह बतलाया जाए कि महिलाएं भी समाज के संग हैं और महिलाओं के विकास से ही परिवार और समाज का विकास हो सकता हैं| समाज को यह बतलाया जाए कि हमारे पूर्वज पढ़े - लिखे नहीं थे, इसलिए उनके अंदर महिलाओं को लेकर संकीर्ण मानसिकता थी| अब झाम संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर महिलाओं से होने वाले भेदभाव की त्याग करें और एक आदेश समाज का निर्माण करें|