अतिरिक्त - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न: खगोलीय पिंड किसे कहते हैं|
उत्तर: वो कोई भी चीज़ जो ब्रह्रामंडल में पाई जाती हैं खगोलीय पिंड कहलाती हैं| (सूर्य, तारे, चंद्रमा, अन्य)|
प्रश्न: तारे किसे कहते हैं|
उत्तर: यह बहुत बड़े होते हैं बहुत गर्म होते हैं वो हमसे बहुत दूर होते हैं इसलिए उनकी गर्मी हम तक पहुँच नहीं पाती| सूर्य हमसे सबसे नजदीक वाला तारा हैं इसलिए इसकी गर्मी महसूस हो जाती हैं| तारों की अपनी ऊष्मा होती हैं| इन्ही की वजह से ग्रहों तक भी रोशनी पहुँचती हैं| गुरूत्त्वकर्षण की शकित बहुत ज्यादा होती हैं ये बाकी चीजों को अपनी तरफ आर्कषित करते हैं|
प्रश्न: तारे टिमटिमाते क्यों दिखाई पड़ते हैं?
उत्तर: पृथ्वी के तारे और वायुमंडल होता हैं वायुमंडल में गैसों का घनत्व होता हैं जब तारे की रौशनी उस गैस से टकराती हैं जहाँ पर गैंस घनी होती हैं वहाँ रौशनी ठीक से नहीं आ पाती जहाँ पर वम घना होगा वहाँ रौशनी ठीक से आ जाएगी| जहाँ पर घनत्व अधिक वहाँ पर रौशनी हिलती हुई दिखाई देती हैं और हमें तारा टिमाटिमते हुआ दिखाई देता हैं|
प्रश्न: खगोल किसे कहते हैं|
उत्तर: वो शाखा जिसमें हम सूरज, चंद्रमा, ग्रह, तारे आदि के बारे में पढ़ते हैं|
प्रश्न: खगोलीय विज्ञान के पिता किसे कहते हैं|
उत्तर: निकोलस कोपरनिकस|
प्रश्न: नक्षमंडल किसे कहते हैं|
उत्तर: रात्रि में आसमान की और देखते समय तारों के विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गई आकृतियाँ नक्षमंडल हैं, उदाहरण - अरसा मेजर या बिगर बेयर|
आसानी से दिखने वाला स्माल बीयर या सप्तऋषि|
प्रश्न: चंद्रमा का वर्णन कीजिए?
उत्तर: इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का 1/4 हैं| ये बड़ा इसीलिए दिखाई देता हैं क्योंकि ये पृथ्वी के नजदीक हैं|
ये 3,84,400 कि. मी. दूर हैं|
एक चक्कर (पृथ्वी का) 27 दिन में पूरा करता हैं| इतने ही समय में ये अपने अक्ष पर भी चक्कर लगाता हैं| इसलिए केवल इसका एक भाग दिखाई देता हैं|
चाँद में, पहाड़, खंड सब कुछ हैं इसलिए उस पर दाग दिखाई देता हैं चाँद में ना हवा हैं न पानी|
- पूरा चाँद / पूर्णिमा - जब चाँद पर सूर्य का पूरा प्रकाश पड़ रहा हो|
- नया चाँद / अमावस्या - जब चाँद में बिलकुल रोशनी न पड़ रही हो|
प्रश्न: सबसे पहला इंसान जो चाँद पर गया था वो कौन था?
उत्तर: नील आस्मस्ट्रोन (USA से)
प्रश्न: भारत का सबसे पहला सफल चन्द्र मिशन कौन सा हैं?
उत्तर: चंद्रयान 1|
प्रश्न: उल्का पिंड किसे कहते हैं|
उत्तर: सूर्य के चारों और चक्कर लगाने वाले पत्थर के छोटे - छोटे टुकड़ों को उल्का पिंड कहते हैं पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर होते हैं कभी - कभी ये पृथ्वी के नजदीक भी आ जाते हैं के बार जब इनकी प्रवृति पृथ्वी पर गिराने की होती हैं| इस प्रक्रिया के दौरान वायु के साथ घर्षण होने पर ये गर्म होकर जलने जलने लगते हैं और चमकदार प्रकाश प्रकाश उत्पन्न कारते हैं कोई उल्व अग्र बिना पूरी तरह जले धरती पर गिरता हैं तो धरातल पर गढ़े बन जाते हैं|