एक साम्राज्य की राजधानी
प्रश्न – कृष्णदेव राय के देहांत के उपरांत विजयनगर के सही शासन का पतन क्यों हुआ ?
उत्तर - कृष्णदेव राय के देहांत के बाद 1529 में राजकीय ढांचे में तनाव आने लगे | उनके उत्तराधिकारियों को विद्रोही सेनापतियों की चुनौती का सामना कारण पड़ा |अंत में 1542 तक केंद्र पर अरविदु वंश का नियंत्रण स्थापित हो गया | कई साल तक इसी वंश का सत्ता पर नियंत्रण बना रहा | अंतत विजयनगर के विरुद्ध दक्कन की सल्तनतों के बीच मैत्री स्थापित हो गयी | 1565 में विजयनगर की सेना प्रधानमंत्री रामराय के नेत्रित्व में राक्षसी तांगडी के युद्ध में उतरी | यहाँ उसे बीजापुर, अहमदनगर तथा गोलकुंडा की सेनाओं ने बुरी तरह हराया | विजयी सेनाओं ने विजयनगर पर धावा बोलकर उस नगर को खूब लुटा | कुछ ही सैलून में शहर पूरी तरह से नष्ट हो गया | अब साम्राज्य का केंद्र पूर्व की और स्थानांतरित हो गया जहाँ अराविदु राजवंश ने पेनुकोंडा से तथा बाद में चन्द्रगिरी से शासन किया |
प्रश्न – नायक तथा अमरनायक कौन थे ? विजयनगर के प्रशासन में उनकी भूमिका का वर्णन कीजिये |
उत्तर - नायक तथा अमरनायक विजयनगर के सेना प्रमुख तथा सैनिक कमांडर थे|
प्रशासन में नायक तथा अमरनायक की भूमिका –
नायक - नायक किलों पर नजर रखते थे तथा उनके पास सशस्त्र समर्थक होते थे| वे हर जगह घुमते रहते थे तथा उपजाऊ जमीन की तलाश में किसान भी उनका साथ देते थे | यह हमेशा तेलुगु और कन्नड़ भाषा बोलते थे | कई लोगो ने विजयनगर की प्रभुसत्ता के आगे समर्पण किया था |परन्तु वे विद्रोह कार देते थे और इन्हें सैनिक कारवाही द्वारा ही दबाया जाता था |
अमरनायक – अमरनायक सैनिक कमांडर थे | उन्हें राय द्वरा ही प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिए जाते थे | वे हर काम करने वाले व्यापारियों से भू –राजस्व कर और अन्य कर वसूल करते थे | वे राजस्व का कुछ भाग व्यक्तित्व तथा घोड़ों और हाथी के रख-रखाव के लिए अपने पास रख लेते थे और शेष भाग राजस्व में जमा करवा देते थे | उनके दल जरुरत के समय विजयनगर के शासकों के लिए भी सैनिक सहायता प्रदान करते थे | कार का कुछ भाग मंदिरों तथा सिंचाई के साधनों के रख –रखाव के लिए भी खर्च किया जाता था |
प्रश्न – ‘ विजयनगर के शासकों ने विरूपाक्ष मंदिर में नवीनता से नई परम्परों को विकसित किया |’ स्पष्ट कीजिये |
उत्तर - विरूपाक्ष मंदिर को बनाने सैकड़ों वर्ष लगे थे | अभिलेखों से पता चला है कि यहाँ का सबसे प्राचीन मंदिर नवी –दसवी शताब्दी का था, परन्तु विजयनगर की स्थापना के बाद इसका बहुत अधिक विस्तार किया गया था मंदिर के सामने बना मंडप कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहन के उपलक्ष्य में बनवाया था | इसे सुन्दर नक्कासी वाले स्तम्भों से सजाया गया था | मंदिर म,ए सभागार बनाये गए | कुछ सभागारों में देवताओं की मुर्तियाँ संगीत, नृत्य और नाटकों के विशेष कार्येक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थी | अन्य सभागारों का उपयोग देवी –देवताओं के विवाह के मौके पर आनंद मानाने के लिए होता था |कुछ ने देवताओं को झुला झुलाया जाता था | इन अवसरों पर मूर्तियों का प्रयोग होता था जो छोटे केन्द्रीय देवालयों में स्थापित मूर्तियों से भिन्न होती थी |
प्रश्न – पुर्तगाली यात्री बरबोसा द्वारा विजयनगर शासन के शहरी केंद्र में देखे गए किन्ही चार पहलुओं पर प्रकाश डालिए |
उत्तर – बरबोसा ने शहरी केंद्र के निम्नलिखित पहलुओं को देखा और उनके बारे में लिखा –
1. व्यवसाय के आधार पर शहरी केंद्र खुले स्थानों वाली, कई लम्बी गलियों में बता हुआ था |
2. पुरे क्षेत्र में बारिश का पानी वाले तालाब, कुएं तथा मंदिरों के जलाशय पानी के स्त्रोत का कार्य करते थे |
3. शहरी केंद्र का उत्तर-पूर्वी कोना मुसलमानों का मोहल्ला था यहाँ धनी लोग रहते थे |
4. शहरी केंद्र में समान्य लोगों के आवास छप्पर के थे, परन्तु मजबूत थे |
प्रश्न - विजयनगर राज्य के पतन के कारण बताओ |
उत्तर – इस राज्य में सिहांसन प्राप्ति के लिए गृह युद्ध चलते रहते थे |
1. तालीकोट की लड़ाई में विजयनगर का शासक मारा गया |
2. इस राज्य की सारी शक्ति राजा के हाथ में थी | शासन में प्रजा का कोई योगदान नही था |
3. इसलिए संकट के समय प्रजा ने अपने राजा का साथ नहीं दिया |
4. इन युद्धों ने राज्य की शक्ति नष्ट कर दी |
5. कृष्णदेव राय के पश्चात इस राज्य के सभी शासक निर्बल थे |
6. इन शासकों को ब्राहमनी राज्य के साथ युद्ध करने पड़े |
7. इस लड़ाई के बाद इस राज्य का पूरी तरह पतन हो गया |
प्रश्न – विजयनगर साम्राज्य की किलेबंदी पर अब्दुररज्जाक द्वारा व्यक्त किये गए किन्ही चार पहलुओं पर प्रकाश डालिए |
उत्तर – विशाल किलेबंदी विजयनगर की शहर की महत्वपूर्ण विशेषता थी | अब्दुररज्जाक को यहाँ की किलेबंदी ने बहुत प्रभावित किया था | इसके बारे में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते है –
1. शहर के किलेबंदी की सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इससे खेतों को भी घेरा गया था |
2. दुर्ग में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार बने हुए थे जो शहर को मुख्य सडकों से जोड़ते थे | किलेबंदी बस्ती में जाने के लिए प्रवेश द्वार पर बनी मेहराब और द्वार के ऊपर बनी गुबंद तुर्की सुल्तानों की स्थापत्य कला के नमूने थे |
3. किलेबंदी की सबसे बाहरी दिवार शहर के चरों ओर बनी पहाड़ियों को आपस में जोड़ती थी | इस दिवार में गारे या जोड़ने के लिए किसी भी अन्य वस्तु का प्रयोग नहीं किया गया था |
4. दुसरे किलेबंदी नगरीय केंद्र के आतंरिक भाग के चारों ओर बनी हुई थी और तीसरी से शासकीय केंद्र को घेरा गया था जिसमे महत्वपूर्ण इमारतों के प्रत्येक समूह की घेराबंदी उनकी अपनी ऊँची दीवारों से की गयी थी |
प्रश्न – विजयनगर साम्राज्य के जल संसाधन क्यों विकसित किये गए थे ? कारण लिखियें |
उत्तर – विजयनगर प्रायद्वीप के सबसे ठन्डे क्षेत्रों में से एक था | जल के बिना जीवन नष्ट हो जाता है | खेतों की सिचाई के लिए भी कई मात्र में जल चाहिए था| अतः धान की खेती के लिए ज्यादा मात्र में पानी की जरुरत पड़ती थी | इसलिए इसे पानी को इकट्ठा करने और शहर तक ले जाने के लिए काफी उपाए किये गए | यहाँ पर एक बड़े तालाब का प्रबंध किया गया | जिसे आज जलाशय कहा जाता है | इस तालाब से खेतों में पनी ही नहीं डाला जाता था बल्कि इसे एक नहर द्वारा ‘राजकीय केंद्र’ तक भी ले जाया जाता था |
हिरिया नहर जल सबसे महत्वपूर्ण जल संबंधी संरचनाओं में एक थी | इस नाहर में तुंगभद्रा पर बने, बांध से पानी लाया जाता था | इसका प्रयोग ‘धार्मिक केंद्र’ से ‘शहरी केंद्र’ को अलग करने वाली घाटी की सिंचाई करने में किया जाता था | संभवतः इसका निर्माण संगम वंश के राजाओं ने करवाया था |
प्रश्न – विजयनगर साम्राज्य के समृद्ध व्यापार के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालिए |
उत्तर – 14वीं से 16वीं शताब्दी के दौरान युद्धकला कुशल अश्वसेना पर आधारित था | इसलिए राज्यों के लिए अरब तथा मध्य एशिया से उत्तम घोड़ों का आयात बहुत ही महत्व रखता था | आरंभ में इस व्यापार पर अरब व्यापारियों का नियंत्रण था | स्थानीय व्यापारी जिन्हें घोड़ों का व्यापारी कहा जाता था, भी इस व्यापर में भाग लेते थे, 1498 ई॰ से पुर्तगाली व्यापारी भी सक्रीय हो गए | उनके पास बंदूकों के रूप में बेहतर सामरीक तकनीक थी | इस तकनीक ने उन्हें इस काल की उलझी हुई राजनीति में महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरने में सहायता की |
विजयनगर भी मसालों, रत्नों तथा वस्त्रों के लिए प्रशिद्ध था | ऐसे शहरों के लिए व्यापार प्रतिष्ठा का सूचक माना जाता था | यहाँ की धनी जनता में विदेशी वस्तुओं की काफी मांग थी – विशेष रूप से वस्त्रों और आभूषणों की | दूसरी ओर व्यापार से प्राप्त राजस्व का राज्य की समृद्धि में विशेष योगदान था |
प्रश्न – विरूपाक्ष मंदिरों का सभागारों का प्रयोग किन –किन कार्यों के लिए होता था ? मंदिर परिसर में बनी रथ गलियों की क्या विशेषताएँ थी ?
उत्तर – सभागार – मंदिरों के सभागारों का प्रयोग भिन्न –भिन्न कार्यों के लिए होता था | कुछ सभागारों में देवताओं की मूर्तियाँ संगीत, नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रम को देखने के लिए रखी जाती थी | अन्य सभागारों का प्रयोग देवी देवताओं के विवाह के उत्सव पर आंनद मनाने के लिए होता था | कुछ अन्य देवी देवताओं को झुला झुलाया जाता था | इन अवसरों पर विशेष मूर्तियों का प्रयोग होता था जो छोटे केन्द्रीय देवालयों में स्थापित मूर्तियों से भिन्न होती थी |
रथ गलियां – मंदिर परिषरों की एक महत्वपूर्ण विशेषता रथ गलियां है जो मंदिर के गोपुरम से सीधी रेखा में जाती है | इन गलियों का फर्श पत्थर के टुकड़ों से बनाया गया था | इनके दोनों ओर स्तंभ वाले मंडप थे जिनमे व्यापारी अपनी दुकाने लगाया करते थे |
प्रश्न – “कृष्णदेव राय की शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार और सुदृधिकरण थी |” इस कथन का, साक्ष्यों के आधार पर औचित्य निर्धारित कीजिए |
उत्तर – इसमें कोई संदेह नहीं की कृष्णदेव राय के शासन की मुख्य विशेषता विस्तार और सुदृधिकरण थी | 1512 ई॰ तक उसने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच के क्षेत्र पर अधिकार किया | उसके बाद उसने उड़ीसा के शासकों का दमन किया | इन सैनिक सफलताओं के बीच भी राज्य में अत्यधिक शांति और समृद्धि बनी रही |
कृष्णदेव राय को कुछ शानदार मंदिरों के निर्माण तथा कई महत्वपूर्ण मंदिरों में भव्य गोपुरमों के निर्माण का श्रेय प्राप्त है | उसने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप नगरपूर्म नामक उपनगर भी बसाया कृष्णदेव की मृत्यु के पश्चात 1529 में राजकीय ढाँचे में तनाव आने लगा |
प्रश्न – विजयनगर के संदर्भ में जो भवन सुरक्षित रह गए वे हमें उन तरीकों, स्थान व्यवस्थापन और उनके प्रयोग के बारे में क्या बताते है ? संक्षेप में वर्णन कीजिये |
उत्तर- (1) विजयनगर के सुरक्षित भवन हमें उन तरीकों के विषय में बताते है जिनमे स्थानों को व्यवस्थित किया गया और उन्हें प्रयोग में लाया गया |
(2) वे हमें यह बताते है कि उनका निर्माण किन वस्तुओं और तकनीकों से किया गया और कैसे किया गया | उदहारण के लिए किसी शहर की किलेबंदी के अध्यन से हम उसकी आवश्यकताओं और सामरिक तैयारी को समझ सकते है |
(3) यदि हम उनकी तुलना अन्य स्थानों के भवनों से करे तो वे हमें विचारों के प्रसार और सांस्कृतिक प्रभावों के बारे में भी बताते है | वे उन विचारों को व्यक्त करते है जो उन्हें बनाने वाले व्यक्त करना चाहते थे |
(4) वे प्रायः ऐसे चिन्हों से परिपूर्ण रहते थे जो उनके सांस्कृतिक सन्दर्भ का परिणाम होते है | इन्हें हम तभी समझ सकते है जब हम उनके संबंध में अन्य स्त्रोतों, जैसे साहित्य, अभिलेखों तथा लोक परम्पराओं से मिली जानकारी को संयोजित करें|
प्रश्न – विजयनगर के ‘लोटस महल’ तथा हज़ार राम मंदिर पर टिप्पणियाँ लिखिए|
उत्तर –
लोटस महल – लोटस महल राजकीय केंद्र के सबसे सुंदर भवनों में एक है | इसे यह नाम 19वी शताब्दी के अंग्रेज यात्रियों ने दिया था | इतिहासकार इस बारे में निश्चित नहीं है कि यह भवन किस कार्य के लिए बना था | फिर भी मैकेंजी द्वारा बनाये गए मानचित्र से यह अनुमान लगाया गया है कि यह परिषदीय सदन था जहाँ राजा अपने परामर्शदाताओं से मिलता था |
हज़ार राम मंदिर – राजकीय केंद्र में स्थित मंदिरों में हज़ार राम मंदिर अत्यंत दर्शनीय है | इसका प्रयोग संभवतः राजा और उसके परिवार द्वारा ही किया जाता था | इनमे मंदिरों की आंतरिक दीवारों पर उकेरे कुछ दृश्य सम्मिलित है जो रामायण से लिए गए है |