Q1. पृष्ठ 13 पर दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था (Positive Feedback Mechanism) को दर्शाने वाले आरेख को देखिए। क्या आप उन निवेशों (inputs) की सूची दे सकते हैं जो औज़ारों के निर्माण में सहायक हुए? औज़ारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला?
उत्तर:
(1) दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था, निम्नलिखित निवेश (Inputs) औजार निर्माण में सहायक हुए
(i) मस्तिष्क के आकार में वृद्धि हुई जिससे उसकी मस्तिष्क की क्षमता बढ़ी।
(ii) वस्तुओं को उठाने, औजारों को बनाने तथा उपयोग के लिए हाथ स्वतन्त्र (मुक्त) थे।
(iii) मानव अपने पैरों पर सीधा खड़ा होकर चलने लगा था।
(iv) आखेट और भोजन के लिए वह अब आसानी से इधर उधर जा सकता था।
(2) औजारों के निर्माण में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ आगे बढ़ीं
(i) मानव की कार्यक्षमता में वृद्धि हो गई।
(ii) मानव सरलता से आखेट करने लगा।
(iii) वह मांस के बड़े टुकड़ों को छोटे-छोटे आकार में कर सकता था, जिससे उसे खाने में सरलता होने लगी।
(iv) औजारों के उपयोग से उसने घर बनाना भी सीखा।
Q2. मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ।
(क) व्यवहार और
(ख) शरीर रचना शीर्षकों के अंतर्गत दो अलग-अलग स्तंभ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए।
दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अंतरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महन्वपूर्ण समझते हैं?
उत्तर: मानव और लंगूर तथा वानर जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शारीरिक रचना में बहुत कुछ समानताएँ पायी जाती है | इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः इनका पूर्वज एक हो या मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ है |
व्यवहार तथा शारीरिक रचना के अंतर्गत निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती है |
1. व्यवहार में समानताएँ:
(i) मानव, लंगूर और वानर ये तीनों ‘प्राइमेट’ स्तनपायी प्राणियों के एक अधिक बड़े समूह के अन्तर्गत एक समूह है।
(ii) ये तीनों अपनी सन्तानों से प्यार करते हैं और स्तनपान कराती हैं ।
(iii) तीनों चलते समय पैरों और हाथों का उपयोग करते हैं।
(iv) तीनों ही प्रजनन द्वारा सन्तान को जन्म देते हैं।
(v) अपना और अपने बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।
2. शारीरिक रचना में समानताएँ :
(i) मानव, वानर व लंगूर तीनों के शरीर पर बाल पाए जाते हैं |
(ii) सन्तान जन्म लेने से पूर्व अपेक्षाकृत लंबे समय तक माता के गर्भ में पलती है।
(iii) तीनों में स्तनपायी ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं।
3. मानव, लंगूर तथा वानर में अन्तर
(i) तीनों की खोपड़ियों की रचना में बड़ा अन्तर है।
(ii) तीनों के दाँत भी भिन्न प्रकार के होते हैं।
Q3. मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरतंरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा कीजिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातान्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है?
उत्तर: क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के अनुसार अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग मनुष्यों की उत्पति हुई | विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले होमो सेपियंस का आधुनिक मानव के रूप में विकास धीरे-धीरे अलग-अलग रफ़्तार से हुआ | परिणामत: इस मॉडल के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आधुनिक मानव दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों में विभिन्न रूपों में दिखाई दिया |
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं :
(i) आधुनिक सभ्य मानवों में सर्वत्र शारीरिक और आनुवंशिक समरूपता पाई जाती है। इस समरूपता का कारण क्षेत्रीय निरन्तरता है।
(ii) सभी आधुनिक सभ्य मानवों के पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे और वहीं से अन्य स्थानों पर गए।
(iii) आधुनिक मानव के जो जीवाश्म इथोपिया में मिले हैं उनसे इनकी पुष्टि होती है।
(iv) आधुनिक सभ्य समाज में जो शारीरिक भिन्नताएँ दिखाई देती हैं उसका कारण उन लोगों का , परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करना है। इस प्रकार क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल पुरातात्त्विक साक्ष्य का सही-सही स्पष्टीकरण देता है। जिसकी पुष्टि पुरातात्त्विक साक्ष्य भी करते हैं।
Q4. इनमें से कौन-सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातान्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं :
(क) संग्रहण, (ख) औज़ार बनाना, (ग) आग का प्रयोग।
उत्तर: (ख) औजार बनाना
संग्रहण, आग का प्रयोग और औजार बनाने में से औजार बनाने के साक्ष्य और प्रमाण पुरातात्विक अभिलेखों में सर्वाधिक पाए जाते हैं | पत्थर के औजार बनाने और उनका इस्तेमाल किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य इथियोपिया और केन्या के पुरा-स्थलों से प्राप्त होता है। यह संभव है कि आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए थे। लगभग 35,000 वर्ष पहले जानवरों को मारने के तरीकों में सुधार हुआ।
Q5. भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद मिली होगी? इस पर चर्चा करिए। इन क्रियाकलापों के लिए विचार-संप्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था?
उत्तर: शिकार करने और आश्रय या घर बनाने के कार्य में भाषा के प्रयोग से मानव को बहुत सुविधा प्राप्त हुई होगी। भाषा-विचार सम्प्रेषण का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। पहले भाषा का रूप हाव-भाव थे। होमोनिड भाषा में हाव-भाव या हाथों का संचालन सम्मिलित था। उच्चारित भाषा से पूर्व मौखिक या अशाब्दिक संचार का प्रयोग किया जाता था। मानव की वाणी का प्रारम्भ सम्भवतया प्राइमेट्स में पाए जाने वाले बुलावों की क्रिया से हुआ। प्रारम्भिक मानव एक-दूसरे को भाषा के माध्यम से शिकार का स्थान और उसका प्रकार बताता होगा। यही नहीं, शिकार किस प्रकार किया जाए, इसकी भी जानकारी प्राप्त करता होगा। कुछ पुरातत्त्वशास्त्रियों का विचार है कि भाषा, कला के साथ-साथ 40000-35000 वर्ष पूर्व विकसित हुई उच्चारित भाषा का विकास कला के साथ निकटतापूर्वक जुड़ा है। इसी कला के माध्यम से मानव को आश्रय या घर की सुविधा के विषय में ज्ञान प्राप्त हुआ होगा। घर बनाने की तकनीक, इसमें प्रयुक्त होने वाली सामग्री की जानकारी भी एक-दूसरे से भाषा के माध्यम से ही प्राप्त हुई होगी। विचार सम्प्रेषण केअन्य तरीकों के रूप में नृत्य, हाव-भाव का प्रदर्शन, चित्रकारी करना, रेखाएँ खींचना, लक्ष्य दिखाना आदि का प्रयोग किया जाता रहा होगा।
Q6. अध्याय के अंत में दिए गए प्रत्येक कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइये
कि इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर: अध्याय के अन्त में दिए युए कालानुक्रम प्रथम की दो सम्मुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है
(i) आस्ट्रेलोपिथेकस : आस्ट्रेलोपिथिकस नाम लातिनी भाषा के शब्द ‘आस्ट्रेल’ अर्थात् दक्षिणी और यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिक्स’ यानी ‘वानर’ से मिलकर बना है। यह नाम इसलिए ‘दिया गया, क्योंकि मानव के आदिकालीन रूप में उसकी वानर अवस्था के अनेक लक्षण विद्यमान रहे। 56 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस का उद्भव हुआ था। इसके मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा बड़ा था। जबंड़े अधिक भारी थे। दाँत भी बड़े थे। लगभग 25 लाख वर्ष पहले, ध्रुवीय हिमाच्छादन से (हिम युग के प्रारंभ में) जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में बड़े-बड़े परिवर्तन आए। तापमान और वर्षा में कमी हो जाने के कारण, जंगल कम हो गए। और घास के मैदानों का क्षेत्रफल बढ़ गया जिसके परिणामस्वरूप आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारंभिक रूप (जो जंगलों में रहने के आदी थे) धीरे-धीरे लुप्त हो गए |
(ii) होमोसेपियन्स : होमोसैपियन्स अथवा आधुनिक मानव जो बुद्धिमान, प्रज्ञा तथा चिन्तनशील कहलाता है। होमो सेपियंस 1.9 लाख वर्ष से 1.6 लाख वर्ष पूर्व के हैं।
कालानुक्रम द्वितीय की दो घटनाएँ निम्नलिखित हैं
1. स्वरतन्त्र का विकास : स्वरतन्त्र का सम्बन्ध बोली जाने वाली भाषा से है। पुरातत्त्वविदों का विचार है कि होमोबिलस के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ रही होंगी, जिनके कारण वे बोल सके होंगे। स्वरतन्त्र का विकास भी भाषा की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। स्वरतन्त्र का विकास लगभग 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ। वास्तव में इसका सम्बन्ध आधुनिक मानवों से रहा है।
2. चूल्हों के इस्तेमाल के बारे में पहला साक्ष्य (1,25,000 लाख वर्ष पूर्व) :
1,25,000 वर्ष । पूर्व गुफाओं तथा खुले निवास क्षेत्र का प्रचलन प्रारम्भ हो गया था। इसके प्रमाण यूरोप के पुरास्थलों से मिलते हैं। दक्षिण फ्रांस में स्थित लेजरेट गुफा की दीवार को 12×4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाया गया है। इसके अन्दर दो चूल्हे मिले हैं। चूल्हे आग के नियन्त्रित प्रयोग के परिचायक हैं। इसके कई लाभ थे। नियन्त्रित आग का प्रयोग गुफाओं के अन्दर प्रकाश और उष्णता मिलने में सहायक होता था। इससे भोजन भी पकाया जाता था। आग का प्रयोग खतरनाक जानवरों को भगाने में भी किया जाता रहा होगा।