अभ्प्रयास - प्रश्न:
प्रश्न: आपके विचार से समानता के बारे में शंका करने के लिए कांता के पास क्या पर्याप्त कारण है? उपरोक्त कहानी के आधार पर उसके ऐसा सोंचने के तीन कारण बताइए |
उत्तर: कांता के समानता के बारे में शंका करने के तीन कारण निम्नलिखित हैं -
(i) कांता एक नाले के साथ बनी एक झोपड़पट्टी में रहती है जो कि एक आर्थिक विषमता को दर्शाता है |
(ii) कांता को अपने काम में एक भी छुट्टी नहीं मिलती जबकि अन्य उद्यम में काम करने वाले नियमित मजदूरों को कई-कई छुट्टियाँ मिलती है |
(iii) उसे अपने बच्चों का ईलाज के लिए सरकारी अस्पताल में लंबी लाइन लगानी पड़ती है जबकि संपन्न लोग निजी अस्पताल में खुद का और अपने बच्चों का ईलाज करवाते है |
प्रश्न: आपके विचार से ओमप्रकश वाल्मीकि के साथ उसके शिक्षक और सहपाठीयों ने असमानता का व्यवहार क्यों किया जाता था? अपने-आपको ओमप्रकश वाल्मीकि कि जगह रखते हुए चार पंक्तियाँ लिखिए कि उक्त स्तिथि में आप कैसे अनुभव करते?
उतर: हमारे समाज मैं सामािजक असमानता और और आर्थिक असमानता कायम है। सामािजक असमानता के तहत जातीय आधार पर भेदभाव किये जाते है । इसी आधार पर ओम वाल्मीकि के साथ उसके उसके शिक्षक और सहपाठी असमानता का व्यव्हार किया |
अगर हम ओम वाल्मीकि कि जगह होते तोह हमें निम्र तरह का अनुभाव होता
1. सामजिक व्यवस्था के खिलाफ असंतोष पैदा होता |
2. जातीय अधिकार पर भेदभाव कि भी गलत मानते |
3. अपने आपको सम्मनित महसूस नहीं करते |
4. हमारे मन में कंठा और ग्लानि उत्पत्र होता |
प्रश्न: आपके विचार से अंसारी दंपित के साथ असमानता का व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यिद आप अंसारी दंपित की जगह होते और आपको रहने के लिए इस कारण जगह न मिलती कुछ पड़ोसी आपके धर्म के कारण आपके पास नही रहना चाहते, तो आप क्या करते ?
उतर: हमारे देश मैं कई तरह की विविधता है। इन विविधताओ में जाति, भाषा, धर्म, लिंग, क्षेत्र, और संस्कृति प्रमुख है | इन विविधताओ के कर्ण देश में कुछ लोग| एक दुसरे से भेदभाव करते है | एस भेदभाव का मुख्य कारण संकीण मानसिकता और शीशा का अभाव
प्रश्न: यदि आप अंसारी परिवार के एक सदस्य होते है तो प्रॉपर्टी डीलर के नाम बदलने के सुझाव का उतर किस प्रकार देते?
उतर: यदि हम अंसारी परिवार के एक सदस्य होते तो प्रॉपर्टी सिलार के नाम बदलने के सुझाव का उतर निम्र प्रकार से देते
1. प्रॉपर्टी सिलार को यह बदलते कि हम अपना नाम बदल सकते है, लेकिन मिलने वाले रिश्तेदार का नाम कैसे बदलेगे|
2. नाम बदलने के बाद अपने मजहब के पर्व्त्योहर नमाज पढना और रीती-रिवाजो को कैसे छोड़ सकते है।
3. नाम बदलने से हमेशा जो मन मैं डर बना रहेगा कि कही माकन मालिक और पडोसी को हमारे धर्म के बारे में पता न चल जाये |
प्रश्न: लोकतंत्र में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार महत्वपूर्ण है क्योंकि –
1. यह राजनीति में समानता को बढ़ावा देता है |
2. लोगों के बीच से भेद – भाव को कम करता है |
3. सरकार को चुनने में लोगो की भागीदारी को बढाता है |
प्रश्न: बॉक्स में दिए गए संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश को पुनः पढि़ए और दो ऐसे तरीके बताइए, जिनसे यह अनुच्छेद असमानता को दूर करता है?
उत्तर:
1. राज्य किसी नागरिक के विरूद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाती, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा|
2. कोई नागरिक कवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग जन्मस्थान या इनमें से किसी सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश करने के वंचित नहीं कर सकता| पूर्णत: अंशत राज्य निधि से निर्मित कुँओं, तालाबों, स्नानघाटों, सडकों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग पार प्रतिबंध नहीं लगा सकता|
प्रश्न: ओमप्रकाश वाल्मीकि का अनुभव, अंसारी दंपति के अनुभव से किस प्रकार मिलता था?
उत्तर: (i) ओमप्रकाश वाल्मीकि तथा अंसारी दंपति दोनों की गरिमा पर समान रूप से चोट किया गया था | वे दोनों ही असमान व्यवहार के शिकार बने थे |
(ii) ओमप्रकाश वाल्मीकि को उनकी निति जाती के कारण स्कूल में झाड़ू लगाना पड़ा जबकि अंसारी दंपति को उनके धर्म के कारण मकान देने से मना कर दिया गया था |
प्रश्न: "कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर हैं" -इस कथन से आप क्या समझते हैं? आपके विचार से यह लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर: कानून के सामने सब लोग बराबर है, से निम्नलिखित तात्पर्य है :
(i) भारत के सभी नागरिकों, राष्ट्रपति से लेकर एक सामान्य घरेलू नौकर तक को, एक ही जैसे कानून का अनुपालन करना होता है |
(ii) किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म, जाती, लिंग या जन्मस्थान आदि के आधर पर भेदभाव नही किया जा सकता |
(iii) सभी लोगो को सभी सार्वजानिक जगहों पर जैसे – खेल का मैदान, होटल दुकान, बाज़ार, जन्म की जगह आदि का उपयोग करने के समान अधिकार है और इससे किसी को वंचित नहीं किया जा सकता है |
प्रश्न: भारत सरकार ने 1995 में विकलांगता अधिनियम स्वीकृत किया था| यह कानून कहता हैं कि विकलांग व्यक्तियों को भी समानता अधिकार प्राप्त हैं और समाज में उनकी पूरी भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्व हैं| सराकार को उन्हें नि: शुल्क शिक्षा देनी हैं और विकलांग बच्चों को स्कूल की मुख्यधारा में सम्मिलित करना हैं| कानून यह भी कहता हैं कि सभी सार्वजानिक स्थल, जैसे भवन, स्कूल आदि में ढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो|
चित्र को देखिए और उस बच्चे के बारे में सोचिए, जिसे सीढियों से नीचे लाया जा रहा हैं| क्या आपको लगता हैं कि इस स्थिति में विकलांगता का कानून लागू किया जा रहा हैं? वह भवन में आसानी से आ - जा सके, उसके लिए क्या करना आवश्यक हैं? उसे उठाकर सीढियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सुरक्षा को किए प्रभावित करता है?
उत्तर:
1. उपरोक्त चित्र में विकलांगता कानून का पालन नहीं किया जा रहा हैं| क्योंकि भवन में ढलान नहीं हुआ हैं इसलिए बच्चे को सीढियों के माध्यम से लाया जा रहा है|
2. विकलांग व्यकित के लिए आसनी से भवन में आने - जाने के लिए सीढियों के स्थान पर ढलान का निर्माण किया जाना चाहिए|
3. उसे सीढियों से उठाकर लाने - लि जाने से उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती हैं| वह अपने को अक्उषम मानते लगत हैं, जिससे उसका आत्मबल कमजोर होगा| उसे बार - बार सीढियों से चढाने और उतारने से दुर्घटना हो सकती हैं जिससे उसे शारीरिक चोट पहुँच सकती हैं|