अध्याय - समीक्षा
- पर्यावरण - परि + आवरण ( वह आवरण जो वनस्पति तथा जीवन+जन्तुओं को ऊपर से ढके हुए है |
- संसाधन - मनुष्य के उपयोग के साधन
- प्रक्रीतिक संसाधन :- प्रक्रिति द्वारा प्रदत मनुष्य के उपयोग के साधन
- विश्व राजनीति में पर्यावरण की चिंता - 1. घटता क्रीषी योग्य क्षेत्र तथा घटती क्रषि भूमि की उर्वरता | 2. घटते मत्स्य भंडार जल प्रदुषण के कारन व जल की कमी | 3. घटते जल स्त्रोत तथा अनाज उत्पादन प्रदुषण के कारण 4. घटते वनों से जैव विविधता को हानि तथा प्रजातियों का विनाश 5. घटते समुद्र पर्यावरण की गुणवता समुद्रीयतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसाहट | 6. बढ़ती वैश्विक तापमान के कारन बढ़ता समुद्र जल तल 7. बढ़ता ओजोन परत का छेद परिस्थितिकी तंत्र व मनुष्य के स्वास्थ्य पर खतरा | पर्यावरण की जागरूकता तथा सम्मेलन
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सम्मेलन का नाम वर्ष स्थान प्रस्ताव
1. क्लब आँफ रोम 1972 रोम लिमिट टू ग्रोथ (बढ़ती जनसंख्या से प्राक्रितिक संसाधनो का विनाश )
2. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण 1975 रोम सदस्य देशों के पर्यावरण की रक्षा,भूमि कार्यक्रम (UNEP)
गुणवता बरकरार, मरूस्थल का प्रसार रोकना
3. स्टॉक होम सम्मेलन 1972 स्टॉक होम मानवीय पर्यावरण घोषणा, कार्ययोजना (प्रथम म्हेव्पूर्ण सम्मेलन ( स्वीडन ) परमाणू शस्त्र परीक्षण प्रस्ताव,विश्व पर्यावरण दिवस प्रस्ताव
4. नैरोबी घोषणा 1982 नैरोबी विलुप्त वन्य जीव व्यापार प्राक्रितिक संसाधन व सम्पदा समुद्र प्रदुषण के प्रावधान
5. बर्ट लैंड रिपोर्ट 1987 बर्ट लैंड आवर कोमन फ्यूचर विकास की वर्तमान प्रक्रिया टिकाऊ नही |
6. प्रिथ्वी सम्मेलन 1992 रियिडी जेनेरो (अजेंडा-21)-जलवायु के परिवर्तन (ब्राजील) जैव विविधता वानिकी के नियम पर्यावरण रक्षा साक्षी जिम्मेदारी टिकाऊ विकास उतर दक्षिण विवाद |
7. विश्व जलवायु 1997 नई दिल्ली पर्यावरण संरक्षण में सभी वर्ग परिवर्तन बैठक शामिल हों तथा व्यावहारिक सोच हो|
8. क्योटो प्रोटोकल 1997 जापान ओधोगिक देश ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करें
9. ब्यूनस आयर्स बैठक 1998 अर्जेटीना क्योंटो प्रोटोकाल की समीक्षा विलासिता व आवश्यकता में अंतर हो |
10. जोहान्सबर्ग 2002 जोहान्सबर्ग जल स्वच्छता,वैकल्पिक उर्जा,जैव प्रिथ्वी सम्मेलन (द,अफ्रीका) विविधता पर्यावरण संरक्षा
11. भूमंडलीय जलवायु 2007 बाली ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम,धनी परिवर्तन सम्मेलन (इंडोनेशिया) देश गरीब देशो को साफ सुथरी तकनीक दे | जलवायु परिवर्तन कोष बने
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जिम्मेदारी साझी, भूमिकाये अलग-अलग- 1. उतरी गोलार्द्द के विकसित देशों का तर्क - पर्यावरण रक्षा सबकी जिम्मेदारी,इसकी लिए विकास कार्यो पर प्रतिबन्ध लगाना सबका समान दायित्व है | 2. दक्षिण गोलार्द्द के विकासशील देशों का तर्क-विकास प्रक्रिया के दौरान विकसित देशों नेपर्यावरण प्रदूषित किया है इसकी क्षतिपूर्ति भी वे ही करें | विकासशील देशों के सामाजिक आर्थिक विकास को ध्यान में रखा जाये | 3. अमरीका और चीन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वाले सबसे बड़े देश है जबकि अफगानिस्थान और मालवी जैसे दश इस सूची में सबसे नीचे आते है इस बीच चीन ने पहली बार ये माना है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में अब वो अमेरिका के बराबर आ गया है, मगर साथ ही चीन ये भी दोहराना नही भुला कि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के हिसाब से अगर देखेगे तो वो अमेरिका से कही पीछे है, उधर द्ब्ल्युद्ब्लुए सन्गठन के प्रमुख एमेका अन्योकू ने कहा कि चादर से पैर फैलाने के नतीजे हम पिछले कुछ महीनों की घटनाओं में देख चुके है और वितीय एन्क्त से हुआ नुकसान प्राकृतिक संसाधनो को हो रहे नुकसान के आगे कुछ नही रह जाएगा |
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पर्यावरण संरक्षण तथा भारत- 1. प्राकृतिक संतुलन की संस्कृति -पीपल,तुलसी,गाय,सापं बंदर की पूजा 2. विश्व पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में भागीदारी 3. उर्जा संरक्षण अधिनियम -2001 4. पुनर्नवीक्रीत उर्जा प्रयोग बढ़ावा 5. स्वच्छ इंजन प्राक्रितिक गैस प्रदुषण रहित तकनीक पर जोर (नेशनल ऑटो -फ्यूल पालिसी ) 6. बायो डीजल की योजना 7. परमाणु उर्जा को बढ़ावा 8. राज्य प्रदुषण नियन्त्रण बोर्ड 9. क्योटों प्रोटोकोल पर हस्ताक्षार 2002 में 10. 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा उर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा |
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राजनीति में संसाधन :- जिस देश के पास जितने संसाधन होगे उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत होगी | (A) इमारती लकड़ी- पश्चिम देशो ने किश्तियो जलपोतों के निर्माण के लिए दूसरे देशों के वनों पर कब्जा किया ताकि उनकी नौ सेना मजबूत हो और विदेश व्यापार बढ़े| (B) तेल भंडार-विकसित देशों ने तेल की निबंधि आपूर्ति के लिए समुद्री मागों पर सेना तैनात की | (C) जल - विश्व के कुछ भागों में जीवनदायिनी संसाधनों का अभाव है |
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मूलवासी :- वे लोग जो किसी देश में बहुत पहले से रहते आये हो परन्तु बाद में दूसरे देश के लोग वहाँ आकर इन लोगों को अपने अधीन कर लिया हो | मूलवासी अपना जीवन विशिष्ट सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक रीति रिवाजों के साथ बिताते है |
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1975 में मूलवासियों का संगठन World council of indigeneous people बना |1980 में उसने अपनी सरकारी से मांग की - 1. मूलवासी कौम के रूप में मान्यता 2. अन्य वर्गो के साथ समानता 3. अपनी संस्कृति की सुरक्षा का अधिकार दे | 4. अपने स्थान व उत्पाद के स्वामी हो | 5. विकास के कारण विस्थापित न किये जाये |
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वर्तमान सन्दर्भ- वल्र्ड वाइल्ड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) यानी विश्व वन्य प्राणी कोष ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अगर दुनिया भर में प्राकृतिक संसाधनो को मौजूदा रफ्तार से ही इस्तेमाल करने का चलने जरी रहा तो अगले तीस साल में इस जरूरत को पूरा करने के लिए दोगुना अधिक संसाधनो की जरूरत होगी | द लिविगं प्लैनेट नामक ताजा रिपोर्ट में पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है की प्राकृतिक संसाधनो का यह संकट मौजूदा वितीय संकट से कही ज्यादा गभीर होगा रिपोर्ट के हलाकि अभी दुनिया का पूरा ध्यान आर्थिक उथल-पुथल पर लगा है मगर उससे भी बड़ी एक बुनियादी मुशिकल हमारे सामने आ रही है ओक्ष वो है प्राकृतिक संसाधनो की भर्री कमी की इस अध्ययन का तर्क है की शेयर बाजार में हुए 20 खरब डॉलर के नुकसान की तुलना अगर आप हर साल हो रहे 45 खरब डॉलर मूल्य के प्रकृतिक संसाधनो के नुकसान से करे तो ये आर्थिक संकट का आकड़ा बौना साबित होता है | रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की तीन चौथाई आबादी पानी,हवा और मिट्टी का बेतहाशा इस्तेमाल कर रही है | इसके अलावा जंगल जितनी तेजी बढ़ नही है उसनसे ज्यादा तेजी से काटे जा रहे है, समुद्र में जितनी तेजी से मछलियाँ बढ़ नही रही है उससे ज्यादा तेजी से मारी जा रही है डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रवक्ता कॉलिन ब्त्फील्ड का कहना है कि आम लोग बदलाव के अभियान में भाग लेकर एक बड़ा अंतर पैदा कर सकते है |
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चीन अमेरिका जिम्मेदार - बटफील्ड ने कहा आर्थिक सकंट के मामले में हमने देखा है की अगर नेता चाहे तो वैश्विक स्तर पर वे मिलजुलकर काम कर सकते है और जल्दी कर सकते है व्यापक संसाधन जुटा सकते है हम चाहते है कि इसका इस्तेमाल दरसल वितीय संकट से भी बड़े और दीर्घकालिन संकट से निबटने में किया जाता है |