अतिरिक्त प्रश्नोत्तर :-
Q 1. कार्यपालिका क्या है ?
उत्तर : कार्यपालिका का अर्थ व्यक्तियों के उस समूह से है जो कायदे-कानूनों की संगठन को रोजाना लागू करते हैं।
Q 2. कार्यपालिका के प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर : कार्यपालिका के प्रमुख कार्य :-
(i) कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
(ii) कार्यपालिका प्रायः नीति-निर्माण में भी भाग लेती है। कार्यपालिका का औपचारिक नाम अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न होता है। कुछ देशों में राष्ट्रपति होता है, तो कहीं चांसलर।
(iii) कार्यपालिका में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मंत्री ही नहीं होते बल्कि इसके अंदर पूरा प्रशासनिक ढाँचा ;सिविल सेवा के सदस्य भी शामिल है।
Q 3. राजनीतिक कार्यपालिका या स्थायी कार्यपालिका किसे कहते है ?
उत्तर : सरकार के प्रधान और उनके मंत्रियों को राजनीतिक कार्यपालिका कहते हैं आरै वे सरकार की सभी नीतियों के लिए उत्तरदायी होते हैं लेकिन जो लोग रोज़ - रोज़ के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते हैं, उन्हें स्थायी कार्यपालिका कहते हैं।
Q 4. कार्यपालिका कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर : कार्यपालिका दो प्रकार की होती है :-
(1) सामूहिक नेतृत्व के सिद्धन्त पर आधारित प्रणाली
(a) संसदीय
(i) सरकार के प्रमुख को आमतौर पर प्रधानमंत्री कहते हैं।
(ii) वह विधायिका में बहुमत वाले दल का नेता होता है।वह विधायिका के प्रति जवाबदेह होता है।
(iii) देश का प्रमुख इनमें से कोई भी हो सकता हैः(राजा या राष्ट्रपति )
(b) अर्ध-अध्यक्षात्मक
(i) राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है।
(ii) प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
(iii) प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिपरिषद् विधायिका के प्रति जवाबदेह होता है।
(2) एक व्यक्ति के नेतृत्व के सिद्धांत पर आधारित प्रणाली(a) अध्यक्षात्मक
(i) राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है।
(ii) वही सरकार का भी प्रमुख होता है।
(iii) राष्ट्रपति का चुनाव आमतौर पर प्रत्यक्ष मतदान से होता है।
(iv) वह विधायिका के प्रति जवाबदेह नहीं होता।
Q 5. भारत में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार का वर्णन कीजिए |
उत्तर : संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सभी महत्त्वपूर्ण मुद्दों और मंत्रिपरिषद् की कार्यवाही के बारे में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है।
प्रधानमंत्री का यह कर्त्तव्य है कि वह राष्ट्रपति द्वारा माँगी गई सभी सूचनाएँ उसे दे। राष्ट्रपति प्रायःप्रधानमंत्री को पत्र लिखता है और देश की समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त करता है।
भारत में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार निम्न प्रकार से है :-
(i) राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् की सलाह को लौटा सकता है और उसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है। ऐसा करने में राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है। जब राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि सलाह में कुछ गलती है या कानूनी रूप से कुछ कमियाँ हैं या फैसला देश के हित में नहीं है, तो वह मंत्रिपरिषद् से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है।
(ii) राष्ट्रपति के पास वीटो की शक्ति (निषेधाधिकार) होती है जिससे वह संसद द्वारा पारित विधेयकों (धन विधेयकों को छोड़ कर) पर स्वीकृति देने में विलंब कर सकता है या स्वीकृति देने से मना कर सकता है।
(iii) तीसरे प्रकार का विशेषाधिकार राजनीतिक परिस्थितियों के कारण पैदा होता है औपचारिक रूप से राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। सामान्यतः अपनी संसदीय व्यवस्था में लोकसभा के बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है, इसलिए उसकी नियुक्ति में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार का कोई प्रश्न ही नहीं।
Q 6. भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार होता है तथा इनको किस प्रकार इनके पद से हटाया जा सकता है ?
उत्तर : उपराष्ट्रपति पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है। उसको भी उसी तरह चुनते हैं जैसे राष्ट्रपति को चुना जाता है । केवल इतना अंतर है कि उसके निर्वाचक मंडल में राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं होते।
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्य सभा को अपने बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पास करना पड़ता है और उस प्रस्ताव पर लोक सभा की सहमति लेनी पड़ती है। उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होता है और राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्रा, महाभियोग द्वारा हटाए जाने या अन्य किसी कारण से यह पद रिक्त होने पर वह कार्यवाहक राष्ट्रपति का काम करता है।
Q7. भारत में उपराष्ट्रपति एक कार्यवाहक के रूप में किस प्रकार कार्य करते हैं ?
उत्तर : उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होता है और राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग द्वारा हटाए जाने या अन्य किसी कारण से यह पद रिक्त होने पर वह कार्यवाहक राष्ट्रपति का काम करता है।उपराष्ट्रपति तभी तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करता है जब तक कोई नया राष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता।
उदाहरण के लिए :-
फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद बीडी जत्ती तब तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करते रहे जब तक नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो गया।
Q8. यु.पी.एस.सी. ( संघ लोक सेवा आयोग ) के क्या कार्य है ?
उत्तर : संघ लोक सेवा आयोग (यु.पी.एस.सी) वह संवैधानिक संस्था है जिसका मुख्य कार्य अखिल भारतीय स्तर व केन्द्रीय स्तर के सेवाओं के लिए पदों की सेवा शर्त तय करना परीक्षाओं का संचालन करना व साक्षात्कार करना विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों की सिफारिशें करना | इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है |
Q 9. निम्नलिखित शब्दों का पूरा नाम लिखिए :-
( आई ए एस ) और ( आई पी एस )
उत्तर :
(i) आई.ए.एस. - भारतीय प्रशासनिक सेवा
(ii) आई. पी. एस. - भारतीय पुलिस सेवा
इन दोनों उम्मीदवारों का चयन संघ लोक सेवा आयोग करता है |
Q 10. भारत में सिविल सेवा आयोग कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर : भारत में सिविल सेवा आयोग मुख्यत : तीन प्रकार की होती है :-
(1) अखिल भारतीय सेवाएँ
(a) भारतीय प्रशासनिक सेवा
(b) भारतीय पुलिस सेवा
(2) केन्द्रीय सेवाएँ
(a) भारतीय विदेश सेवा
(b) भारतीय राजस्व सेवा
(3) प्रांतीय सेवाएँ
(a) बिक्रीकर अधिकारी
Q 11. राजनीतिक हस्तक्षेप से नौकरशाही राजनीतिज्ञों के हाथ का खिलौना बन जाती है।कैसे |
उत्तर : नौकरशाही वह माध्यम है जिसके द्वारा सरकार की लोकहितकारी नीतियाँ जनता तक पहुँचती है। पर नौकरशाही इतनी शक्तिशाली होती है कि आम आदमी सरकारी अधिकारियों तक पहुँचने से डरता है। यह लोगों का आम अनुभव है कि नौकरशाही सामान्य नागरिकों की माँगों और आशाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होती। लेकिन जब लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार नौकरशाही को नियंत्रित करती है, तब इनमें से कुछ समस्याओं को प्रभावी तरीके से हल किया जा सकता है। तथा ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप से नौकरशाही राजनीतिज्ञों के हाथ का खिलौना बन जाती है। हालाँकि संविधान ने भर्ती के लिए एक स्वतंत्र मशीनरी बनायी लेकिन अनेक लोगों का मानना है कि सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्यों के संपादन में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
Q12. भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका का वर्णन कीजिए |
उत्तर : भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका निम्न प्रकार से है :-
यदि भारत में किसी राजनितिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला हो तो राष्ट्रपति एक लम्बी प्रक्रिया अपनाते है तथा किसी गठबंधन के नेता को अपने दावे के समर्थन में संबधित राजनितिक दलों के दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कह सकते है और पदग्रहण करने के मात्र दस दिनों के भीतर विश्वास मत प्राप्त करने को भी कह सकते है ।
उदाहरण के लिए :-
मार्च 1998 के चुनाव में किसी भी दल या दलीय गठबंधन को बहुमत नहीं मिला। भाजपा और उसके सहयोगी दलों को कुल 251 सीटें मिलीं जो बहुमत से 21 कम थी।
तब राष्ट्रपति नारायणन ने एक लंबी प्रक्रिया अपनाई। उन्होंने गठबंधन के नेता अटल बिहारी बाजपेयी से अपने दावे के समर्थन में संबंधित राजनीतिक दलों के दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कहा। इससे भी आगे जाकर राष्ट्रपति ने वाजपेयी को पदग्रहण करने के मात्र दस दिनों के भीतर विश्वास मत प्राप्त करने को कहा।
Q13. वीटो पावर या निषेधाधिकार क्या है ?
उत्तर : राष्ट्रपति के पास वीटो की शक्ति (निषेधाधिकार) होती है जिससे वह संसद द्वारा पारित विधेयकों (धन विधेयकों को छोड़ कर) पर स्वीकृति देने में विलंब कर सकता है या स्वीकृति देने से मना कर सकता है।संसद द्वारा पारित प्रत्येक विधेयक को कानून बनने से पूर्व राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति उसे संसद को लौटा भी सकता है|