अतिरिक्त प्रश्नावली :
Q 1. फर्स्ट-पास्ट-द - पोस्ट सिस्टम क्या है ?
उत्तर : चुनाव व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाता हैं उसे ही निर्वाचित घोषित करदिया जाता है। विजयी प्रत्याशी के लिए यह ज़रूरी नहीं कि उसे कुलमतों का बहुमत मिले। इस विधि से ‘जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली फर्स्ट-पास्ट-द - पोस्ट सिस्टम कहते हैं।
Q2. समानुपातिक प्रतिनिधित्व से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है। चुनावों की इस व्यवस्था को ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ कहते हैं।
इस प्रणाली में किसी पार्टी को उतनी ही प्रतिशत सीटें मिलती हैं जितने प्रतिशत उसे वोट मिलते हैं।
समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दो प्रकार होते हैं:-
(i) कुछ देशों जैसे इज़राइल या नीदरलैंड में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।
(ii) दूसरा तरीका अर्जेंटीना और पुर्तगाल में देखने को मिलता है जहाँ पूरे देश का बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक पार्टी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी करती है जिसमें उतने ही नाम होते हैं जितने प्रत्याशियों को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुना जाना होता है। इन दोनों ही रूपों में मतदाता राजनीतिक दलों को वोट देते हैं न कि उनके प्रत्याशियों को। एक पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में जितने मत प्राप्त होते हैं उसी आधर पर उसे उस निर्वाचन क्षेत्र में सीटें दे दी जाती हैं|
Q 3. सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिध्त्वि’चुनाव व्यवस्था की तुलना कीजिए |
उत्तर : सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिध्त्वि’चुनाव व्यवस्था की तुलना निम्निखित है :-
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत
(i) पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं|
(ii) हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
(iii) मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है।
(iv) पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधयिका में मिल सकती हैं।
(v) विजयी उम्मीदवार को ज़रूरी नहीं कि वोटों का बहुमत (50%+1 ) मिले
(vi) उदाहरण के लिए यूनाइटेड किंगडम और भारत
समानुपातिक प्रतिनिधित्व
(i) किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है। पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र में गिना जा सकता है।
(ii) एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
(iii) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
(iv) हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
(v) विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत हासिल होता है।
(vi) उदाहरण के लिए इशराइल और नीदरलैंड |
Q 4. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर : लोकतांत्रिक चुनावों में देश के सभी वयस्क नागरिकों को चुनाव में वोट देने का अधिकार होना ज़रूरी है। इसी को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के नाम से जानते हैं।
अनेक देशों में नागरिकों को इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए अपने शासकों से बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। बहुत से देशों में तो महिलाओं को यह अधिकार काफी देर से और बड़े संघर्ष के बाद मिला। भारतीय संविधान निर्माताओं ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के द्वारा प्रत्येक वयस्क भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार प्रदान किया।
Q 5. विशेष बहुमत का अर्थ क्या है ?
उत्तर : विशेष बहुमत का अर्थ है :-
(i) उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत और
(ii) सदन की कुल सदस्य संख्या का साधरण बहुमत
Q 6. भारत के निर्वाचन आयोग के पास क्या काम हैं। उनका वर्णन कीजिए |
उत्तर : भारत के निर्वाचन आयोग के पास काफी काम हैं जो निम्न प्रकार से है :-
(i) वह मतदाता सूचियों को नया करने के काम की देख-रेख करता है। पूरा प्रयास करता है कि मतदाता सूचियों में गलतियाँ न हों अर्थात् पंजीकृत मतदाताओं के नाम न छूट जाएँ और न ही उसमें ऐसे लागों के नाम हों जो मतदान के अयोग्य हों या जीवित ही न हों।
(ii) वह चुनाव के समय और चुनावों का पूरा कार्यक्रम तय करता है। इस कार्यक्रम में निम्न बातों का उल्लेख होता है -
चुनाव की अधिघोष्णा, नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तिथि, मतदान की तिथि, मतगणना की तिथि और चुनाव परिणामों की घोषणा।
(iii) इस पूरी प्रक्रिया में, निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्णय लेने का अधिकार है। वह पूरे देश में किसी राज्य या किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों को इस आधार पर स्थगित या रद्द कर सकता है कि वहाँ माकुल माहौल नहीं है तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है। निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता है। वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराने की आज्ञा दे सकता है। यदि उसे लगे कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से उचित और न्यायपूर्ण नहीं थी तो वह वह दोबारा मतगणना कराने की भी आज्ञा दे सकता है।
(iv) निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उन्हें चुनाव चिह्न आबंटित करता है।
Q 7. भारत में कानून के द्वारा चुनाव सुधारों का वर्णन कीजिए | या
निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव में किस प्रकार के संशोधन किए गए है उनका वर्णन कीजिए |
उत्तर : निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव में निम्न प्रकार के संशोधन किए गए है:-
(i) हमारी चुनाव व्यवस्था को सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली के स्थान पर किसी प्रकार की समानुपातिक प्रतिनिधत्व प्रणाली लागू करनी चाहिये। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेगी जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेंगे।
(ii) संसद और विधान सभाओं में एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाये जाएँ।
(iii) चुनावी राजनीति में धान के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान होने चाहिये। सरकार को एक विशेष विधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिये।
(iv) जिस उम्मीदवार के विरुद्ध ( फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिये) भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो।
(iv) चुनाव-प्रचार में जाति और धर्म के आधर पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिये।
(v) राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधियों को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक कानून होना चाहिये।
Q 8. निर्वाचन आयोग को किस स्थानों पर चुनाव कराने में कठिनायों का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर : निर्वाचन आयोग को असम, पंजाब तथा जम्मू और कश्मीर जैसे हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में चुनाव कराने में अनेक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
Q9. किस सन में चुनाव प्रक्रिया को बीच में रोकना पड़ा और क्यों ?
उत्तर: सन 1991 में पूरी चुनाव प्रक्रिया को बीच में ही रोकना पड़ा क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान में पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।